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छठ पर्व: नर्मदा नदी के घाटों पर डूबते सूर्य को अर्घ्य देने पहुंचे श्रद्धालु

होशंगाबाद नर्मदा नदी के सेठानी घाट पर शुक्रवार को बड़ी संख्या में लोग पहुंचे और सूर्य को अर्घ्य देकर पूजा अर्चना की.

Chhath Puja
छठ पूजा
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Published : Nov 21, 2020, 7:37 AM IST

होशंगाबाद। चार दिन तक चलने वाले छठ महापर्व का शुक्रवार को तीसरा दिन रहा. शुक्रवार शाम को डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के लिए बड़ी संख्या में लोग नर्मदा नदी के सेठानी घाट पर पहुंचे, उगते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा तो कई व्रतों और त्योहारों में है, लेकिन डूबते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा केवल छठ में ही है.

सेठानी घाट पर बड़ी संख्या मे महिलाएं सहित परिवारजन दोपहर से पहुंचने लगे थे. शाम को सूरज डूबने के साथ ही नर्मदा नदी में उतरकर सूर्य को अर्घ्य देते रहे. इस दौरान पूजा के लिए बांस की टोकरी को फलों चावल के लड्डू और पूजा के सामानों से सजाया गया था. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सायं काल में सूर्य अपनी पत्नी पति उषा के साथ रहते हैं, इसलिए छठ पूजा में शाम के समय सूर्य की अंतिम किरण प्रत्यूषा को अर्घ्य देकर उनकी उपासना की जाती है. कहा जाता है कि इससे व्रत रखने वाली महिलाओं को दोहरा लाभ मिलता है, जो महिलाएं डूबते सूर्य की उपासना करती हैं, उन्हें उगते सूर्य की उपासना जरूर करनी पड़ती है.

आज सुबह उगते सूर्य की पूजा

महिलाएं आज निर्जल व्रत कर सुबह उगते सूर्य कीं, उपासना के लिए व्रत महिलाएं नर्मदा नदी के सेठानी घाट पहुंची और विधि विधान से पूजा अर्चना की. चार दिन तक चलने वाली इस पूजन का समापन आज सुबह पूजा करने के साथ ही समाप्त हुआ.

नहीं दिखा कोरोना का असर

घाट पर बड़ी संख्या में महिलाएं पहुंची, साथ ही अधिकांश महिलाएं बिना मास्क के ही घाट पर पूजा करती हुई दिखी, इस दौरान कोरोना को लेकर एहतियात नहीं बरती गई.

होशंगाबाद। चार दिन तक चलने वाले छठ महापर्व का शुक्रवार को तीसरा दिन रहा. शुक्रवार शाम को डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के लिए बड़ी संख्या में लोग नर्मदा नदी के सेठानी घाट पर पहुंचे, उगते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा तो कई व्रतों और त्योहारों में है, लेकिन डूबते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा केवल छठ में ही है.

सेठानी घाट पर बड़ी संख्या मे महिलाएं सहित परिवारजन दोपहर से पहुंचने लगे थे. शाम को सूरज डूबने के साथ ही नर्मदा नदी में उतरकर सूर्य को अर्घ्य देते रहे. इस दौरान पूजा के लिए बांस की टोकरी को फलों चावल के लड्डू और पूजा के सामानों से सजाया गया था. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सायं काल में सूर्य अपनी पत्नी पति उषा के साथ रहते हैं, इसलिए छठ पूजा में शाम के समय सूर्य की अंतिम किरण प्रत्यूषा को अर्घ्य देकर उनकी उपासना की जाती है. कहा जाता है कि इससे व्रत रखने वाली महिलाओं को दोहरा लाभ मिलता है, जो महिलाएं डूबते सूर्य की उपासना करती हैं, उन्हें उगते सूर्य की उपासना जरूर करनी पड़ती है.

आज सुबह उगते सूर्य की पूजा

महिलाएं आज निर्जल व्रत कर सुबह उगते सूर्य कीं, उपासना के लिए व्रत महिलाएं नर्मदा नदी के सेठानी घाट पहुंची और विधि विधान से पूजा अर्चना की. चार दिन तक चलने वाली इस पूजन का समापन आज सुबह पूजा करने के साथ ही समाप्त हुआ.

नहीं दिखा कोरोना का असर

घाट पर बड़ी संख्या में महिलाएं पहुंची, साथ ही अधिकांश महिलाएं बिना मास्क के ही घाट पर पूजा करती हुई दिखी, इस दौरान कोरोना को लेकर एहतियात नहीं बरती गई.

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