ग्वालियर। पूरे देश भर के साथ-साथ मध्य प्रदेश में भी कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर (Third Wave of Corona Infection) की आहट सुनाई दे रही है. चंबल अंचल (Chambal Zone) के कई जिले ऐसे हैं जहां पर दिन-ब-दिन संक्रमण का आंकड़ा बढ़ रहा है. वहीं आईसीएमआर (ICMR) ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि इस तीसरी लहर सबसे ज्यादा बच्चों पर प्रभाव डालेगी.
ऐसे में चंबल अंचल में हजारों कुपोषित बच्चे हैं, जिनकी सुरक्षा करना जिला प्रशासन के लिए सबसे बड़ी चुनौती रहेगी. अगर तीसरी लहर बच्चों पर प्रभाव डालेगी, तो लाजमी है कि कुपोषित बच्चे (Malnourished Children) भी इसकी चपेट में आएंगे. कुपोषित बच्चों को तीसरी लहर से सुरक्षित रखने के लिए जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग (District Administration and Health Department) ने कोई तैयारी नहीं की है.
हालांकि महिला एवं बाल विकास विभाग (Women and Child Development Department) की ज्वाइन डायरेक्टर सीमा शर्मा का कहना है कि कोरोना की दोनों लहरों में हमारे अमले में अच्छा काम किया है. कोरोना की तीसरी लहर के लिए सभी जिलों में बच्चों के लिए व्यवस्था कर दी गई है. यदि कोरोना की तीसरी लहर आती है, तो हम कुपोषित बच्चों के लिए दवाईयों की व्यवस्था कर देंगे.
जिला प्रशासन की अनदेखी, कुपोषित बच्चों पर न पड़ जाए भारी
एक ओर तो कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर को देखते हुए जिला प्रशासन सतर्क हो गया है. अस्पतालों में बेड से लेकर ऑक्सीजन की आपूर्ति करने में जुटा हुआ है. वहीं दुसरी ओर कुपोषित बच्चों की ओर प्रशासन ने कोई ध्यान नहीं दिया. महिला बाल विकास विभाग और जिला प्रशासन ने अभी तक ना ही कुपोषित बच्चों को चिन्हित किया है. और ना ही कुपोषित बच्चों के रखरखाव के लिए कोई गाइडलाइन तय की है.
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कोरोना के कारण दो साल से बंद है एनआरसी सेंटर
साल 2020 में जब कोरोना की शुरुआत हुई उसके बाद ग्वालियर चंबल अंचल में कुपोषित बच्चों को भर्ती करने वाले एनआरसी सेंटर (पोषण पुनर्वास केंद्र) बंद हैं. अंचल के जिले से हर महीने लगभग 4 से 5 हजार कुपोषित बच्चे एनआरसी सेंटर पहुंचते हैं, ऐसे में अब सवाल यह है कि एनआरसी सेंटर में बच्चे भर्ती नहीं हुए, तो वह बच्चे कहां गए. इसका आंकड़ा न तो सरकार के पास है और ना ही प्रशासन के पास.
जिले में इसको लेकर कोई सावधानी नहीं बरती जा रही. कुपोषित बच्चों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया है. सभी एनआरसी सेंटर खाली पड़े हुए है. यही वजह है कि महिला बाल विकास का मैदानी अमला लॉकडाउन में पूरी तरह निष्क्रिय हो गया है. इस कोरोना संक्रमण काल में आंगनबाड़ी बंद होने से कुपोषित बच्चों को घर पर ही विशेष पोषण आहार सहित मल्टीविटामिन दवाइयां पहुंचाने जाने के दावे किए जा रहा थे, लेकिन महिला बाल विकास और जिला प्रशासन की तरफ से कोई भी मदद नहीं मिल पाई है.
अंचल में 10 हजार से अधिक अति कुपोषित बच्चे
ग्वालियर चंबल अंचल में कुपोषित बच्चों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. अंचल के जिलों में अति कुपोषित बच्चों की संख्या 10 हजार से ऊपर है. वहीं सामान्य कुपोषित बच्चों की संख्या 40 हजार से अधिक है. अंचल के श्योपुर जिले में 25 हजार से अधिक कुपोषित बच्चे हैं. यहां पर हर साल लगभग 12 से अधिक कुपोषित बच्चों की मौत हो जाती है. ऐसे में अगर कोरोना संक्रमण की किसी लहर बच्चों पर प्रभाव डालती है, तो यह कुपोषित बच्चे भी उसकी चपेट में आएंगे.
बच्चों के लिए कर ली गई है तैयारियां
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर मनीष शर्मा का कहना है कि कुपोषित बच्चों के लिए अभियान चलाए जा रहे है. चंबल के सभी जिलों में एनआरसी सेंटर संचालित है. कुपोषित बच्चों के लिए कोरोना की तीसरी लहर को देखते हुए पुख्ता इंतजाम है.