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उपभोक्ता फोरम का आदेश- ग्वालियर के मशहूर आई सर्जन डॉ. राकेश गुप्ता को देना होगा 5 लाख हर्जाना

ग्वालियर शहर के जाने-माने आई सर्जन( Eye surgen) डॉ. राकेश गुप्ता के खिलाफ जिला उपभोक्ता फोरम (Consumer Forum) ने एक किशोर के इलाज में लापरवाही बरतने के कारण 5 लाख रुपए का हर्जाना देने के आदेश किए हैं. यह भुगतान एक महीने के भीतर चिकित्सक को करना होगा. साथ ही प्रकरण में आए खर्चे 3000 रुपए को भी देने के आदेश दिए गए हैं. (Order of Consumer Forum Gwalior) (Eye surgeon will have to pay 5 lakh) (Forum court strict on negligence in treatment)

Forum court strict on negligence in treatment
ग्वालियर उपभोक्ता फोरम का आदेश
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Published : May 3, 2022, 1:49 PM IST

ग्वालियर। शहर के आमखो इलाके में रहने वाले मानवेंद्र तोमर की उम्र पांच साल पहले तेरह साल थी. उसे आंख में दर्द की समस्या हुई थी. इस पर उसके परिजनों ने शहर के जाने-माने आई सर्जन डॉ.राकेश गुप्ता को दिखाया था. डॉ. राकेश गुप्ता ने बच्चे को स्टेरॉइड आई ड्रॉप मिलफ्लोडेक्स 5 जनवरी 2017 को प्रिस्क्रिप्शन में लिखी थी. यह आई ड्रॉप मानवेंद्र के परिजनों ने उसकी आंख में लगातार 2 महीने तक डाली थी, जिससे उसकी आंख में ग्लूकोमा हो गया. दूसरे डॉक्टर को दिखाया गया तो बताया गया कि मानवेंद्र की आंख में सेकेंडरी ग्लूकोमा हो गया है, जोकि स्टेरॉयड दवा दिए जाने से होता है. नियमानुसार मिलफ्लोडेक्स आई ड्रॉप के लगातार इस्तेमाल से किशोर की आंख की 70 से 80 फ़ीसदी रोशनी चली गई.

बालक की एक आंख की रोशनी 70 परसेंट चली गई : इसके बाद बालक का अरविंद हॉस्पिटल मदुरई और एम्स हॉस्पिटल दिल्ली में इलाज कराया गया. इसे लेकर मानवेंद्र के परिजनों ने जिला उपभोक्ता फोरम में परिवाद दायर किया था. बताया गया कि डॉक्टर ने बच्चे के इलाज में लापरवाही बरती है, जिसके कारण उसकी एक आंख की रोशनी 70 फ़ीसदी तक जा चुकी है. इसलिए क्षतिपूर्ति दिलाने के आदेश जारी किए जाएं. खास बात यह भी है कि मिलफ्लोडेक्स नामक आई ड्रॉप जिसे सन फार्मा कंपनी बनाती है, वह 18 साल से कम उम्र के रोगियों को प्रिसक्राइब नहीं की जा सकती है लेकिन जिस समय मानवेंद्र का इलाज शुरू हुआ था उस समय उसकी आयु सिर्फ 13 साल थी.

वयस्क की दवा बच्चे को लिख दी : चिकित्सक को यह स्टेरॉयड आई ड्रॉप बच्चे के लिए नहीं लिखना थी. हालांकि चिकित्सक ने कहा कि मानवेंद्र के परिजनों ने अपनी मर्जी से इस दवा को लगातार दो महीने तक उसकी आंखों में डाला है.जबकि उन्होंने ऐसे कोई निर्देश नहीं दिए थे. लेकिन उपभोक्ता फोरम ने इसे सेवा में कमी मानते हुए चिकित्सक राकेश गुप्ता पर पांच लाख रुपए हर्जाना देने के आदेश किए हैं. इस राशि को एक महीने के भीतर चुकाना होगा, अन्यथा 7 फ़ीसदी वार्षिक ब्याज भी उन्हें देना होगा.

दो साल बाद डॉक्टरों को मिला समर वेकेशन, विश्वास सारंग ने कहा- मरीजों को नहीं आएगी कोई परेशानी, अल्टरनेट व्यवस्था है तैयार

आई सर्जन के कृत्य को सेवा में कमी माना : इस मामले में याचिकाकर्ता मानवेंद्र तोमर के अधिवक्ता मनोज उपाध्याय का कहना है कि दवा के ब्रांड पर उसे स्पष्ट रूप से युवाओं को देने की बात लिखी गई है. इसके बावजूद 13 साल के बच्चे को यह दवा दी गई, जिससे उसकी एक आंख की रोशनी काफी कम हो गई. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता का कहना है कि कंज्यूमर फोरम ने डॉ. राकेश गुप्ता आई सर्जन के कृत्य को सेवा में कमी माना है. (Order of Consumer Forum Gwalior) (Eye surgeon will have to pay 5 lakh) (Forum court strict on negligence in treatment)

ग्वालियर। शहर के आमखो इलाके में रहने वाले मानवेंद्र तोमर की उम्र पांच साल पहले तेरह साल थी. उसे आंख में दर्द की समस्या हुई थी. इस पर उसके परिजनों ने शहर के जाने-माने आई सर्जन डॉ.राकेश गुप्ता को दिखाया था. डॉ. राकेश गुप्ता ने बच्चे को स्टेरॉइड आई ड्रॉप मिलफ्लोडेक्स 5 जनवरी 2017 को प्रिस्क्रिप्शन में लिखी थी. यह आई ड्रॉप मानवेंद्र के परिजनों ने उसकी आंख में लगातार 2 महीने तक डाली थी, जिससे उसकी आंख में ग्लूकोमा हो गया. दूसरे डॉक्टर को दिखाया गया तो बताया गया कि मानवेंद्र की आंख में सेकेंडरी ग्लूकोमा हो गया है, जोकि स्टेरॉयड दवा दिए जाने से होता है. नियमानुसार मिलफ्लोडेक्स आई ड्रॉप के लगातार इस्तेमाल से किशोर की आंख की 70 से 80 फ़ीसदी रोशनी चली गई.

बालक की एक आंख की रोशनी 70 परसेंट चली गई : इसके बाद बालक का अरविंद हॉस्पिटल मदुरई और एम्स हॉस्पिटल दिल्ली में इलाज कराया गया. इसे लेकर मानवेंद्र के परिजनों ने जिला उपभोक्ता फोरम में परिवाद दायर किया था. बताया गया कि डॉक्टर ने बच्चे के इलाज में लापरवाही बरती है, जिसके कारण उसकी एक आंख की रोशनी 70 फ़ीसदी तक जा चुकी है. इसलिए क्षतिपूर्ति दिलाने के आदेश जारी किए जाएं. खास बात यह भी है कि मिलफ्लोडेक्स नामक आई ड्रॉप जिसे सन फार्मा कंपनी बनाती है, वह 18 साल से कम उम्र के रोगियों को प्रिसक्राइब नहीं की जा सकती है लेकिन जिस समय मानवेंद्र का इलाज शुरू हुआ था उस समय उसकी आयु सिर्फ 13 साल थी.

वयस्क की दवा बच्चे को लिख दी : चिकित्सक को यह स्टेरॉयड आई ड्रॉप बच्चे के लिए नहीं लिखना थी. हालांकि चिकित्सक ने कहा कि मानवेंद्र के परिजनों ने अपनी मर्जी से इस दवा को लगातार दो महीने तक उसकी आंखों में डाला है.जबकि उन्होंने ऐसे कोई निर्देश नहीं दिए थे. लेकिन उपभोक्ता फोरम ने इसे सेवा में कमी मानते हुए चिकित्सक राकेश गुप्ता पर पांच लाख रुपए हर्जाना देने के आदेश किए हैं. इस राशि को एक महीने के भीतर चुकाना होगा, अन्यथा 7 फ़ीसदी वार्षिक ब्याज भी उन्हें देना होगा.

दो साल बाद डॉक्टरों को मिला समर वेकेशन, विश्वास सारंग ने कहा- मरीजों को नहीं आएगी कोई परेशानी, अल्टरनेट व्यवस्था है तैयार

आई सर्जन के कृत्य को सेवा में कमी माना : इस मामले में याचिकाकर्ता मानवेंद्र तोमर के अधिवक्ता मनोज उपाध्याय का कहना है कि दवा के ब्रांड पर उसे स्पष्ट रूप से युवाओं को देने की बात लिखी गई है. इसके बावजूद 13 साल के बच्चे को यह दवा दी गई, जिससे उसकी एक आंख की रोशनी काफी कम हो गई. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता का कहना है कि कंज्यूमर फोरम ने डॉ. राकेश गुप्ता आई सर्जन के कृत्य को सेवा में कमी माना है. (Order of Consumer Forum Gwalior) (Eye surgeon will have to pay 5 lakh) (Forum court strict on negligence in treatment)

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