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MP की अटल शख्सियत थे पूर्व पीएम अटल, देश भर में बिखेरी चमक - एमपी

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म मध्यप्रदेश के ग्वालियर में हुआ था. जन्मभूमि होने की वजह से मध्यप्रदेश से पूर्व प्रधानमंत्री का गहरा नाता था. मध्यप्रदेश का ऐसा कोई शहर नहीं जिसमें उनकी यादें न समाई हों

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी
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Published : Feb 9, 2019, 4:30 AM IST

भोपाल। अटल बिहारी वाजपेयी, भारतीय राजनीति की उन शख्सियतों में से एक थे जिनका गुणगान उनके दुश्मन भी करते हैं. हम में से ज्यादातर लोग गर्व से बताते हैं कि हमारी जन्मभूमि कहां है, लेकिन अटल जी वो शख्सियत थे, जिनके लिए उनकी जन्मस्थली के लोग गर्व से कहते हैं कि जहां से हम हैं वहीं से अटल जी भी हैं.

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी
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अटल बिहारी वाजपेयी का नाम लेते ही, मध्यप्रदेश के हर नागरिक का सीना चौड़ा हो जाता है. वो गर्वीले अंदाज में कहता है कि अटल बिहारी वाजपेयी मध्यप्रदेश से थे. ग्वालियर वो शहर है जहां प्रदेश के इस अनमोल रत्न का बचपन बीता था. यूं तो अटल बिहारी वाजपेयी पूरे भारत को अपना घर मानते थे, लेकिन जन्मभूमि होने की वजह से मध्यप्रदेश से उन्हें गहरा लगाव था. मालवा के पठारों से लेकर चंबल के बीहड़ों तक, मध्यप्रदेश का ऐसा कोई शहर नहीं जिसमें अटलजी की यादें न समाई हों.

इसे मध्यप्रदेश की माटी से मिले मूल्य कहें या उनके खुद के संस्कार लेकिन, जिस वक्त छुटभैयों से लेकर सत्ता के शिखर तक पहुंच रखने वाले नेता भी खुद ही सब कुछ होने का गुमान पालते हों, उस वक्त में अटल बिहारी वाजपेयी जैसा कवि हृदय नेता ही कह सकता है कि-

'मेरे प्रभु! मुझे इतनी ऊंचाई कभी मत देना,

गैरों को गले न लगा सकूं, इतनी रुखाई कभी मत देना'

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अपने भाषणों से विरोधियों को भी अपना बनाने वाले अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने दिल से कभी देश के दिल को अलग नहीं होने दिया. मध्यप्रदेश से उनका जुड़ाव इतना था कि खाने-पीने की चीजों से लेकर यहां के अलग-अलग हिस्सों की बोलियां भी उनकी जुबान पर रहती थीं. ये अटल बिहारी वाजपेयी की शख्सियत का ही कमाल है कि उनके दुनिया से चले जाने के बाद भी उनकी यादें यहां के लोगों के दिलों में जिंदा हैं.

भोपाल। अटल बिहारी वाजपेयी, भारतीय राजनीति की उन शख्सियतों में से एक थे जिनका गुणगान उनके दुश्मन भी करते हैं. हम में से ज्यादातर लोग गर्व से बताते हैं कि हमारी जन्मभूमि कहां है, लेकिन अटल जी वो शख्सियत थे, जिनके लिए उनकी जन्मस्थली के लोग गर्व से कहते हैं कि जहां से हम हैं वहीं से अटल जी भी हैं.

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अटल बिहारी वाजपेयी का नाम लेते ही, मध्यप्रदेश के हर नागरिक का सीना चौड़ा हो जाता है. वो गर्वीले अंदाज में कहता है कि अटल बिहारी वाजपेयी मध्यप्रदेश से थे. ग्वालियर वो शहर है जहां प्रदेश के इस अनमोल रत्न का बचपन बीता था. यूं तो अटल बिहारी वाजपेयी पूरे भारत को अपना घर मानते थे, लेकिन जन्मभूमि होने की वजह से मध्यप्रदेश से उन्हें गहरा लगाव था. मालवा के पठारों से लेकर चंबल के बीहड़ों तक, मध्यप्रदेश का ऐसा कोई शहर नहीं जिसमें अटलजी की यादें न समाई हों.

इसे मध्यप्रदेश की माटी से मिले मूल्य कहें या उनके खुद के संस्कार लेकिन, जिस वक्त छुटभैयों से लेकर सत्ता के शिखर तक पहुंच रखने वाले नेता भी खुद ही सब कुछ होने का गुमान पालते हों, उस वक्त में अटल बिहारी वाजपेयी जैसा कवि हृदय नेता ही कह सकता है कि-

'मेरे प्रभु! मुझे इतनी ऊंचाई कभी मत देना,

गैरों को गले न लगा सकूं, इतनी रुखाई कभी मत देना'

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अपने भाषणों से विरोधियों को भी अपना बनाने वाले अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने दिल से कभी देश के दिल को अलग नहीं होने दिया. मध्यप्रदेश से उनका जुड़ाव इतना था कि खाने-पीने की चीजों से लेकर यहां के अलग-अलग हिस्सों की बोलियां भी उनकी जुबान पर रहती थीं. ये अटल बिहारी वाजपेयी की शख्सियत का ही कमाल है कि उनके दुनिया से चले जाने के बाद भी उनकी यादें यहां के लोगों के दिलों में जिंदा हैं.

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MP की अटल शख्सियत थे पूर्व पीएम अटल, देश भर में बिखेरी चमक

 



भोपाल। अटल बिहारी वाजपेयी, भारतीय राजनीति की उन शख्सियतों में से एक थे जिनका गुणगान उनके दुश्मन भी करते हैं. हम में से ज्यादातर लोग गर्व से बताते हैं कि हमारी जन्मभूमि कहां है, लेकिन अटल जी वो शख्सियत थे, जिनके लिए उनकी जन्मस्थली के लोग गर्व से कहते हैं कि जहां से हम हैं वहीं से अटल जी भी हैं. 



अटल बिहारी वाजपेयी का नाम लेते ही, मध्यप्रदेश के हर नागरिक का सीना चौड़ा हो जाता है. वो गर्वीले अंदाज में कहता है कि अटल बिहारी वाजपेयी मध्यप्रदेश से थे. ग्वालियर वो शहर है जहां प्रदेश के इस अनमोल रत्न का बचपन बीता था. यूं तो अटल बिहारी वाजपेयी पूरे भारत को अपना घर मानते थे, लेकिन जन्मभूमि होने की वजह से मध्यप्रदेश से उन्हें गहरा लगाव था. मालवा के पठारों से लेकर चंबल के बीहड़ों तक, मध्यप्रदेश का ऐसा कोई शहर नहीं जिसमें अटलजी की यादें न समाई हों. 



इसे मध्यप्रदेश की माटी से मिले मूल्य कहें या उनके खुद के संस्कार लेकिन, जिस वक्त छुटभैयों से लेकर सत्ता के शिखर तक पहुंच रखने वाले नेता भी खुद ही सब कुछ होने का गुमान पालते हों, उस वक्त में अटल बिहारी वाजपेयी जैसा कवि हृदय नेता ही कह सकता है कि-

'मेरे प्रभु! मुझे इतनी ऊंचाई कभी मत देना, 

गैरों को गले न लगा सकूं, इतनी रुखाई कभी मत देना'





अपने भाषणों से विरोधियों को भी अपना बनाने वाले अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने दिल से कभी देश के दिल को अलग नहीं होने दिया. मध्यप्रदेश से उनका जुड़ाव इतना था कि खाने-पीने की चीजों से लेकर यहां के अलग-अलग हिस्सों की बोलियां भी उनकी जुबान पर रहती थीं. ये अटल बिहारी वाजपेयी की शख्सियत का ही कमाल है कि उनके दुनिया से चले जाने के बाद भी उनकी यादें यहां के लोगों के दिलों में जिंदा हैं. 


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