ग्वालियर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने शहर में प्रदूषित पानी की सप्लाई को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की है. ग्वालियर बेंच ने केंद्र सरकार के संगठन राष्ट्रीय लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी और पर्यावरण को पक्षकार बनाने के निर्देश दिए हैं. इसके साथ ही राज्य सरकार को नोटिस जारी कर 2 हफ्ते में जवाब तलब किया है. इस मामले की सुनवाई अब जून के पहले हफ्ते में की जाएगी.
दरअसल, ग्वालियर के समाजसेवी राजेंद्र तलेगांवकर ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है. जिसमें कहा गया है कि स्वच्छ पानी पीना हर व्यक्ति का बुनियादी हक है, लेकिन नगर निगम के तिघरा से सप्लाई होने वाले पानी का स्तर गुणवत्ताविहीन है.
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि लंबे अरसे से ग्वालियर में प्रदूषित और पीले रंग के पानी की सप्लाई की जा रही है. जिससे बदबू आना आम बात हो गई है. इस पानी के लगातार इस्तेमाल से डायरिया और दूसरे संक्रामक रोग होने का अंदेशा है. याचिकाकर्ता ने पेयजल के मानक से संबंधित 77 पेज का एक मैन्युअल कोर्ट में पेश किया है. इस पर हाईकोर्ट ने मामले की गंभीरता देखते हुए ग्वालियर कलेक्टर, नगर निगम कमिश्नर और नगरीय विकास विभाग को नोटिस जारी कर 2 हफ्ते में जवाब मांगा है.
हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने कहा है कि प्रदूषित पानी को लेकर केंद्र सरकार का लोक स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग भी जिम्मेदार है, इसलिए उसे पक्षकार बनाया जाए. गौरतलब है कि ग्वालियर शहर में प्रदूषित पानी की सप्लाई को लेकर पहले भी कई शिकायतें नगर निगम कमिश्नर और जिला प्रशासन को की जा चुकी है, लेकिन पानी शुद्ध ना होकर प्रदूषित सप्लाई हो रही है. नागपुर से आए नीरी के विशेषज्ञों ने भी पानी को पीने योग्य नहीं बताया है. हाईकोर्ट के निर्देश के बाद अब जून के पहले हफ्ते में इस मामले पर सुनवाई होगी.