हरदा। जिला शिक्षा विभाग में आए एक पत्र ने हड़कंप मचा दिया है. भोपाल लोक शिक्षण आयुक्त के नाम से जारी हुए इस पत्र में शासकीय सील भी लगी हुई है. पत्र में जिले के डीपीसी द्वारा शिक्षिकाओं को शैक्षणिक व्यवस्था के नाम पर दूसरी शालाओं में पदस्थ कर मानसिक रूप से परेशान किए जाने की शिकायत की गई है.
पत्र में दिए गए ये आदेश
पत्र में कहा गया है कि शैक्षणिक व्यवस्था के नाम पर या अन्य प्रकार से महिला शिक्षकों को अध्यापन कार्य के लिए बाहरी शालाओं में नहीं भेजा जा सकता. सोशल मीडिया पर वायरल पत्र के मुताबिक किसी भी परिस्थिति में शिक्षिकाओं को शाम 4:30 बजे बाद शाला में नहीं रोका जाए.
जांच के बाद पाया गया फर्जी
कलेक्टर, जिला पंचायत सीईओ, जिला परियोजना समन्वयक, जिला शिक्षा अधिकारी, ब्लॉक शिक्षा अधिकारी के नाम से जारी इस फर्जी आदेश में कमिश्नर की सील और साइन भी हैं. हालांकि कलेक्टर और अतिरिक्त जिला परियोजना समन्वयक अधिकारी ने इस आदेश को जांच के बाद फर्जी पाया है.
यहां से जारी हुआ आदेश
इस पूरे मामले में जांच के बाद कठोर कार्रवाई करने की बात भी कही गई है. आदेश 13 नवंबर को कवर लेटर के जरिए शिक्षा विभाग से जुड़े वाट्सएप ग्रुप में जारी किया गया है. सूत्रों के मुताबिक लोक शिक्षण संचालनालय भोपाल के नाम से भेजा गया या पत्र 7 नवम्बर को भोपाल न्यू मार्केट टीटी नगर जीपीओ से स्पीड पोस्ट द्वारा हरदा भेजा गया था. हरदा जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय को 13 नवंबर को यह पत्र मिला. फिर उसे सत्यापन के लिए भोपाल लोक शिक्षण कार्यालय भेजा गया, जहां से इस तरह का आदेश पत्र जारी नहीं होने की बात कही गई.
कलेक्टर ने दिए कड़ी कार्रवाई के निर्देश
मामले में लोक शिक्षण संचालनालय अधिकारी ने भोपाल के जिला शिक्षा अधिकारी को स्थानीय थाने में प्राथमिकी दर्ज कराने के निर्देश दिए हैं. कलेक्टर एस विश्वनाथन ने शिक्षा विभाग के अधिकारी को बदनाम करने की साजिश करार दिया है. उन्होंने कहा कि कोई भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहा है. फिलहाल इस मामले में FIR दर्ज करने के साथ कलेक्टर ने दोषियों पर सख्त कार्रवाई करने की बात भी कही है.