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मूंग के पंजीयन के लिए परेशान हो रहे किसान, भ्रष्टाचार का लगाया आरोप

होशंगाबाद में किसानों की परेशानी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. कृषि उपज मंडी में किसानों के पंजीयन के लिए मोबाइल नंबर जारी किये गए थे. लेकिन इन पर फोन करने पर कोई जवाब नहीं मिलता है. जिससे किसान परेशान हैं.

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परेशान किसान
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Published : Jul 17, 2020, 9:33 PM IST

होशंगाबाद। जिले की सिवनी मालवा तहसील की कृषि उपज मंडी में किसान अपनी मूंग की उपज बेचने के लिए परेशान हो रहे हैं. पहले टोकन के लिए किसान लंबी लाइन लगाकर परेशान हो रहे थे, सोशल डिस्टेंस का उल्लंघन हो रहा था. जिसको देखते हुए किसानों के लिए कृषि उपज मंडी प्रबंधन ने दो मोबाइल नंबर जारी किए.

मोबाइल नंबर पर किसान घर बैठे अपने मोबाइल से पंजीयन कर सकता है. बावजूद इसके किसानों की समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं. किसानों का कहना है कि मंडी ने जो दो मोबाइल नंबर जारी किए हैं वह अक्सर बंद रहते हैं. जिसके कारण मंडी कार्यालय के चक्कर लगाना हमारी मजबूरी बनी हुई है. किसानों का आरोप है कि मंडी कार्यालय में कुछ किसानों से पैसे लेकर उनका जल्द पंजीयन भी किया जा रहा है.

वहीं जो पैसा नहीं दे रहा है वह लगातार परेशान हो रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ मंडी सचिव का कहना है कि किसानों की सुविधाओं के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है. टोकन सिस्टम में सोशल डिस्टेसिंग का पालन नहीं हो पा रहा था. जिसके बाद नंबर जारी किए गए हैं, लेकिन किसानों को इसके बाद भी राहत नहीं मिल पाई है.

होशंगाबाद। जिले की सिवनी मालवा तहसील की कृषि उपज मंडी में किसान अपनी मूंग की उपज बेचने के लिए परेशान हो रहे हैं. पहले टोकन के लिए किसान लंबी लाइन लगाकर परेशान हो रहे थे, सोशल डिस्टेंस का उल्लंघन हो रहा था. जिसको देखते हुए किसानों के लिए कृषि उपज मंडी प्रबंधन ने दो मोबाइल नंबर जारी किए.

मोबाइल नंबर पर किसान घर बैठे अपने मोबाइल से पंजीयन कर सकता है. बावजूद इसके किसानों की समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं. किसानों का कहना है कि मंडी ने जो दो मोबाइल नंबर जारी किए हैं वह अक्सर बंद रहते हैं. जिसके कारण मंडी कार्यालय के चक्कर लगाना हमारी मजबूरी बनी हुई है. किसानों का आरोप है कि मंडी कार्यालय में कुछ किसानों से पैसे लेकर उनका जल्द पंजीयन भी किया जा रहा है.

वहीं जो पैसा नहीं दे रहा है वह लगातार परेशान हो रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ मंडी सचिव का कहना है कि किसानों की सुविधाओं के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है. टोकन सिस्टम में सोशल डिस्टेसिंग का पालन नहीं हो पा रहा था. जिसके बाद नंबर जारी किए गए हैं, लेकिन किसानों को इसके बाद भी राहत नहीं मिल पाई है.

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