ग्वालियर। देश की एक मात्र महिला एनसीसी ऑफिसर ट्रेनिंग अकादमी हमेशा से प्रदेश ही नहीं बल्कि देश में भी ग्वालियर का नाम रोशन करती रही है. एनसीसी ट्रेनिंग अकादमी में महिलाओं को सशक्त बनाने में अहम योगदान रखती है. अब तक ट्रेनिंग अकादमी हजारों महिलाओं को ऑफिसर बना चुकी है. यहां सामान्य तरीके से महिलाएं आती हैं, और तीन महीने की ट्रेनिंग के बाद वह कदम से कदम मिलाकर सामना करती हैं. ग्वालियर एनसीसी अकादमी की स्थापना 10 जुलाई 1964 में हुई थी.
देश का गौरव बढ़ा रही है महिला एनसीसी ट्रेनिंग अकादमी
यहां हजारों की संख्या में महिलाएं ट्रेनिंग लेकर अधिकारी बनती हैं. एनसीसी महिला ट्रेनिंग अकादमी में देश के हर कोने से महिलाएं आकर ट्रेंनिंग लेती हैं. उसके बाद यहां से बाहर निकलकर ऑफिसर बनती हैं. कड़ी मेहनत के बाद महिलाएं यहां अपने आपको तैयार करती हैं.
1964 में हुई थी एनसीसी महिला ट्रेनिंग अकादमी की शुरुआत
देश की एकमात्र एनसीसी महिला ट्रेनिंग अकादमी की शुरुआत एनसीसी कॉलेज ऑफ वूमेन के तौर पर सन् 1964 में हुई थी. यह देश की पहली एनसीसी महिला ट्रेनिंग अकादमी है. एनसीसी महिला ट्रेनिंग अकादमी में सन् 1965 में महिला का पहला बैच पास आऊट हुआ था. 1982 में रीडिजाइन कर ऑफिसर ट्रेनिंग स्कूल बनाया गया.
देश का सबसे बड़ा युवा बल
बता दें कि एनसीसी देश का सबसे बड़ा युवा बल है. आज देश में लगभग 18 लाख तक एनसीसी कैडेट्स हैं. आगे आने वाले समय में इनकी संख्या 25 लाख तक हो जाएगी. ग्वालियर की इस अकादमी में ट्रेनिंग सैन्य तरह से होती है. यहां कैडेट्स को हथियार चलाने से लेकर युद्ध तक के प्रशिक्षण दिये जाते हैं.
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ट्रेनिंग सेंटर में महिला कैडेट्स को घंटों जंगलों में पैदल चलाया जाता है. इसके साथ ही बंदूकें और बड़े हथियार चलवाए जाते हैं. यह प्रैक्टिस कोई एक दिन की नहीं होती, बल्कि महीनों चलती है. तीन महीने तक लंबी चलने वाले इस प्रशिक्षण में महिला कैडेट्स को बतौर एनसीसी अफसर कमीशन मिलता है. इसके बाद यह एनसीसी अफसर देश के अन्य कॉलेजों में जाकर नए कैडेट तैयार करते हैं.