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उपचुनाव में गायब हुए आम आदमी के मुद्दे, महंगाई को लेकर कांग्रेस-भाजपा मौन - ग्वालियर

चंबल संभाग में हो रहे उपचुनाव से आम आदमी के मुद्दे गायब हैं. पेट्रोलियम पदार्थों में बेतहाशा वृद्धि, महंगी सब्जी और दालों के साथ ही भारी-भरकम बिजली के बिलों में लोगों की कमर को तोड़ कर रख दिया है.

Congress, BJP
कांग्रेस-बीजेपी
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Published : Oct 14, 2020, 5:15 PM IST

ग्वालियर। चंबल संभाग में हो रहे उपचुनाव से आम आदमी के मुद्दे गायब हैं. पेट्रोलियम पदार्थों में बेतहाशा वृद्धि, महंगी सब्जी और दालों के साथ ही भारी-भरकम बिजली के बिलों में लोगों की कमर को तोड़ कर रख दिया है. कोरोना काल से परेशान लोगों के लिए अब महंगाई आफत बनी है.

उपचुनाव में गायब हुए आम आदमी के मुद्दे,

हैरानी की बात यह है कि मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस सहित सत्तारूढ़ दल बीजेपी चुनाव जीतने के बाद जनता को कोई राहत देने की बात भी इन चुनावों में मतदाताओं के बीच में जाकर नहीं कर रहे हैं. सबसे ज्यादा बुरी हालत गरीब मजदूर और निम्न मध्यम वर्ग की है. कोरोना काल में काम धंधे से परेशान लोग बढ़ती महंगाई से बुरी तरह टूट चुके हैं. लेकिन हैरानी की बात यह है कि जनाक्रोश के रूप में यह कहीं भी देखने में नहीं आ रहा है कि कहीं प्रदर्शन हो रहे हो.

पढ़ें:कमलनाथ होंगे कांग्रेस के मुख्य स्टार प्रचारक, 20 अक्टूबर तक जारी होगी लिस्ट

हालांकि कांग्रेस इस मुद्दे को चुनाव में भुना भी नहीं पा रही है, लेकिन उसके नेता और सत्तारूढ़ दल के लोग गरीब मजदूर और निम्न मध्यम वर्ग की चिंता करने की बात जरूर कर रहे हैं. इसके उलट जनता को महंगाई से मुक्ति नहीं दिलाने में आम मतदाता भाजपा सरकार को कोस रहे हैं. उनका कहना है कि राजनीतिक दलों को झूठे विकास के दावे करना अच्छा लगता है. जबकि जमीनी तौर पर लोगों की समस्याओं से राजनीतिक दलों का कोई सरोकार नहीं हैं.

ग्वालियर। चंबल संभाग में हो रहे उपचुनाव से आम आदमी के मुद्दे गायब हैं. पेट्रोलियम पदार्थों में बेतहाशा वृद्धि, महंगी सब्जी और दालों के साथ ही भारी-भरकम बिजली के बिलों में लोगों की कमर को तोड़ कर रख दिया है. कोरोना काल से परेशान लोगों के लिए अब महंगाई आफत बनी है.

उपचुनाव में गायब हुए आम आदमी के मुद्दे,

हैरानी की बात यह है कि मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस सहित सत्तारूढ़ दल बीजेपी चुनाव जीतने के बाद जनता को कोई राहत देने की बात भी इन चुनावों में मतदाताओं के बीच में जाकर नहीं कर रहे हैं. सबसे ज्यादा बुरी हालत गरीब मजदूर और निम्न मध्यम वर्ग की है. कोरोना काल में काम धंधे से परेशान लोग बढ़ती महंगाई से बुरी तरह टूट चुके हैं. लेकिन हैरानी की बात यह है कि जनाक्रोश के रूप में यह कहीं भी देखने में नहीं आ रहा है कि कहीं प्रदर्शन हो रहे हो.

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हालांकि कांग्रेस इस मुद्दे को चुनाव में भुना भी नहीं पा रही है, लेकिन उसके नेता और सत्तारूढ़ दल के लोग गरीब मजदूर और निम्न मध्यम वर्ग की चिंता करने की बात जरूर कर रहे हैं. इसके उलट जनता को महंगाई से मुक्ति नहीं दिलाने में आम मतदाता भाजपा सरकार को कोस रहे हैं. उनका कहना है कि राजनीतिक दलों को झूठे विकास के दावे करना अच्छा लगता है. जबकि जमीनी तौर पर लोगों की समस्याओं से राजनीतिक दलों का कोई सरोकार नहीं हैं.

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