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रेलवे स्टेशन के दुकानदार झेल रहे आर्थिक तंगी की मार, सीमित ट्रेनें चलने से नहीं हो पा रही है बिक्री

ग्वालियर रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर दुकान का संचालन और जरूरत का छोटा-मोटा सामान बेचने वालों पर आर्थिक तंगी के बादल मंडरा रहे हैं. वहीं कुछ भी कमाई नहीं होने के कारण उन्हें अपनी और अपने परिवार की चिंता सताने लगी है.

huge loss to shopkeepers
आर्थिक तंगी की मार
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Published : Jun 20, 2020, 1:54 PM IST

ग्वालियर। लॉकडाउन के कारण कई लोग आर्थिक तंगी से घिर गए हैं. ऐसे लोगों में रेलवे स्टेशन के दुकानदार भी शामिल हैं, जिन्होंने लाखों रूपए में रेलवे प्लेटफॉर्म पर दुकानें चलाने के लिए अनुबंध किया था, लेकिन ढाई महीने तक स्टेशन की तालाबंदी रहने के कारण यह दुकानदार अब आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं.

आर्थिक तंगी की मार
बता दें, रेलवे प्लेटफॉर्म बड़े-बड़े कॉन्ट्रेक्टर समेत छोटे-मोटे कारोबारी भी इस समय आर्थिक तंगी की मार झेल रहे हैं. वहीं जो लोग खाने-पीने और दैनिक उपयोग में आने वाला सामान प्लेटफॉर्म पर यात्रियों को बेचते थे, उनकी स्थिति तो बहुत खराब है. हालांकि अनलॉक फेस वन में कुछ ट्रेनों का संचालन शुरू किया गया है. लेकिन उनकी संख्या इतनी कम है कि यात्री भी कुछ ही संख्या में आ-जा रहे हैं.

इससे दुकानदार हतोत्साहित हो रहे हैं. क्योंकि इन यात्रियों में भी बुक स्टॉल, खानपान या और कोई भी छोटा-मोटा सामान खरीदने वाले यात्रियों की संख्या न के बराबर रहती है, ऐसे दुकानदारों को अब अपनी और अपने परिवार के पालन-पोषण की चिंता सता रही है.

ये भी पढ़ें- स्टेशन पर बैठकर कुली करते हैं अपनी बारी का इंतजार, घर का खर्च चलाना हुआ मुश्किल

ग्वालियर रेलवे स्टेशन पर तकरीबन डेढ़ दर्जन छोटे-बड़े स्टॉल हैं जहां पर लोगों को बुक स्टॉल खानपान और जनरल आइटम की बिक्री की जाती है. इसके अलावा कुछ वेंडर अनधिकृत रूप से ट्रेनों में चलते हैं और छोटा-मोटा सामान बेचकर अपनी रोटी-रोजी चलाते हैं, उन सभी के अरमानों पर पानी फिरा हुआ है. वे सभी आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं.

वहीं दुकानदारों का कहना है कि चुनिंदा ट्रेनों के संचालन से कुछ दिनों तक तो उन्हें बिना बिक्री के ही घर जाना पड़ा, अब जो बिक्री हो रही है वह महज 5 से 10 फीसदी तक है, ऐसे में उन्हें अपने परिवार की चिंता सता रही है.

ग्वालियर। लॉकडाउन के कारण कई लोग आर्थिक तंगी से घिर गए हैं. ऐसे लोगों में रेलवे स्टेशन के दुकानदार भी शामिल हैं, जिन्होंने लाखों रूपए में रेलवे प्लेटफॉर्म पर दुकानें चलाने के लिए अनुबंध किया था, लेकिन ढाई महीने तक स्टेशन की तालाबंदी रहने के कारण यह दुकानदार अब आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं.

आर्थिक तंगी की मार
बता दें, रेलवे प्लेटफॉर्म बड़े-बड़े कॉन्ट्रेक्टर समेत छोटे-मोटे कारोबारी भी इस समय आर्थिक तंगी की मार झेल रहे हैं. वहीं जो लोग खाने-पीने और दैनिक उपयोग में आने वाला सामान प्लेटफॉर्म पर यात्रियों को बेचते थे, उनकी स्थिति तो बहुत खराब है. हालांकि अनलॉक फेस वन में कुछ ट्रेनों का संचालन शुरू किया गया है. लेकिन उनकी संख्या इतनी कम है कि यात्री भी कुछ ही संख्या में आ-जा रहे हैं.

इससे दुकानदार हतोत्साहित हो रहे हैं. क्योंकि इन यात्रियों में भी बुक स्टॉल, खानपान या और कोई भी छोटा-मोटा सामान खरीदने वाले यात्रियों की संख्या न के बराबर रहती है, ऐसे दुकानदारों को अब अपनी और अपने परिवार के पालन-पोषण की चिंता सता रही है.

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ग्वालियर रेलवे स्टेशन पर तकरीबन डेढ़ दर्जन छोटे-बड़े स्टॉल हैं जहां पर लोगों को बुक स्टॉल खानपान और जनरल आइटम की बिक्री की जाती है. इसके अलावा कुछ वेंडर अनधिकृत रूप से ट्रेनों में चलते हैं और छोटा-मोटा सामान बेचकर अपनी रोटी-रोजी चलाते हैं, उन सभी के अरमानों पर पानी फिरा हुआ है. वे सभी आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं.

वहीं दुकानदारों का कहना है कि चुनिंदा ट्रेनों के संचालन से कुछ दिनों तक तो उन्हें बिना बिक्री के ही घर जाना पड़ा, अब जो बिक्री हो रही है वह महज 5 से 10 फीसदी तक है, ऐसे में उन्हें अपने परिवार की चिंता सता रही है.

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