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भैरव अष्टमी के मौके पर भैरवनाथ मंदिर में विशेष पूजा, नमकीन के साथ मदिरा का लगा भोग - भैरव अष्टमी

ग्वालियर शहर के सबसे पुराने भैरवनाथ मंदिर में भैरव अष्टमी के मौके पर विशेष पूजा अर्चना की गई. इस दौरान भगवान भैरवनाथ को नमकीन मंगोड़े और इमरती के प्रसाद के साथ मदिरा का भी भोग लगाया गया.

भैरव अष्टमी के मौके पर भैरवनाथ मंदिर में विशेष पूजा
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Published : Nov 20, 2019, 6:30 AM IST

ग्वालियर। शहर के सबसे पुराने भैरवनाथ मंदिर में भैरव अष्टमी के मौके पर विशेष पूजा अर्चना की गई. इस दौरान सुबह भगवान भैरवनाथ का अभिषेक किया गया, उसके बाद दिन-भर भजन कीर्तन चलते रहे और भगवान भैरवनाथ को नमकीन मंगोड़े और इमरती के प्रसाद के साथ मदिरा का भी भोग लगाया गया.

भैरव अष्टमी के मौके पर भैरवनाथ मंदिर में विशेष पूजा

माधव गंज स्थित भैरवनाथ मंदिर का यह मंदिर करीब 200 साल पुराना है.भगवान शिव के अवतार भैरवनाथ का सनातन धर्म में विशेष धार्मिक महत्व है. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक भंडासुर नामक राक्षस का वध करने के लिए माता पार्वती ने काली का रूप रखा था. मां के इस रौद्र रूप को शांत करने के लिए भगवान शिव ने बालक का रूद्र अवतार लिया था और अपनी वात्सल्य वाणी से मां काली को शांत किया था.

इस शिव अवतार की बटुक भैरव के नाम से भी लोग भक्ति करते हैं. भक्तों का मानना है कि भगवान भैरवनाथ की पूजा करने से वे तुरंत ही भक्तों के कष्टों को हर लेते हैं.

ग्वालियर। शहर के सबसे पुराने भैरवनाथ मंदिर में भैरव अष्टमी के मौके पर विशेष पूजा अर्चना की गई. इस दौरान सुबह भगवान भैरवनाथ का अभिषेक किया गया, उसके बाद दिन-भर भजन कीर्तन चलते रहे और भगवान भैरवनाथ को नमकीन मंगोड़े और इमरती के प्रसाद के साथ मदिरा का भी भोग लगाया गया.

भैरव अष्टमी के मौके पर भैरवनाथ मंदिर में विशेष पूजा

माधव गंज स्थित भैरवनाथ मंदिर का यह मंदिर करीब 200 साल पुराना है.भगवान शिव के अवतार भैरवनाथ का सनातन धर्म में विशेष धार्मिक महत्व है. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक भंडासुर नामक राक्षस का वध करने के लिए माता पार्वती ने काली का रूप रखा था. मां के इस रौद्र रूप को शांत करने के लिए भगवान शिव ने बालक का रूद्र अवतार लिया था और अपनी वात्सल्य वाणी से मां काली को शांत किया था.

इस शिव अवतार की बटुक भैरव के नाम से भी लोग भक्ति करते हैं. भक्तों का मानना है कि भगवान भैरवनाथ की पूजा करने से वे तुरंत ही भक्तों के कष्टों को हर लेते हैं.

Intro:ग्वालियर
शहर के सबसे पुराने भैरवनाथ मंदिर में भैरव अष्टमी के मौके पर विशेष पूजा अर्चना की गई सुबह भगवान भैरवनाथ का अभिषेक किया गया उसके बाद दिन भर वहां भजन कीर्तन चलते रहे इस दौरान नमकीन मंगोड़े और इमरती के प्रसाद के साथ ही मदिरा का भी भगवान भैरवनाथ को भोग लगाया गया।


Body:भगवान शिव के अवतार भैरवनाथ का सनातन धर्म में विशेष धार्मिक महत्व है धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक भंडासुर नामक राक्षस का वध करने के लिए माता पार्वती ने काली का रूप रखा था मां के इस रौद्र रूप को शांत करने के लिए निराकार भगवान शिव ने बालक का रूद्र अवतार लिया था और अपनी वात्सल्य वाणी से मां काली को शांत किया था इस शिव अवतार की बटुक भैरव के नाम से भी लोग भक्ति करते हैं भगवान भैरव की पूजा अर्चना करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।


Conclusion:ग्वालियर के माधव गंज स्थित भैरवनाथ मंदिर जो करीब 200 साल पुराना है वहां सुबह से ही धार्मिक अनुष्ठान किए गए शाम को पांच बजे से वहां भंडारे का आयोजन किया गया जो देर रात तक चलने की संभावना है भैरव नाथ के मंदिर पर विशेष श्रृंगार के अलावा नमकीन मंगोड़े इमरती और शराब का भोग लगाया गया भक्तों का मानना है कि भगवान भैरवनाथ की पूजा करने से वे तुरंत ही भक्तों के कष्टों को हर लेते हैं।
पंडित राधेश्याम शर्मा पुजारी भैरवनाथ मंदिर
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