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Tokyo Paralympics 2021: ग्वालियर के अजीत ने बढ़ाई प्रदेश की शान, संघर्ष और जुनून की है रोचक दास्तान - International paralympic committee

अपने नाम के अनुरूप ही अजीत ने खुद को साबित कर दिया है. परिस्थितियों से हार नहीं मानी, अपराजित रहे और वो हासिल करने में सफल रहे जिसके लिए प्रयास किया. ग्वालियर के इस युवा खिलाड़ी का चयन टोक्यो पैरालंपिक खेलों के लिए हो गया है.

Ajit singh yadav, paralympic athlete
अजीत, पैरालंपिक में चयन
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Published : Jul 2, 2021, 9:49 AM IST

Updated : Jul 2, 2021, 10:02 AM IST

ग्वालियर। ग्वालियर के दिव्यांग पैरा एथलीट अजीत सिंह यादव (Ajeet singh yadav ) टोक्यो ओलंपिक (Tokyo paralympic 2021) के लिए चयन हो गया है पैरा एथलेटिक्स खिलाड़ी अजीत सिंह ऐसा करने वाले मध्य प्रदेश के पहले एथलीट बन गए हैं. नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में सम्पन्न हुए चयन ट्रायल में 63.96 मीटर जैवलिन थ्रो करते हुए खुद का रिकॉर्ड ब्रेक किया. अभी हाल में ही ग्वालियर की लक्ष्मीबाई नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिकल एजुकेशन से अजीत सिंह पीएचडी कर रहे है.


Tokyo Olympics-2021: होशंगाबाद का लाल, ओलंपिक में करेगा कमाल!

हार न मानने की जिद्द

पैरा एथलेटिक्स खिलाड़ी अजीत सिंह की कहानी हार ना मानने की दास्तां को बयां करती है. साल 2017 में दोस्त को बचाने की जद्दोजहद में अजीत अपना एक हाथ गंवा बैठे. एक साल तक स्वास्थ्य लाभ लिया लेकिन फिर ये आराम बेचैनी में बदल गया. खेल के मैदान ने हमेशा आकर्षित किया था सो, पैरा ओलंपिक एथलीट के तौर पर खुद को साबित करने का संकल्प लिया. अपनी इच्छा सिनीयर्स से साझा की. पहले तो सभी उनकी बात पर हैरान हुए, फिर सब उनकी जिद्द के आगे हार मान गए. सबने मदद करने की ठानी और अजीत के संघर्ष में साथ हो लिए. जैवलिन थ्रो की खूब प्रैक्टिस की और उनकी मेहनत रंग ले आई और 2019 में हुए बीजिंग पैरा एथलेटिक्स ग्रैंड प्रिक्स प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल हासिल कर सूबे का ही नहीं बल्कि देश का नाम ऊंचा कर दिया.

बीजिंग का सिलसिला थमा नहीं (Beijing Olympics)
अजीत सिंह की कामयाबी का सिलसिला थमा नहीं. मई 2019 में चीन के बीजिंग में गोल्ड मेडल के बाद दुबई में भी अपना परचम लहराया. दुबई वर्ल्ड पैरा एथलीट चैंपियनशिप में उन्होंने कांस्य पदक हासिल किया. और इस तरह अजीत प्रदेश के ऐसे इकलौते खिलाड़ी बन गए जिसने पैरालंपिक्स (Tokyo paralympic 2021) में गोल्ड और फिर ब्रॉंज मेडल हासिल किया.

अजीत को पूरा है विश्वास

अजीत मानते हैं कि इस बार भी डगर आसान नहीं होगी. श्रीलंका, मैक्सिको और चीन से अच्छी टक्कर मिलेगी, लेकिन विश्वास है कि कामयाबी हमें जरूर मिलेगी. हमारे इवेंट (जैवलिन थ्रो) में दो मेडल पक्के हैं. देवेंद्र झाझरिया ने चयन ट्रायल में बेहतरीन प्रदर्शन किया है वहीं एक और खिलाड़ी सुंदर और मेरा भी प्रदर्शन बहुत अच्छा रहा है. टोक्यो पैरालम्पिक में देश को हम लोगों से अच्छे नतीजे मिलेंगे.

क्या होता है पैरालम्पिक्स? (What is Paralympic Games)

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाली बहु-खेल प्रतियोगिता है. इसकी शुरुआत द्वितीय विश्व युद्ध में घायल हुए सैनिकों को फिर से मुख्यधारा में लाने के मकसद से की गई थी. पैरालंपिक गेम्स में विभिन्न रूप से दिव्यांग खिलाड़ी भाग लेते हैं। सभी पैरालम्पिक खेल अंतरराष्ट्रीय पैरालैम्पिक कमेटी (IPC) द्वारा शासित होते हैं.

असुविधाजनक मांसपेशियों की शक्ति (जैसे पैरापेलेगिया और क्वाड्रिप्लेजीया, मांसपेशी डिस्ट्रॉफी, पोस्ट-पोलियो सिंड्रोम, स्पाइना बिफिडा), आंदोलन की निष्क्रिय सीमा, अंग की कमी (उदाहरण के लिए विच्छेदन या डिस्मेलिया), पैर लंबाई अंतर, लघु स्तर, हाइपरटोनिया, एटैक्सिया, एथेटोसिस, दृष्टि विकार और बौद्धिक हानि आदि से ग्रस्त व्यक्ति इस विश्व स्तरीय प्रतियोगिता का हिस्सा होते हैं.

ग्वालियर। ग्वालियर के दिव्यांग पैरा एथलीट अजीत सिंह यादव (Ajeet singh yadav ) टोक्यो ओलंपिक (Tokyo paralympic 2021) के लिए चयन हो गया है पैरा एथलेटिक्स खिलाड़ी अजीत सिंह ऐसा करने वाले मध्य प्रदेश के पहले एथलीट बन गए हैं. नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में सम्पन्न हुए चयन ट्रायल में 63.96 मीटर जैवलिन थ्रो करते हुए खुद का रिकॉर्ड ब्रेक किया. अभी हाल में ही ग्वालियर की लक्ष्मीबाई नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिकल एजुकेशन से अजीत सिंह पीएचडी कर रहे है.


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हार न मानने की जिद्द

पैरा एथलेटिक्स खिलाड़ी अजीत सिंह की कहानी हार ना मानने की दास्तां को बयां करती है. साल 2017 में दोस्त को बचाने की जद्दोजहद में अजीत अपना एक हाथ गंवा बैठे. एक साल तक स्वास्थ्य लाभ लिया लेकिन फिर ये आराम बेचैनी में बदल गया. खेल के मैदान ने हमेशा आकर्षित किया था सो, पैरा ओलंपिक एथलीट के तौर पर खुद को साबित करने का संकल्प लिया. अपनी इच्छा सिनीयर्स से साझा की. पहले तो सभी उनकी बात पर हैरान हुए, फिर सब उनकी जिद्द के आगे हार मान गए. सबने मदद करने की ठानी और अजीत के संघर्ष में साथ हो लिए. जैवलिन थ्रो की खूब प्रैक्टिस की और उनकी मेहनत रंग ले आई और 2019 में हुए बीजिंग पैरा एथलेटिक्स ग्रैंड प्रिक्स प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल हासिल कर सूबे का ही नहीं बल्कि देश का नाम ऊंचा कर दिया.

बीजिंग का सिलसिला थमा नहीं (Beijing Olympics)
अजीत सिंह की कामयाबी का सिलसिला थमा नहीं. मई 2019 में चीन के बीजिंग में गोल्ड मेडल के बाद दुबई में भी अपना परचम लहराया. दुबई वर्ल्ड पैरा एथलीट चैंपियनशिप में उन्होंने कांस्य पदक हासिल किया. और इस तरह अजीत प्रदेश के ऐसे इकलौते खिलाड़ी बन गए जिसने पैरालंपिक्स (Tokyo paralympic 2021) में गोल्ड और फिर ब्रॉंज मेडल हासिल किया.

अजीत को पूरा है विश्वास

अजीत मानते हैं कि इस बार भी डगर आसान नहीं होगी. श्रीलंका, मैक्सिको और चीन से अच्छी टक्कर मिलेगी, लेकिन विश्वास है कि कामयाबी हमें जरूर मिलेगी. हमारे इवेंट (जैवलिन थ्रो) में दो मेडल पक्के हैं. देवेंद्र झाझरिया ने चयन ट्रायल में बेहतरीन प्रदर्शन किया है वहीं एक और खिलाड़ी सुंदर और मेरा भी प्रदर्शन बहुत अच्छा रहा है. टोक्यो पैरालम्पिक में देश को हम लोगों से अच्छे नतीजे मिलेंगे.

क्या होता है पैरालम्पिक्स? (What is Paralympic Games)

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाली बहु-खेल प्रतियोगिता है. इसकी शुरुआत द्वितीय विश्व युद्ध में घायल हुए सैनिकों को फिर से मुख्यधारा में लाने के मकसद से की गई थी. पैरालंपिक गेम्स में विभिन्न रूप से दिव्यांग खिलाड़ी भाग लेते हैं। सभी पैरालम्पिक खेल अंतरराष्ट्रीय पैरालैम्पिक कमेटी (IPC) द्वारा शासित होते हैं.

असुविधाजनक मांसपेशियों की शक्ति (जैसे पैरापेलेगिया और क्वाड्रिप्लेजीया, मांसपेशी डिस्ट्रॉफी, पोस्ट-पोलियो सिंड्रोम, स्पाइना बिफिडा), आंदोलन की निष्क्रिय सीमा, अंग की कमी (उदाहरण के लिए विच्छेदन या डिस्मेलिया), पैर लंबाई अंतर, लघु स्तर, हाइपरटोनिया, एटैक्सिया, एथेटोसिस, दृष्टि विकार और बौद्धिक हानि आदि से ग्रस्त व्यक्ति इस विश्व स्तरीय प्रतियोगिता का हिस्सा होते हैं.

Last Updated : Jul 2, 2021, 10:02 AM IST
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