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मासूम की नाले में डूबने से हुई मौत, गुस्साए लोगों ने संभागायुक्त कार्यालय का किया घेराव

ग्वालियर में एक सात साल के मासूम की नाले में डूबने से मौत हो गई, इस हादसे से गुस्साए स्थानीय लोगों ने संभागायुक्त कार्यालय का घेराव किया साथ ही पीड़ित परिवार को आर्थिक मदद दिए जाने की मांग की.

people staged protest
स्थानीय लोगों ने आयुक्त कार्यालय पर दिया धरना
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Published : Feb 27, 2020, 6:02 PM IST

Updated : Feb 27, 2020, 7:01 PM IST

ग्वालियर। शहर के कोटे वाला मोहल्ला में रहने वाले 7 साल के मासूम की नाले में डूबने से मौत हो गई. इस हादसे के बाद गुस्साए लोगों ने जिला प्रशासन के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन किया, साथ ही संभागायुक्त कार्यालय का घेराव करते हुए पीड़ित परिवार की आर्थिक मदद और सरकारी नौकरी दिए जाने की मांग की है.

स्थानीय लोगों ने आयुक्त कार्यालय पर दिया धरना

दरअसल कोटेवाले मोहल्ले में रहने वाले दीपक श्रीवास्तव के 7 साल की बेटे की नाले में डूबने से मौत हो गई. वो 9 फरवरी को अपने दोस्तों के साथ नाले के किनारे क्रिकेट खेल रहा था, तभी नाले में बॉल चली गई. जब वो बॉल उठाने के लिए नाले में उतरा, तो नाले की गहराई का अंदाजा नहीं होने की वजह से डूब गया. मासूम का शव 2 किलोमीटर दूर दलदल से बरामद किया गया.

बता दें कि रचित के पिता का पहले ही देहांत हो चुका है, विधवा मां का वो इकलौता सहारा था, जो उससे छिन गया. स्थानीय लोग और परिवार ने नगर निगम कमिश्नर और संभागीय आयुक्त से मिलकर उचित मुआवजा और मां को सरकारी नौकरी देने की मांग की है. लेकिन अभी तक उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई है.

ग्वालियर। शहर के कोटे वाला मोहल्ला में रहने वाले 7 साल के मासूम की नाले में डूबने से मौत हो गई. इस हादसे के बाद गुस्साए लोगों ने जिला प्रशासन के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन किया, साथ ही संभागायुक्त कार्यालय का घेराव करते हुए पीड़ित परिवार की आर्थिक मदद और सरकारी नौकरी दिए जाने की मांग की है.

स्थानीय लोगों ने आयुक्त कार्यालय पर दिया धरना

दरअसल कोटेवाले मोहल्ले में रहने वाले दीपक श्रीवास्तव के 7 साल की बेटे की नाले में डूबने से मौत हो गई. वो 9 फरवरी को अपने दोस्तों के साथ नाले के किनारे क्रिकेट खेल रहा था, तभी नाले में बॉल चली गई. जब वो बॉल उठाने के लिए नाले में उतरा, तो नाले की गहराई का अंदाजा नहीं होने की वजह से डूब गया. मासूम का शव 2 किलोमीटर दूर दलदल से बरामद किया गया.

बता दें कि रचित के पिता का पहले ही देहांत हो चुका है, विधवा मां का वो इकलौता सहारा था, जो उससे छिन गया. स्थानीय लोग और परिवार ने नगर निगम कमिश्नर और संभागीय आयुक्त से मिलकर उचित मुआवजा और मां को सरकारी नौकरी देने की मांग की है. लेकिन अभी तक उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई है.

Last Updated : Feb 27, 2020, 7:01 PM IST
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