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कोरोना काल में ग्वालियर किले में पसरा सन्नाटा, सिर्फ सुनाई दे रहा चमगादड़ों का शोर

लॉकडाउन की वजह से किलों में सिरमौर कहा जाने वाला ग्वालियर फोर्ट सूना पड़ा हुआ है. हमेशा पर्यटकों से गुलजार रहने वाला इस किले में अब सिर्फ चमगादड़ों का शोर है.

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ग्वालियर के किले में सन्नाटा
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Published : May 5, 2020, 5:32 PM IST

Updated : May 5, 2020, 8:35 PM IST

ग्वालियर। लॉकडाउन के चलते देश के सबसे खूबसूरत किले में शुमार ग्वालियर का किला इस समय वीरान पड़ा हुआ है. इतिहास में ये पहली मौका होगा, जब यहां पर सन्नाटा पसरा हुआ है. शानदारी नक्काशी और ऐतिहासिक मॉन्यूमेंट्स अब सूने पड़े हुए हैं. ये ऐतिहासिक इमारतें भी अपनी बेरुखी पर सोच रही होंगी कि आखिर लोगों ने हमसे इतनी दूरी क्यों बना ली है. पर्यटकों से गुलजार रहने वाले इस किले में अब सिर्फ चमगादड़ों की आवाज सुनाई दे रही है.

ग्वालियर किले पर पसरा सन्नाटा

सोलह सौ एकड़ में फैला ये किला क्षेत्रफल की दृष्टि से देश में तीसरे पायदान पर है. किले में प्राचीतम हिंदू शैली का मानसिंह का महल है. 11 वीं शताब्दी का सहस्त्र बाहु मंदिर, तेली का मंदिर, 6 वीं शताब्दि का सूरज कुंड, चतुर्भुज मंदिर जैसी विरासतों के अलावा जहांगीर महल, कर्ण महल शाहजहां महल और विक्रम महल खास हैं.

किले की तलहटी पर गूजरी महल और पुरातत्व विभाग का संग्रालय भी है. गूजरी महल अपने आप में मध्यभारत को संजोए हुए है. इतिहास की गाथा कहने वाला ये किला आज भी अपनी जगह है. लेकिन कोरोना काल में इस गाथा को सुनने के लिए सुनने वाले ही नहीं है. यहां की दीवारों को तो बस यही इंतजार है कि कब ये संकट की घड़ी टले और एक फिर पर्यटकों से ये किला गुलजार हो.

ग्वालियर। लॉकडाउन के चलते देश के सबसे खूबसूरत किले में शुमार ग्वालियर का किला इस समय वीरान पड़ा हुआ है. इतिहास में ये पहली मौका होगा, जब यहां पर सन्नाटा पसरा हुआ है. शानदारी नक्काशी और ऐतिहासिक मॉन्यूमेंट्स अब सूने पड़े हुए हैं. ये ऐतिहासिक इमारतें भी अपनी बेरुखी पर सोच रही होंगी कि आखिर लोगों ने हमसे इतनी दूरी क्यों बना ली है. पर्यटकों से गुलजार रहने वाले इस किले में अब सिर्फ चमगादड़ों की आवाज सुनाई दे रही है.

ग्वालियर किले पर पसरा सन्नाटा

सोलह सौ एकड़ में फैला ये किला क्षेत्रफल की दृष्टि से देश में तीसरे पायदान पर है. किले में प्राचीतम हिंदू शैली का मानसिंह का महल है. 11 वीं शताब्दी का सहस्त्र बाहु मंदिर, तेली का मंदिर, 6 वीं शताब्दि का सूरज कुंड, चतुर्भुज मंदिर जैसी विरासतों के अलावा जहांगीर महल, कर्ण महल शाहजहां महल और विक्रम महल खास हैं.

किले की तलहटी पर गूजरी महल और पुरातत्व विभाग का संग्रालय भी है. गूजरी महल अपने आप में मध्यभारत को संजोए हुए है. इतिहास की गाथा कहने वाला ये किला आज भी अपनी जगह है. लेकिन कोरोना काल में इस गाथा को सुनने के लिए सुनने वाले ही नहीं है. यहां की दीवारों को तो बस यही इंतजार है कि कब ये संकट की घड़ी टले और एक फिर पर्यटकों से ये किला गुलजार हो.

Last Updated : May 5, 2020, 8:35 PM IST
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