ग्वालियर। हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में एक मां द्वारा अपने बच्चों को लेकर लगाई गई बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका का निराकरण करते हुए, माता-पिता को बच्चों के भविष्य को देखते हुए एक साथ रहने कि समझाइश दी और इसके लिए दंपत्ति तैयार हो गए. करीब 7 साल पहले याचिकाकर्ता और महिला की शादी हुई थी. उसकी एक 6 साल की बेटी और 2 साल का बेटा है. किसी कारण से पति-पत्नी में अनबन हो गई, जिसके बाद पति बच्चों को लेकर अलग रहने लगा और महिला अपने मायके चली गई.
महिला ने कोर्ट में लगाई थी याचिका
इस बीच महिला ने हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका लगाई और कहा कि उसके पति ने बच्चों को अवैध रुप से रखा है, जबकि बच्चे अपनी मां के साथ रहना चाहते हैं. पुलिस ने कोर्ट में बच्चों को पेश किया और उनकी राय मांगी गई. सरकारी वकील ने भी पति-पत्नी को समझाया कि वह बच्चों के भविष्य को देखते हुए एक साथ रहे. कोर्ट ने महिला से पूछा कि बच्चों का पालन पोषण कैसे करेगी, महिला के पास इसका कोई जवाब नहीं था. उसने कहा कि वह अपने मायके वालों से मदद लेकर बच्चों का पालन पोषण कर लेगी लेकिन जब उन्हें ऊंच-नीच समझाई गई तो पति-पत्नी ने बच्चों के भविष्य को देखते हुए एक साथ रहने को रजामंदी दे दी. और बच्चों को साथ लेकर कोर्ट से उन्होंने विदाई ली.
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कोर्ट की समझाइश पर राजी हुए दंपत्ति
खास बात यह है कि पति-पत्नी करीब 1 साल से अलग रह रहे थे, लेकिन बच्चों को लेकर महिला परेशान थी. वह किसी तरह बच्चों को अपने पास बुलाना चाहती थी जो कि बच्चे भी दोनों के साथ रहना चाहते थे. आखिरकार कोर्ट की समझाइश के बाद पति-पत्नी साथ रहने के लिए तैयार हो गए.