ग्वालियर। जिले में कोरोना अवधि में दिव्यांग बच्चों की शिक्षा कैसे अच्छी रह सके, इसको लेकर एक वेबिनार का आयोजन किया गया. जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में डॉक्टर उमा तुली और अंतरराष्ट्रीय तैराक सत्येंद्र लोहिया मौजूद थे. इसके अलावा देश के 10 राज्यों के प्रतिभागियों ने इस वेबिनार में शिरकत की.
महिला समाज सेवी उमा तुली ने कहा कि शासन दिव्यांग लोगों के उत्थान के लिए कई नीतियां बनाता है, आरपीडब्ल्यूडी एक्ट और नई शिक्षा नीति में इसका उल्लेख भी है, लेकिन नीतियों के सही क्रियान्वयन नहीं होने के कारण दिव्यांगों को पूरा लाभ नहीं मिल पाता है और वो देश के विकास में अपना योगदान नहीं कर पाते हैं. इसलिए आवश्यकता है दृष्टिकोण में बदलाव की.
5 महीने से दिव्यांग छात्र शिक्षा की मुख्यधारा से वंचित हो गए हैं. कुछ महीनों से अनिश्चितता की स्थिति है. छात्रों को मुख्य धारा से जुड़ने और उनका शैक्षणिक स्तर भी बराबर रहे, इसके लिए इस वेबिनार का आयोजन किया गया था.
अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग तैराक सत्येंद्र लोहिया ने कहा कि सरकार को ग्रामीण अंचल में छुपी हुई, प्रतिभाओं को पहचान कर उन्हें एक मंच देना चाहिए. उन्होंने बताया कि वो मुरार तहसील से 15 किलोमीटर गांव में रहते हैं. उन्होंने बैसली नदी में तैराकी की थी, लेकिन उन्हें फिजिकल कॉलेज के शिक्षक डबास के सहयोग से इंग्लिश चैनल और कैटरीना चैनल पार करने में सफलता मिली.