होशंगाबाद। लॉकडाउन की वजह से हर वर्ग के लोगों को परेशानी से जूझना पड़ा. इसमें एक वर्ग भिक्षुक और भिखारियों का भी है. भीख मांगने वाले भिखारी भी लॉकडाउन से काफी प्रभावित हुए हैं. शायद यही वजह है कि अनलॉक के बाद भीख मांगने वाले बच्चों की संख्या में भी इजाफा हुआ है.
बात अगर होशंगाबद की करें तो यहां पिछले छह महीने में भीख मांगने वाले बच्चों की संख्या तेजी से बढ़ी है. इसमें कुछ ऐसे बच्चे भी हैं, जिनका अपना कोई नहीं है, ऐसे में हालात में उन्हें भीख मांग कर ही अपना जीवन यापन करना पड़ रहा है. जबकि ऐसे भी कई बच्चे हैं, जिनके मां-बाप उनसे ये काम करवा रहे हैं.
बाल संरक्षण आयोग और चाइल्ड लाइन ने पिछले चार महीने में ऐसे बच्चों को बचाया है, जो भीख मांगते थे. चाइल्ड लाइन के सिटी डारेक्टर सुनील दीक्षित की मानें तो कोरोना काल में 72 बच्चों को बाल कल्याण समिति के सामने प्रस्तुत कर उनके परिजनों को सौंपा गया है, जबकि 111 मिसिंग बच्चों की तलाश की जा रही है, वहीं 61 बच्चों को मेडिकल सुविधाएं भी दी गई हैं.
भिक्षावृत्ति के पीछे बड़ा गिरोह सक्रिय!
चाइल्ड लाइन के अधिकारियों ने आशंका जताई है कि पूरे होशंगाबाद में भिक्षावृत्ति करवाने वाले गिरोह सक्रिय हैं, जो बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं. हालांकि चाइल्ड लाइन भीख मांगने वाले बच्चों को पकड़कर उनके परिजनों के पास पहुंचाती है और परिजनों की काउंसलिंग की जाती है. चाइल्ड लाइन के अधिकारी भीख मांगने वाले बच्चों को परिजनों को समझाइश भी दे रहे हैं.
क्या कहती है पुलिस
मामले में एडिशनल एसपी अवधेश प्रताप सिंह का कहना है कि अभी तक जिले मे ऐसी कोई सक्रिय गैंग पकड़ मे नहीं आई है, जो बच्चों से भीख मंगवाने जैसा काम करती हो. पुलिस अधिकारियों का कहना है कि शहर में गरीब महिलाएं अपने बच्चों से भीख मंगवाने का काम करती हैं. ऐसे लोगों को समझाइश देकर उनकी मदद की जाती है. पुलिस अधिकारियों का कहना है कि अगर भीख मंगवाने के पीछे कोई गिरोह सक्रिय है तो उसकी जांच की जाएगी और मामला सामने आने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
ईटीवी भारत ने की पड़ताल
अधिकारी भले ही कुछ कहें, लेकिन ईटीवी भारत ने पड़ताल में पाया गया कि जिले में दर्जनों बच्चे भीख मांगते पाए गए हैं. ऐसे में जिम्मेदारों को चाहिए कि मासूम बच्चों के भविष्य से खिलावाड़ न हो, इसके लिए ठोस कदम उठाए जाएं.