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गौशालाओं पर लटके ताले, अवारा पशुओं की तरह गलियों में घूम रहीं गौमाता

होशंगाबाद में 14 में से 10 गौशालाएं बनकर तैयार हो गई हैं, उसके बावजूद वहां ताले लटके हैं, जिसकी वजह से गाय सड़कों पर आवार पशुओं की तरह घूम रही हैं.

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गौशाला नहीं सड़क है ठिकाना
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Published : Jul 9, 2020, 3:16 PM IST

Updated : Jul 10, 2020, 5:36 PM IST

होशंगाबाद। भले ही गाय को माता मानकर पूजा जाता है, लेकिन अब गाय की हालत ऐसी हो गई है कि सड़कों पर उनकी मौत हो जाती है, लेकिन उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है. जिस पूज्यनीय गाय को मां का दर्जा दिया गया है, वो आज समाज के लिए एक समस्या बन गई है. आधुनिकता की ओर बढ़ते कदम ने जहां ग्रामीणों की शैली में बदलाव ला दिया है, वहीं खेती-किसानी में भी परंपरागत संसाधन दूर हो गए हैं. यही वजह है कि अब गाय घर के खूटों में बंधी रहने की बजाय गलियों में घूमती नजर आती है. हालांकि, पिछली सरकार ने हर जिले में गौशाला बनाने के निर्देश दिए थे और बड़ी संख्या में गौशाला भी लगभग बनकर तैयार हो गई है, लेकिन सरकार बदलते ही सबकुछ बदल गया है.

गौशाला नहीं सड़क है ठिकाना

जिले में 14 गौशाला बनाने का लक्ष्य डेढ़ साल पहले रखा गया था, जिसमें से 10 गौशाला जिले के अलग-अलग क्षेत्रों में तैयार हो चली है, जबकि चार गौशालाओं में भी अंतिम चरण का काम चल रहा है, जो जल्द ही पूरा हो जाएगा. इन गौशालाओं पर प्रशासन के आदेश नहीं होने के चलते ताला लगा है. ग्राम पंचायत की समितियों द्वारा इन गौशालाओं का संचालन किया जाना है, जिसमें प्रत्येक गौशाला में 100 गायों को रखने की व्यवस्था की गई है. लेकिन ये गौशाला प्रशासन के आदेश के अभाव में खाली पड़ी है. वहीं सड़कों पर बड़ी संख्या में मवेशी विचरण कर रहे हैं, जिसके चलते दुर्घटनाओं का दौर जारी है. इस वजह से गोवंश सहित आम लोग भी चपेट में आ रहे हैं और लगातार गायों की मौत के साथ ही लोगों की भी मौत हो रही है.

ये भी पढ़ें- 250 रूपये का टिकट लेकर जेल पहुंचा यूपी का कुख्यात हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे

गाय शहर के हाइवे सहित नगर की सड़कों पर आवारा मवेशियों की तरह घूमती रहती है. साथ ही रोड पर ही बैठ जाती है, जिसके चलते बड़ी दुर्घटनाओं का अंदेशा बना रहता है. गायों के झुंड के झुंड बैठने के चलते जाम की स्थिति भी सड़क पर कई बार बन जाती है. लंबे समय से गौसेवा कर रहे आयुष का कहना है कि प्रतिदिन उनके संगठन के पास चार से पांच गाय के घायल होने की सूचना आती है, जिनमें से करीब 3 गायों की मौत मौके पर ही हो जाती है. लगातार गायों की मौत भी वाहन दुर्घटना के चलते बढ़ रही है.

किसान के लिए गौवंश बना समस्या

किसी जमाने में गाय किसानों के लिए आय का प्रमुख साधन होती थी, अब किसानों के लिए सिरदर्द बन चुकी है. गोवंश की लगातार बढ़ती संख्या के चलते ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी तादाद में गाय खेतों में चरने चली जाती हैं, जिसके चलते फसल को नुकसान होता है. ग्रामीण गोवंश की समस्या से काफी परेशान हैं. ऐसे ही किसान संतोष पटवारे बताते हैं कि गाय आस्था का केंद्र है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में एक बड़ी समस्या बन गई है. हजारों की संख्या में गाय को एक गांव से दूसरे गांव तक भगाया जाता है.

वहीं बंद पड़ी गौशालाओं पर CEO जिला पंचायत मनोज सरयाम का कहना है कि एक से दो हफ्ते में गौशाला शुरू कर दी जाएगी.

होशंगाबाद। भले ही गाय को माता मानकर पूजा जाता है, लेकिन अब गाय की हालत ऐसी हो गई है कि सड़कों पर उनकी मौत हो जाती है, लेकिन उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है. जिस पूज्यनीय गाय को मां का दर्जा दिया गया है, वो आज समाज के लिए एक समस्या बन गई है. आधुनिकता की ओर बढ़ते कदम ने जहां ग्रामीणों की शैली में बदलाव ला दिया है, वहीं खेती-किसानी में भी परंपरागत संसाधन दूर हो गए हैं. यही वजह है कि अब गाय घर के खूटों में बंधी रहने की बजाय गलियों में घूमती नजर आती है. हालांकि, पिछली सरकार ने हर जिले में गौशाला बनाने के निर्देश दिए थे और बड़ी संख्या में गौशाला भी लगभग बनकर तैयार हो गई है, लेकिन सरकार बदलते ही सबकुछ बदल गया है.

गौशाला नहीं सड़क है ठिकाना

जिले में 14 गौशाला बनाने का लक्ष्य डेढ़ साल पहले रखा गया था, जिसमें से 10 गौशाला जिले के अलग-अलग क्षेत्रों में तैयार हो चली है, जबकि चार गौशालाओं में भी अंतिम चरण का काम चल रहा है, जो जल्द ही पूरा हो जाएगा. इन गौशालाओं पर प्रशासन के आदेश नहीं होने के चलते ताला लगा है. ग्राम पंचायत की समितियों द्वारा इन गौशालाओं का संचालन किया जाना है, जिसमें प्रत्येक गौशाला में 100 गायों को रखने की व्यवस्था की गई है. लेकिन ये गौशाला प्रशासन के आदेश के अभाव में खाली पड़ी है. वहीं सड़कों पर बड़ी संख्या में मवेशी विचरण कर रहे हैं, जिसके चलते दुर्घटनाओं का दौर जारी है. इस वजह से गोवंश सहित आम लोग भी चपेट में आ रहे हैं और लगातार गायों की मौत के साथ ही लोगों की भी मौत हो रही है.

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गाय शहर के हाइवे सहित नगर की सड़कों पर आवारा मवेशियों की तरह घूमती रहती है. साथ ही रोड पर ही बैठ जाती है, जिसके चलते बड़ी दुर्घटनाओं का अंदेशा बना रहता है. गायों के झुंड के झुंड बैठने के चलते जाम की स्थिति भी सड़क पर कई बार बन जाती है. लंबे समय से गौसेवा कर रहे आयुष का कहना है कि प्रतिदिन उनके संगठन के पास चार से पांच गाय के घायल होने की सूचना आती है, जिनमें से करीब 3 गायों की मौत मौके पर ही हो जाती है. लगातार गायों की मौत भी वाहन दुर्घटना के चलते बढ़ रही है.

किसान के लिए गौवंश बना समस्या

किसी जमाने में गाय किसानों के लिए आय का प्रमुख साधन होती थी, अब किसानों के लिए सिरदर्द बन चुकी है. गोवंश की लगातार बढ़ती संख्या के चलते ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी तादाद में गाय खेतों में चरने चली जाती हैं, जिसके चलते फसल को नुकसान होता है. ग्रामीण गोवंश की समस्या से काफी परेशान हैं. ऐसे ही किसान संतोष पटवारे बताते हैं कि गाय आस्था का केंद्र है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में एक बड़ी समस्या बन गई है. हजारों की संख्या में गाय को एक गांव से दूसरे गांव तक भगाया जाता है.

वहीं बंद पड़ी गौशालाओं पर CEO जिला पंचायत मनोज सरयाम का कहना है कि एक से दो हफ्ते में गौशाला शुरू कर दी जाएगी.

Last Updated : Jul 10, 2020, 5:36 PM IST
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