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धड़ल्ले से खुल रहे कोचिंग सेंटरों पर लगी हाईकोर्ट में याचिका, कोर्ट का आदेश बनाई जाए गाइडलाइन

ग्वालियर जिले में कोचिंग सेंटरों में छात्रों की सुरक्षा के लिए उप महाधिवक्ता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कि थी. जिस पर कोर्ट ने नगरीय प्रशासन विभाग के प्रमुख से जवाब मांगा था, जिसपर जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि कोचिंग सेंटर के लिए गाइडलाइन बनाने सरकार को 4 से 6 महीने तक का वक्त लग सकता है.

उप महाधिवक्ता ने कोचिंग सेंटरों में छात्रों की सुरक्षा के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर कि
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Published : Sep 18, 2019, 10:57 PM IST

ग्वालियर। ग्वालियर के साथ-साथ पूरे जिले में धड़ल्ले से नियमों की अनदेखी करते हुए कोचिंग सेंटर खुल रहे हैं. जिसमें छात्रों कि सुरक्षा हेतु कोई भी इंतजाम मौजूद नहीं है. इस पर उप महाधिवक्ता ग्वालियर की हाईकोर्ट बेंच में याचिका दायर की थी. जिस पर कोर्ट ने नगरीय प्रशासन विभाग से जवाब तलब किया था. नगरीय प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव ने शपथ पत्र के द्वारा जो जवाब कोर्ट को भेजा था. उस पर हाईकोर्ट ने असहमति जताई है.

उप महाधिवक्ता ने कोचिंग सेंटरों में छात्रों की सुरक्षा के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर कि

दरअसल पूर्व उप महाधिवक्ता ने हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है. शहर में चल रहे कोचिंग सेंटर के चालक तमाम सुरक्षा मानकों को दरकिनार करते हुए संचालन कर रहे हैं. किसी भी तरह की अनहोनी होने पर छात्रों के बचने के कोई इंतजाम इन सेंटरों में उपलब्ध नहीं हैं, जिसके लिए गाइडलाइन बनना अनिवार्य है.

नगरीय प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव संजय दुबे ने अपने शपथपत्र में जवाब देते हुए कहा कि कोई भी गाइडलाइन तय करने के लिए पहले वरिष्ठ सचिवों की बैठक होगी. जिसमें प्रस्ताव बनाया जाएगा. जिसे कैबिनेट में मंजूरी के लिए भेजा जाएगा. कैबिनेट की मंजूरी के बाद प्रस्ताव को विधानसभा में पेश किया जाएगा और फिर राज्यपाल के अनुमोदन के लिए भेजा जाएगा. चूकि विधानसभा सत्र अभी नहीं चल रहा है जिसके कारण 4 से 6 महीनें का वक्त लग सकता है. बता दे कि प्रमुख सचिव के जवाब से असंतुष्ट होकर हाईकोर्ट ने अगते हफ्ते फिर सुनवाई रखी है .

ग्वालियर। ग्वालियर के साथ-साथ पूरे जिले में धड़ल्ले से नियमों की अनदेखी करते हुए कोचिंग सेंटर खुल रहे हैं. जिसमें छात्रों कि सुरक्षा हेतु कोई भी इंतजाम मौजूद नहीं है. इस पर उप महाधिवक्ता ग्वालियर की हाईकोर्ट बेंच में याचिका दायर की थी. जिस पर कोर्ट ने नगरीय प्रशासन विभाग से जवाब तलब किया था. नगरीय प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव ने शपथ पत्र के द्वारा जो जवाब कोर्ट को भेजा था. उस पर हाईकोर्ट ने असहमति जताई है.

उप महाधिवक्ता ने कोचिंग सेंटरों में छात्रों की सुरक्षा के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर कि

दरअसल पूर्व उप महाधिवक्ता ने हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है. शहर में चल रहे कोचिंग सेंटर के चालक तमाम सुरक्षा मानकों को दरकिनार करते हुए संचालन कर रहे हैं. किसी भी तरह की अनहोनी होने पर छात्रों के बचने के कोई इंतजाम इन सेंटरों में उपलब्ध नहीं हैं, जिसके लिए गाइडलाइन बनना अनिवार्य है.

नगरीय प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव संजय दुबे ने अपने शपथपत्र में जवाब देते हुए कहा कि कोई भी गाइडलाइन तय करने के लिए पहले वरिष्ठ सचिवों की बैठक होगी. जिसमें प्रस्ताव बनाया जाएगा. जिसे कैबिनेट में मंजूरी के लिए भेजा जाएगा. कैबिनेट की मंजूरी के बाद प्रस्ताव को विधानसभा में पेश किया जाएगा और फिर राज्यपाल के अनुमोदन के लिए भेजा जाएगा. चूकि विधानसभा सत्र अभी नहीं चल रहा है जिसके कारण 4 से 6 महीनें का वक्त लग सकता है. बता दे कि प्रमुख सचिव के जवाब से असंतुष्ट होकर हाईकोर्ट ने अगते हफ्ते फिर सुनवाई रखी है .

Intro:ग्वालियर
ग्वालियर सहित प्रदेश के कई शहरों में कुकरमुत्तों की तरह ऊग आए कोचिंग सेंटर के लिए गाइडलाइन बनाने सरकार को 4 से 6 महीने तक लग सकते हैं। इस बात का शपथ पत्र नगरीय प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव संजय दुबे ने बुधवार को हाई कोर्ट में पेश किया है। हाईकोर्ट ने प्रमुख सचिव के इस जवाब से असहमति जताई है।


Body:दरअसल पूर्व उप महाधिवक्ता ने हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है जिसमें उन्होंने कहा है कि शहरों में कोचिंग सेंटर संचालक तमाम सुरक्षा मानकों को दरकिनार करते हुए उनका संचालन कर रहे हैं आगजनी अथवा दूसरी अनहोनी होने पर छात्रों के बचने के कोई इंतजामात इन कोचिंग सेंटर्स में नहीं है इसलिए इसके कोई गाइडलाइन बनाई जानी चाहिए। हाईकोर्ट ने पिछले दिनों इस पर जिला प्रशासन और नगरीय प्रशासन विभाग को नोटिस जारी किए थे और प्रमुख सचिव से शपथ पत्र पर जवाब मांगा था।


Conclusion:प्रमुख सचिव संजय दुबे ने अपने शपथपत्र में कहा है कि कोई भी गाइडलाइन तय करने के लिए पहले वरिष्ठ सचिवों की बैठक होगी उसमें प्रस्ताव बनाकर कैबिनेट में मंजूरी के लिए भेजा जाएगा फिर विधान सभा पटल पर रख कर उसे पास किया जायेगा बाद में राज्यपाल के अनुमोदन के लिए भेजा जाएगा। चूकि अभी विधानसभा सत्र नहीं चल रहा है इसलिए पूरी प्रक्रिया में 4 से 6 महीने का वक्त लग सकता है। हाईकोर्ट प्रमुख सचिव के जवाब से संतुष्ट नहीं है और मामले को अगले सप्ताह फिर सुनवाई पर रखा है। बाइट प्रबल सोलंकी याचिकाकर्ता के अधिवक्ता हाई कोर्ट ग्वालियर
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