ग्वालियर। विधानसभा उपचुनाव में शिवराज सरकार के तीन मंत्री चुनाव हार गए हैं. हारने के बाद भी दो मंत्रियों से पद का मोह नहीं छूट रहा है. दोनों, दो महीने और मंत्री बने रहना चाहते हैं, क्योंकि संवैधानिक रूप से हारने के बावजूद वे एक जनवरी तक मंत्री पद पर रह सकते हैं. वहीं, तीसरे मंत्री ने हारने के दूसरे दिन ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. इस पर बीजेपी नेता प्रभात झा ने सफाई दी है. उन्होंने कहा कि, ऐसी बात नहीं है. ये संवैधानिक स्थिति है. जैसे ही आगे मंत्रिमंडल का विस्तार होगा, वे अपने आप पद से हट जाएंगे. चुनाव हारने के बाद कोई भी मंत्री नहीं रह सकता.
'2023 में भी बीजेपी की बनेगी सरकार'
बीजेपी नेता ने दावा किया कि, शिवराज सरकार कमलनाथ की 15 महीनों की सरकार से अच्छा काम करेगी. इतिहास लिखा जाएगा. 2023 में भी बीजेपी की ही सरकार बनेगी.
कब तक बने रह सकते हैं मंत्री ?
इस बार उपचुनाव में महिला एवं बाल विकास मंत्री इमरती देवी और कृषि राज्यमंत्री गिर्राज दंडोतिया चुनाव हार गए हैं. दोनों को उम्मीद थी कि, चुनाव जीत जाएंगे और मंत्री पद बरकरार रहेगा, लेकिन चुनाव नतीजे मुफीद नहीं रहे. इसलिए अब दोनों ही मंत्रियों को पद से इस्तीफा देना होगा, लेकिन नियमानुसार 6 महीने वे बिना विधायक रहे मंत्री रह सकते हैं. 2 जुलाई, 2020 को दोनों ने मंत्री पद की शपथ ली थी, इसलिए वे 1 जनवरी तक इस पद पर रह सकते हैं.
ये मंत्री हारे थे चुनाव
शिवराज सरकार के तीन मंत्री उपचुनाव में चुनाव हार गए. इनमें एदल सिंह कंषाना, गिर्राज दंडोतिया और इमरती देवी शामिल हैं. सुमावली से चुनाव हारने के बाद मंत्री एदल सिंह कंषाना ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया, लेकिन इमरती देवी और गिर्राज दंडोतिया अपने पद पर बने हुए हैं.
कांग्रेस छोड़ भाजपा में हुए थे शामिल
मार्च में ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में शामिल होने पर कांग्रेस के 22 विधायक कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे. इमरती देवी और गिर्राज दंडोतिया सिंधिया समर्थक हैं. दोनों जुलाई में मंत्री बने थे.