ग्वालियर। 10 साल पहले भीषण अग्निकांड की भेंट चढ़ी विक्टोरिया मार्केट को करोड़ों रुपए की लागत से एक बार फिर से उसके पुराने स्वरूप में लौटाया गया है. कभी यहां कपड़ा और पुस्तक बाजार आबाद हुआ करता था, लेकिन अब भू-विज्ञान संग्रहालय खोला जा रहा है, जहां लोगों को सौर मंडल के अलावा भू-गर्भ विज्ञान की जानकारियां दी जायेगी.
2010 में 4 और 5 जून की दरम्यानी रात विक्टोरिया मार्केट में भीषण आग लग गई थी, जिसकी वजह से करीब डेढ़ सौ स्टेशनरी और रेडीमेड कपड़ों की दुकानें पूरी तरह जल गई थी. आधा मार्केट इस अग्निकांड की भेंट चढ़कर खंडहर में तब्दील हो गया था. यहां के करीब 150 परिवारों को अपने पुनर्वास के लिए लंबा संघर्ष करना पड़ा था. हालांकि, बाद में फूलबाग स्थित नई विक्टोरिया मार्केट विस्थापित की गई थी.
इस विशाल और ऐतिहासिक विक्टोरिया मार्केट का निर्माण 150 साल पहले तत्कालीन सिंधिया रियासत के महाराजा जीवाजी राव सिंधिया ने कराया था. इंडो ब्रिटिश शैली के इस मार्केट की भव्यता देखते ही बनती है. 8 साल से लगातार चल रहे जीर्णोद्धार का कार्य अब पूरा होने जा रहा है.
जिला प्रशासन ने भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण के साथ संग्रहालय के निर्माण के लिए एमओयू साइन किया है. भू-विज्ञान संग्रहालय में 3-डी थियेटर, लाइब्रेरी और 5 गैलरी भी बनाई जा रही है, जिनमें ज्वालामुखी, भूकंप, ब्रह्मांड, सौर मंडल और ग्रहों की जानकारी दी जाएगी.
इसके अलावा खनिजों का वर्गीकरण चित्रण, उपयोगिता और खनिजों के उत्खनन की जानकारी भी इस संग्रहालय में उपलब्ध होगी. भौगोलिक रूप से पाए जाने वाले खनिजों और चट्टानों की जानकारी भी म्यूजियम में दी जाएगी. यह जूलॉजिकल म्यूजियम जल्द ही लोगों के लिए एक भव्य आकर्षण का केंद्र बनेगा. इसके जीर्णोद्धार में करीब 5 करोड़ रुपये खर्च किया जा चुका है.