हरदा। कोरोना महामारी के चलते कुम्हारों का व्यापार चौपट हो गया है. इन परिवारों पर मिट्टी के बर्तनों को बनाने के लिए लिया गया कर्ज बढ़ता जा रहा है. बर्तनों की बिक्री नहीं होने से कुम्हारों के परिवारों को दो वक्त की रोटी के लिए जूझना पड़ रहा है. घर के खर्च के लिए दूसरों के आगे हाथ पसारने पड़ रहे हैं. सरकार ने छोटे व्यापारियों को बिना गारंटी के 10 हजार का कर्ज देने की बात कही थी, जिस पर कुम्हारों ने नाराजगी जताते हुए सरकार से कर्ज की बजाए आर्थिक मदद दिए जाने की मांग की है.
दरअसल, जिले में करीब 500 परिवार मिट्टी के बर्तन के व्यापार से जुड़े हैं. दीपावली के दौरान तेज बारिश होने से इन व्यापारियों के मिट्टी के दीपक और मूर्तियां नहीं बिक पाई थीं. वहीं कोरोना वायरस के चलते दुकाने बंद होने से बिक्री नहीं हुई, जिसकी वजह से इन लोगों को कर्ज को चुकाने की चिंता सताने लगी है.
राजीव गांधी पंचायती प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष हेमंत टाले ने मिट्टी के बर्तनों को बनाने वाले और व्यापार करने वाले लोगों की परेशानियों को सुना. इन परिवारों के सदस्यों का कहना है कि धंधा चौपट होने की वजह से उन्होंने पूर्व में जो कर्ज लिया था, उसे चुकाने की चिंता सता रही है और इसी परेशानी से राहत पाने के लिए कुम्हारों ने आर्थिक मदद की मांग की है.