हरदा। कृषि विभाग ने किसानों को सलाह दी है कि यदि कहीं उन्हें खेत के आसपास टिड्डियों का दल दिखाई देता है तो उस दौरान किसान थालियां, ढोल, डीजे, खाली टीन के डिब्बे बजाकर टिड्डी दल को आगे भगा सकते हैं. साथ ही किसान खेत में पटाखे फोड़कर और ट्रैक्टर के साइलेंसर से आवाज करके टिड्डी दल को आगे की तरफ भगा सकते हैं.
कृषि विभाग के मुताबिक टिड्डी दल का आगमन शाम 6:00 से 8:00 के बीच होता है और सुबह 7:00 बजे के बाद दूसरे स्थान के लिए प्रस्थान करता है. ऐसी स्थिति में टिड्डी दल से फसलों को बचाने के लिए उसी रात में सुबह 3:00 बजे से 7:30 बजे तक बताए गए तरीकों से टिड्डी दल पर नियंत्रण कर खेत में लगी फसलों को बचाया जा सकता है.
कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. मुकेश बाकोलिया ने बताया कि टिड्डी दल के प्रकोप से बचाव के लिए किसानों को रासायनिक दवाइयों का भी प्रयोग किया जा सकता है, यदि हरदा में टिड्डी दल का प्रकोप होता है. उस दौरान किसान ट्रैक्टर माउंटेन स्प्रेयर पंप में क्लोरोपायरीफास 20 प्रतिशत ईसी, 1200 एमएल या डेल्टामेथ्रिन 2.8 प्रतिशत ईसी 625 एमएल या डाईफ्यूलबेंजुरान 25 प्रतिशत डब्ल्यूपी 120 एमएल इनमें से किसी एक दवा को 500 से 600 लीटर पानी में घोल कर टिड्डियों के ऊपर छिड़काव करें.
टिड्डी दल का सफर
इस साल 11 अप्रैल को राजस्थान से चला टिड्डी दल मध्य प्रदेश के नीमच और उज्जैन जिले से होता हुआ पड़ोसी जिले देवास के कन्नौद तक पहुंच गया है. इसकी जानकारी मिलते ही कृषि विभाग के साथ-साथ किसानों को भी चिंता सताने लगी है, हरदा जिले में किसानों ने गर्मी के सीजन में मूंग की फसल को लगभग 77 हजार हेक्टेयर में लगाई है हालांकि कुछ किसानों की मूंग की फसल कट चुकी है, लेकिन अभी भी सैकड़ों किसानों की फसल खेतों में लगी हुई है.
मूंग किसानों की चिंता
टिड्डी दल को लेकर किसानों के साथ-साथ कृषि विभाग की चिंता भी बढ़ गई है, हरदा में मूंग की फसल के उत्पादन से किसानों को अच्छी आमदनी की आस है, पर टिड्डी दल के प्रकोप से उनकी उम्मीद पर पानी फिरता नजर आ रहा है, कृषि विभाग जिले के सभी किसानों से टिड्डी दल के प्रकोप से निपटने के लिए अपने खेतों पर सतत निगरानी रखने के साथ-साथ पूरे समय सतर्क रहने की अपील की है.