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जानिए कैसे मरकर भी जिंदा रहेंगे डॉ. हेडा, कोरोना से हुआ था निधन - महशूर डॉ एनएल हेडा

इटारसी के महशूर डॉ.एनएल हेडा का कोरोना के चलते निधन हो गया है. उनके निधन के बाद परिजनों ने उनकी 168 किताबों को खंडवा मेडिकल कालेज को सौंपा है, डॉ एनएल हेडा आज दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनकी 168 मेडिकल की बुक खंडवा मेडिकल कालेज में उनकी यादों को सदैव जिंदा रखेंगी. पढ़िए पूरी खबर...

Family handed over the book
परिजनों ने सौंपी किताब
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Published : Oct 2, 2020, 2:56 PM IST

होशंगाबाद। इटारसी के महशूर डॉ एनएल हेडा आज दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनकी 168 मेडिकल की बुक खंडवा मेडिकल कालेज में उनकी यादों को सदैव जिंदा रखेंगी. डॉ. हेडा का कोरोना के चलते निधन हो गया था. शुक्रवार को परिजनों ने उनकी 168 मेडिकल की किताबें खंडवा मेडिकल कालेज को सौंपी हैं.

डॉ.एनएल हेडा की ये किताबें स्टूडेंट्स के लिए वारदान साबित होंगी. ये किताबें मेडिकल कालेज के स्टूडेंट्स को मेडिकल के क्षेत्र में ज्ञान उपलब्ध कराएंगी. साथ ही डॉ हेडा की यादें किताबों के जरिये सदा जीवित रहेंगी.

डॉ. हेडा इटारसी के जाने माने हृदय रोग विशेषज्ञ थे. उनके निधन से पूरे शहर में गम का माहौल है. उन्हें अपने चिकित्सा क्षेत्र की किताबें एकत्रित करने और उन्हें पढ़ने का बहुत शौक था. किताबों की पूरी एक लायब्रेरी उन्होंने बना रखी थी.

डॉ हेडा के निधन के बाद कृष्णकांत हेडा ने सम्पूर्ण हेडा परिवार की तरफ से इन किताबों को मेडिकल कालेज खंडवा की लायब्रेरी में देने कि इच्छा जताई थी, जिसके बाद किताबों को दिया गया है.

होशंगाबाद। इटारसी के महशूर डॉ एनएल हेडा आज दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनकी 168 मेडिकल की बुक खंडवा मेडिकल कालेज में उनकी यादों को सदैव जिंदा रखेंगी. डॉ. हेडा का कोरोना के चलते निधन हो गया था. शुक्रवार को परिजनों ने उनकी 168 मेडिकल की किताबें खंडवा मेडिकल कालेज को सौंपी हैं.

डॉ.एनएल हेडा की ये किताबें स्टूडेंट्स के लिए वारदान साबित होंगी. ये किताबें मेडिकल कालेज के स्टूडेंट्स को मेडिकल के क्षेत्र में ज्ञान उपलब्ध कराएंगी. साथ ही डॉ हेडा की यादें किताबों के जरिये सदा जीवित रहेंगी.

डॉ. हेडा इटारसी के जाने माने हृदय रोग विशेषज्ञ थे. उनके निधन से पूरे शहर में गम का माहौल है. उन्हें अपने चिकित्सा क्षेत्र की किताबें एकत्रित करने और उन्हें पढ़ने का बहुत शौक था. किताबों की पूरी एक लायब्रेरी उन्होंने बना रखी थी.

डॉ हेडा के निधन के बाद कृष्णकांत हेडा ने सम्पूर्ण हेडा परिवार की तरफ से इन किताबों को मेडिकल कालेज खंडवा की लायब्रेरी में देने कि इच्छा जताई थी, जिसके बाद किताबों को दिया गया है.

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