ग्वालियर। ग्वालियर में अनलॉक के बाद से ही सड़क हादसों में फिर तेजी देखी जा रही है. शहर की सड़कों पर वाहनों की तेज रफ्तार हाईवे पर हादसों को मात दे रही है. मार्च के महीने से जैसे ही शहर लॉक हुआ उसके बाद सड़क हादसों के आंकड़े बहुत कम हो गए थे. लेकिन अब एक बार फिर सड़क हादसे के आंकड़ों में काफी बढ़ोतरी होने लगी हैं.
लॉकडाउन में सड़कों पर दौड़ने वाली दुपहिया और चार पहिया वाहन लगभग बंद हो चुके थे. लेकिन जैसे ही अनलॉक की प्रक्रिया शुरु हुई तो सड़क हादसे बढ़ने लगे. इसके साथ ही हादसों में लोगों की मौतों का आंकड़ा भी बढ़ गए. ग्वालियर में मार्च से जून तक के हादसों की बात करें तो
- मार्च में 60 सड़क हादसों में 6 लोगों की मौत हुई
- अप्रैल में 35 सड़क हादसों में 1 मौत
- मई में 42 सड़क हादसों में 4 मौत
- जून में 72 सड़क हादसों में 5 मौत
- जुलाई में 98 सड़क हादसों 8 मौत
- अगस्त में 84 सड़क हादसों में 11 लोगों की मौत हो गई.
अधिकारियों का दावा पुलिस मुस्तैद
ट्रैफिक डीएसपी एनके अनोठिया का कहना हैं कि यह बात सही है कि लॉकडाउन के बाद जैसे ही शहर अनलॉक हुआ है सड़क हादसे बढ़ने लगे हैं. लेकिन ट्रैफिक पुलिस पूरी तरह से लोगों की सुरक्षा के लिए मुस्तैद है. हर जगह लोगों को समझाइश दी जाती है और लापरवाही से वाहन चलाते वालों पर चालानी कार्रवाई भी की जाती है.
दुरुस्त व्यवस्था के दावे खोखले
शहर के अंदर यातायात व्यवस्था को दुरुस्त करने के दावा खोखले नजर आते हैं. शहर के कई चौराहों पर चेकिंग प्वाइंट बनाए गए हैं जहां पर ट्रैफिक पुलिस तैनात रहती है. इसके अलावा पुलिस सीसीटीवी कैमरे के माध्यम से भी शहर में नजर रखती है बावजूद इसके शहर में ड्रग एंड ड्राइव, तेज रफ्तार में वाहन चलाने के मामले देखने को मिलते हैं. लेकिन इनमें से कम लोग ही ट्रैफिक पुलिस के पकड़ में आते हैं.
ग्रामीण इलाकों से ज्यादा शहर खतरनाक
मार्च से अगस्त तक 5 महीने में यातायात पुलिस के रिकॉर्ड के अनुसार शहर और गांव की सड़कों पर 140 एक्सीडेंट हुए हैं, जिनमें ज्यादातर हादसे की वजह गाड़ियों की तेज रफ्तार है. इनमें 84 घटनाएं तो सिर्फ शहर के सड़कों पर हुई है, बाकी 46 घटनाएं देहात हाईवे पर हुई हैं. शहरी रास्ता पर बेकाबू वाहनों ने इन हादसे में 40 लोगों की जान गवा दी है और 316 लोग घायल हुए हैं. जाहिर है कि हाइवे से ज्यादा शहर के अंदर के रास्ते खतरनाक साबित हो रहे हैं.