ग्वालियर। भारत का इतिहास यूं तो अनगिनत प्रेम कहानियों से भरा पड़ा है, लेकिन इतिहास के पन्नों को जब हम पलट कर देखते हैं तो 14-15वीं शताब्दी में बनाई गई ग्वालियर किले की गुजरी महल से भी प्रेम की एक ऐसी अनूठी दास्तां सामने आती है. जो अद्भुत और अनोखी है. जिसे बार-बार याद करने का मन करता है.
दरसल इस गूजरी महल को लेकर एक प्रचलित किदवंती जुड़ी है. कहा जाता है एक बार ग्वालियर के राजा मानसिंह तोमर शिकार के लिए निकले थे. शिकार के दौरान उन्होंने गूजरी मृगनयनी को दो भैंस के साथ युद्ध करते देखा. देखने में बेहद खूबसूरत गूजरी के इस बल कौशल को देखकर राजा मानसिंह तोमर उसकी कायल हो गए. गुजरी के सामने शादी का प्रस्ताव रख दिया. लेकिन राजा के प्रस्ताव को मानने से पहले उनके सामने चार शर्ते रख दी.
- राजा मानसिंह तोमर के सामने गुजरी ने रखी चार शर्तें
राजा मानसिंह तोमर के सामने गुजरी ने चार शर्ते रखी थी. पहली शर्त यह थी कि ग्वालियर किले में गुजरी के रहने के लिए अलग से महल बनवाया जाए. दूसरी शर्त में गुजरी के पीने के लिए उसके गांव राई के साथ नदी का पानी महल तक लाया जाए. तीसरी शर्त वह हर युद्ध में राजा के साथ रहेगी. चौथी शर्त में गुजरी ने कहा था कि वह कभी पर्दा नहीं करेगी. राजा मानसिंह तोमर ने गुजरी के प्रति अपने प्यार का सम्मान करते हुए चारों शर्तों पर हामी भर दी.
- राजा मानसिंह तोमर ने गुजरी के लिए बनवाया था महल
ग्वालियर किले में राजा मानसिंह तोमर ने गूजरी के लिए अलग से महल बनवाया था. जिसे गूजरी महल कहा जाता है. राई गांव से गुजरी महल तक 16 मील लंबी मिट्टी की पाइप लाइन बिछाकर सांख नदी का पानी लाया गया. गूजरी हमेशा राजा मानसिंह तोमर के साथ कंधे से कंधा मिलाकर हर युद्ध में खड़ी रही.
- वेलेंटाइन डे के लिए है स्पेशल
महल में प्रेम के इतिहास को निहारने आई पर्यटक दिव्यांशी का कहना है कि, यह जगह वेलेंटाइन डे जैसे प्रेम के मौकोंं पर घुमने के लिए सबसे अच्छी है. इस महल के बारे में हमने कई कहानियां सुनी है. राजा मानसिंह और गुजरी की प्रेम की निशानी को देखने के लिए सैंकड़ों की संख्या में लोग यहां आते है. मैं भी अक्सर यहां पर घुमने आती हुं.
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- संग्रहालय में तब्दील खूबसूरत गुजरी महल
गुजरी महल वक्त के थपेड़ों के साथ संग्रहालय में तब्दील हो चुका है. ग्वालियर का यह वह खूबसूरत गुजरी महल जिसे कभी बला सी खूबसूरत रानी रहा करती थी. उसकी कोई तस्वीर, कोई पहचान तो मौजूद नहीं है. लेकिन किले की हर एक हर कोना और हर आशियाना उसके होने का एहसास कराता है. उस रानी को किसी ने निन्नी कहा, किसी ने गुजरी तो किसी ने मृग नयनी. अमर प्रेम की निशानी को देखकर हर पर्यटक हतप्रभ रह जाता है.