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फुटपाथ पर दुकान लगाने वालों पर भुखमरी का संकट, नहीं मिल रही कोई मदद - gwalior lockdown latest news

ग्वालियर के साइंस कॉलेज के बाहर बच्चों के झूले, मच्छरदानी, पोस्टर और पानी के छोटे टब समेत कई सामानों को बेचने वाले यह लोग कोरोना संक्रमण काल में भूख से जूजने की कगार पर आ गए हैं.

Shop on the sidewalk
फुटपाथ पर दुकान
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Published : May 16, 2021, 6:00 PM IST

ग्वालियर। कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामले के मद्देनजर लगे कोरोना कर्फ्यू का सबसे अधिक प्रभाव फुटपाथों पर दुकानें लगाने वाले छोटे व्यापारियों पर पड़ा है. यह छोटे व्यापारी रोजाना उधार पर सामान लेकर उसे बेचते थे और अपने परिवार का भरण पोषण करते थे, लेकिन पिछले 1 महीने से शहर में कर्फ्यू लगा है और अब इसे 30 मई तक बढ़ाने से इन लोगों के सामने खाने का संकट मंडरा रहा है.

फुटपाथ पर दुकान
  • ग्वालियर के साइंस कॉलेज के बाहर लगती हैं कई दुकानें

ग्वालियर के साइंस कॉलेज के बाहर बच्चों के झूले, मच्छरदानी, पोस्टर और पानी के छोटे टब समेत कई सामानों को बेचने वाले यह लोग कोरोना संक्रमण काल में भूख से जूजने की कगार पर आ गए हैं. साइंस कॉलेज के बाहर सड़क किनारे अपनी दुकानों सजाने वाले करीब 35 लोग 8 दुकानों से जुड़े हुए हैं, उनके परिवार और वह लोग यही सड़क किनारे झोपड़पट्टी बनाकर रहते हैं. करीब दो दशक से रह रहे इन लोगों के सिर पर हमेशा अनिश्चितता का साया रहता है.

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  • पिछले साल मिली थी मदद

वहीं, पिछले साल जब कोरोना कर्फ्यू लगा था तो समाजसेवियों और स्थानीय निकाय के पार्षद पद के इच्छुक उम्मीदवारों ने वोट मिलने की आस में उन्हें राशन पानी भी मुहैया कराया था, लेकिन इस बार ऐसा नहीं है. इन दुकानदारों और उनके परिवारों को किसी भी तरह की कोई राहत नहीं मिल रही है. यदि कोई संस्था 1-2 दिन बाद खाना देने आ जाए तो ये लोग उसे अपना भाग्य समझते हैं.

ग्वालियर। कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामले के मद्देनजर लगे कोरोना कर्फ्यू का सबसे अधिक प्रभाव फुटपाथों पर दुकानें लगाने वाले छोटे व्यापारियों पर पड़ा है. यह छोटे व्यापारी रोजाना उधार पर सामान लेकर उसे बेचते थे और अपने परिवार का भरण पोषण करते थे, लेकिन पिछले 1 महीने से शहर में कर्फ्यू लगा है और अब इसे 30 मई तक बढ़ाने से इन लोगों के सामने खाने का संकट मंडरा रहा है.

फुटपाथ पर दुकान
  • ग्वालियर के साइंस कॉलेज के बाहर लगती हैं कई दुकानें

ग्वालियर के साइंस कॉलेज के बाहर बच्चों के झूले, मच्छरदानी, पोस्टर और पानी के छोटे टब समेत कई सामानों को बेचने वाले यह लोग कोरोना संक्रमण काल में भूख से जूजने की कगार पर आ गए हैं. साइंस कॉलेज के बाहर सड़क किनारे अपनी दुकानों सजाने वाले करीब 35 लोग 8 दुकानों से जुड़े हुए हैं, उनके परिवार और वह लोग यही सड़क किनारे झोपड़पट्टी बनाकर रहते हैं. करीब दो दशक से रह रहे इन लोगों के सिर पर हमेशा अनिश्चितता का साया रहता है.

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  • पिछले साल मिली थी मदद

वहीं, पिछले साल जब कोरोना कर्फ्यू लगा था तो समाजसेवियों और स्थानीय निकाय के पार्षद पद के इच्छुक उम्मीदवारों ने वोट मिलने की आस में उन्हें राशन पानी भी मुहैया कराया था, लेकिन इस बार ऐसा नहीं है. इन दुकानदारों और उनके परिवारों को किसी भी तरह की कोई राहत नहीं मिल रही है. यदि कोई संस्था 1-2 दिन बाद खाना देने आ जाए तो ये लोग उसे अपना भाग्य समझते हैं.

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