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यूरिया वितरण में गड़बड़ी को लेकर हाईकोर्ट का फैसला, मामले में पारदर्शिता लाए सरकार - gwalior bench decision on urea distribution

बड़े पैमाने में हो रही यूरिया वितरण में गड़बड़ी को लेकर ग्वालियर बेंच ने अपना फैसला सुनाया है.कोर्ट ने राज्य सरकार और केंद्र सरकार को निर्देश देते हुए कहा है कि यूरिया वितरण की प्रक्रिया में पारदर्शिता की जाये.

यूरिया वितरण को लेकर ग्वालियर बेंच का फैसला
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Published : Aug 4, 2019, 9:37 PM IST

ग्वालियर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने यूरिया वितरण में गड़बड़ी को लेकर लगी जनहित याचिका पर फैसला सुनाया है.ग्वालियर बेंच ने केंद्र और राज्य सरकार को निर्देश दिये है कि यूरिया वितरण को लेकर पारदर्शिता बनाई जाये और इस प्रक्रिया को ऑनलाइन किया जाये ताकि ये पता चल सके कि कितना यूरिया अंवाटित हुआ है. कोर्ट ने इस व्यवस्था को तैयार करने के लिए तीन महीने की समय सीमा तय की है. कोर्ट का यह भी कहना है कि दूध और शराब में यूरिया का इस्तेमाल नहीं हो इसका विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए.

यूरिया वितरण को लेकर ग्वालियर बेंच का फैसला

दरअसल, अधिवक्ता उमेश बोहरे ने हाईकोर्ट में दिसंबर 2018 में एक जनहित याचिका दायर की थी. जिसमें उन्होंने कहा था कि रबी की फसल के दौरान यूरिया के लिए किसानों को भारी परेशानी उठानी पड़ती है. कई बार उन्हें ब्लैक में यूरिया खरीदना पड़ता है. यूरिया वितरण की व्यवस्था पारदर्शी नहीं होने के कारण उसकी ब्लैक मार्केटिंग और उसका गलत इस्तेमाल होने की आशंका जताई थी.

बता दें कि हाईकोर्ट ने 19 जुलाई को इस मामले में अंतिम सुनवाई की थी और फैसले को सुरक्षित रख लिया था.

ग्वालियर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने यूरिया वितरण में गड़बड़ी को लेकर लगी जनहित याचिका पर फैसला सुनाया है.ग्वालियर बेंच ने केंद्र और राज्य सरकार को निर्देश दिये है कि यूरिया वितरण को लेकर पारदर्शिता बनाई जाये और इस प्रक्रिया को ऑनलाइन किया जाये ताकि ये पता चल सके कि कितना यूरिया अंवाटित हुआ है. कोर्ट ने इस व्यवस्था को तैयार करने के लिए तीन महीने की समय सीमा तय की है. कोर्ट का यह भी कहना है कि दूध और शराब में यूरिया का इस्तेमाल नहीं हो इसका विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए.

यूरिया वितरण को लेकर ग्वालियर बेंच का फैसला

दरअसल, अधिवक्ता उमेश बोहरे ने हाईकोर्ट में दिसंबर 2018 में एक जनहित याचिका दायर की थी. जिसमें उन्होंने कहा था कि रबी की फसल के दौरान यूरिया के लिए किसानों को भारी परेशानी उठानी पड़ती है. कई बार उन्हें ब्लैक में यूरिया खरीदना पड़ता है. यूरिया वितरण की व्यवस्था पारदर्शी नहीं होने के कारण उसकी ब्लैक मार्केटिंग और उसका गलत इस्तेमाल होने की आशंका जताई थी.

बता दें कि हाईकोर्ट ने 19 जुलाई को इस मामले में अंतिम सुनवाई की थी और फैसले को सुरक्षित रख लिया था.

Intro:ग्वालियर
हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने उस जनहित याचिका का निराकरण कर दिया है जिसमें हर साल यूरिया के वितरण में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी के आरोप लगाते हुए किसानों को हो रही परेशानी को प्रमुखता से उठाया गया था। हाईकोर्ट ने कहा है कि केंद्र और राज्य सरकारें ऐसी व्यवस्था बनाएं जिससे यूरिया का वितरण के वितरण में पारदर्शिता रहे और सारी जानकारी ऑनलाइन रहे। कोर्ट का यह भी कहना है कि दूध और शराब में यूरिया का इस्तेमाल नहीं हो इसका विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए।


Body:दरअसल अधिवक्ता उमेश बोहरे ने हाई कोर्ट में दिसंबर 2018 में एक जनहित याचिका दायर की थी जिसमें उन्होंने कहा था कि रबी की फसल के दौरान यूरिया के लिए किसानों को भारी परेशानी उठानी पड़ती है कई बार उन्हें ब्लैक में यूरिया खरीदना पड़ता है। यूरिया वितरण की व्यवस्था पारदर्शी नहीं होने के कारण उसकी ब्लैक मार्केटिंग और उसका गलत इस्तेमाल होने की आशंका जताई थी।


Conclusion:हाई कोर्ट ने 19 जुलाई को इस मामले में अंतिम सुनवाई की थी और फैसले को सुरक्षित रख लिया था अब हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि यूरिया वितरण की व्यवस्था सरकार 3 महीने के अंदर तैयार करे और यूरिया के वितरण डिमांड और भंडारण की जानकारी को ऑनलाइन किया जाए। इन दिनों ग्वालियर चंबल संभाग में मिलावट खोरो पर कार्रवाई चल रही कई मिलावटी दूध तैयार करने वालों के यहां यूरिया मिला है वही कच्ची शराब बनाने वाले भी बड़े पैमाने पर यूरिया खरीद रहे हैं। हाई कोर्ट का कहना है कि यूरिया सही हाथों में पहुंचे और उसका गलत इस्तेमाल किसी भी सूरत में नहीं होना चाहिए सरकार को ऐसी व्यवस्था करना होगी।
बाइट उमेश बोहरे याचिकाकर्ता अधिवक्ता हाई कोर्ट ग्वालियर
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