ग्वालियर। ग्वालियर जिले के लाल टिपारा में प्रदेश की सबसे बड़ी गौशाला है. वहीं, कमलनाथ सरकार के कार्यकाल में भी रानीघाटी पर गौशाला बनाई गयी. वृंदावन नाम की इस गौशाला की 1200 बीघा जमीन पर अवैध कब्जा हो गया है. इस गौशाला के रखरखाव का जिम्मा साधु-संतों के पास है. जिन्होंने लाल टिपारा गौशाला को संवारने का काम किया था. आज वही साधु-संत वृंदावन गौशाला को संवारने में जुटे हैं.
कलेक्टर बोले- कमेटी गठित कर दी है
ग्वालियर की रानीघाटी में मौजूद 1200 सौ बीघा जमीन गौशाला के लिए आंवटित तो कर दी गयी है. लेकिन जमीन के आधिकांश हिस्से पर गांव के दबंग लोगों का कब्जा है. जिसको लेकर लगातार सांधु-सतों का डेलिगेशन कलेक्टर से लेकर मंत्रियों से मिल चुका है. सभी से गौशाला की जमीन को मुक्त कराने के लिए गुहार लगाई गई. वहीं ग्वालियर कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह का इस बारे में कहना है कि इस गौशाला के मामले को लेकर एक कमेटी गाठित कर दी गई है. सीमाकंन के बाद कब्जाधारियों से जमीन को मुक्त कराने का काम यह कमेटी करेगी. उनका कहना है कि किसी भी सूरत में गौशाला की जमीन पर कब्जा नहीं होने दिया जाएगा.
गौशाला में 8 हजार से ज्यादा गौवंश
ग्वालियर की गौशाला में रोजाना दो दर्जन से भी ज्यादा गायों की मौतें होती थी. तब नगर निगम ही गौशाला का संचालन करती थी, लेकिन अब गौशाला का संचालन साधु-संत करते हैं. यही कारण है कि इस गौशाला में 8 हजार से ज्यादा गौवंश है. साथ ही गौशाला आय का साधन बन रही है. लेकिन मौजूदा स्थिति में रानीघाटी की गौशाला की जमीन पर हुए कब्जों से साधु -संत परेशान हैं.
(Illegal possession land of Gaushala)