बॉयलर का विनियमन सुनिश्चित करने, भाप बॉयलर के विस्फोट के खतरे से लोगों के जीवन और संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करने तथा देश में इसके विनिर्माण, स्थापना और उपयोग के दौरान पंजीकरण और निरीक्षण में एकरूपता के मकसद से लाए गए एक विधेयक को बुधवार को राज्यसभा की मंजूरी मिल गई. बॉयलर विधेयक, 2024 एक सौ साल पुराने बॉयलर कानून की जगह लेगा. विधेयक पर उच्च सदन में हुई चर्चा का जवाब देते हुए वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि श्रमिकों का कल्याण सरकार की प्राथमिकता है. उन्होंने कहा कि आजादी के अमृतकाल में 2022 से 2047 तक देश को समृद्ध बनाने के लिए हर क्षेत्र में सुधार, कौशल उन्नयन और कठोर श्रम जरूरी है साथ ही देश को गुलामी की मानसिकता से भी मुक्त कराना होगा.
गोयल ने कहा कि आज के परिप्रेक्ष्य में आधुनिक सोच के साथ आगे बढ़ने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं जिनमें प्रावधानों को सख्त करना, कारोबार की सुगमता के साथ ही अपनी विरासत पर गर्व करना भी शामिल है. उन्होंने कहा कि बॉयलर विधेयक 2024 इसी दिशा में उठाया गया एक कदम है. उन्होंने कहा कि यह विधेयक 100 साल पुराने बॉयलर अधिनियम, 1923 (1923 का 5) को निरस्त करेगा. मंत्री ने कहा कि इस विधेयक से बॉयलर का विनियमन सुनिश्चित करने, भाप बॉयलर के विस्फोट के खतरे से लोगों के जीवन और संपत्ति की सुरक्षा तथा देश में बॉयलर के विनिर्माण, स्थापना और उपयोग के दौरान पंजीकरण और निरीक्षण में एकरूपता लाने और इससे जुड़े मामलों में मदद मिलेगी.
उन्होंने कहा कि जिस अधिनियम को बदला जा रहा है वह 100 साल पहले आया था. उन्होंने कहा कि बॉयलर का इस्तेमाल सभी उद्योगों में होता है और बॉयलर कई तरह के होते हैं. उन्होंने कहा कि सालों तक जंग लगने की वजह से दुर्घटनाएं भी होती हैं और पुराने कानून में डिजाइन, निर्माण और रखरखाव के लिए पर्याप्त प्रावधान नहीं हैं. गोयल ने कहा कि गुलामी की मानसिकता को दूर करने के लिए प्रधानमंत्री ने ब्रिटिश काल के पुराने और अप्रसांगिक हो चुके कानूनों का बदलने का संकल्प लिया है और उपनिवेशवाद के प्रतीक 2,000 से अधिक पुराने कानून निरस्त कर दिये गए हैं.
मंत्री ने कहा कि कारोबार में सुगमता को जिस तरह आगे बढ़ाया गया है उससे देश में काम करना आसान हुआ है और निवेशकों का भरोसा भी बढ़ा है. उन्होंने कहा कि बॉयलर विधेयक 2024 में कारोबार सुगमता का ध्यान रखा गया है. उन्होंने कहा कि कारोबार सुगमता के लिए, विधेयक एमएसएमई क्षेत्र सहित बॉयलर उपयोगकर्ताओं को लाभान्वित करेगा, क्योंकि विधेयक में गैर-अपराधीकरण से संबंधित प्रावधानों को शामिल किया गया है. मंत्री के जवाब के बाद सदन ने विधेयक को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी. कुछ विपक्षी सदस्यों ने विधेयक के संबंध में संशोधन पेश किए जिन्हें खारिज कर दिया गया.
विधेयक में बॉयलर और बॉयलर का काम-काज करने वाले कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सात अपराधों में से, चार प्रमुख अपराधों में, जिनके परिणामस्वरूप जान और संपत्ति का नुकसान हो सकता है, आपराधिक दंड बरकरार रखा गया है. उन्होंने कहा कि कुछ अपराधों को अपराध सूची से हटाने का मकसद यह है कि अफसरशाही हावी न होने पाए. अन्य अपराधों के लिए, वित्तीय दंड का प्रावधान किया जा रहा है. इसके अलावा, सभी गैर-आपराधिक कृत्यों के लिए ‘आर्थिक दंड’ को ‘जुर्माने’ में बदल दिया गया है, जिसे अदालतों के बजाय कार्यकारी तंत्र के माध्यम से लगाया जाएगा.
उन्होंने कहा ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मानते हैं कि कारोबारी ईमानदार होता है. इसे ध्यान में रखते हुए ही आर्थिक दंड को जुर्माने में बदला गया है.’’ विधेयक में विभिन्न प्रावधानों के अनुरूप, नियम बनाने की केंद्र सरकार की शक्ति, नियम बनाने की बोर्ड की शक्ति, और नियम बनाने की राज्य सरकार की शक्ति को विस्तार से सूचीबद्ध किया गया है. बॉयलर अधिनियम, 1923 को वर्ष 2007 में भारतीय बॉयलर (संशोधन) अधिनियम, 2007 के माध्यम से संशोधित किया गया था, जिसमें स्वतंत्र तृतीय पक्ष निरीक्षण प्राधिकरणों द्वारा निरीक्षण और प्रमाणन की शुरुआत हुई थी.
नए विधेयक में अनावश्यक/अप्रचलित प्रावधानों को हटा दिया गया है तथा नियमों और विनियमों के लिए कुछ सक्षम प्रावधान किए गए हैं, जो पहले मौजूद नहीं थे. कुछ नयी परिभाषाएं भी शामिल की गई हैं और कुछ मौजूदा परिभाषाओं में संशोधन किया गया है, ताकि विधेयक के प्रावधानों को और अधिक स्पष्ट बनाया जा सके.
(पीटीआई-भाषा)