ग्वालियर। दिल्ली में हो रहे किसान आंदोलन की गूंज मध्यप्रदेश में भी तेज हो गई है. ग्वालियर जिले से हजारों की संख्या में किसान आज दिल्ली के लिए रवाना हो गए हैं. यह किसान एकजुट होकर ट्रैक्टर ट्रॉली के जरिए दिल्ली जा रहे हैं. साथ ही 6 महीने का राशन पानी ले जा रहे हैं. वहीं दिल्ली के लिए रवाना हुए किसानों ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि हर जगह से किसान आंदोलन में शामिल होने के लिए दिल्ली जा रहा है, इसी को लेकर वे भी उस आंदोलन का हिस्सा बनने दिल्ली जा रहे हैं.
ग्वालियर जिले से डबरा भितरवार चीनोर और क्षेत्र के हर गांव से किसान आज दिल्ली के लिए रवाना हो रहा है. खास बात यह है दिल्ली जा रहे किसानों में सबसे ज्यादा युवा किसान शामिल हैं. जो इस आंदोलन में ग्वालियर जिले से शामिल होने जा रहे हैं. किसानों का कहना है कि जब तक सरकार हमारी बात को नहीं मानेगी तब तक हम वहीं रहेंगे.
6 महीने के राशन के साथ किसान रवाना
यही वजह है कि वे 6 महीने का राशन पानी लेकर आंदोलन में शामिल होने के लिए जा रहे हैं. किसानों का कहना है कि अगर जरूरत पड़ी तो फिर से राशन पानी मंगवाकर आंदोलन में डटे रहेंगे. बता दें मंगलवार को ग्वालियर कलेक्टर एसपी ने इन किसानों से आंदोलन में शामिल न होने का आग्रह किया था, लेकिन किसानों ने जिला प्रशासन की बात नहीं मानी. आज वह दिल्ली के लिए कूच कर चुके हैं.
यह है मामला
केन्द्र सरकार के कृषि कानून के विरोध में 26 और 27 नवंबर को दिल्ली में किसान आंदोलन की घोषणा की गई थी. इस आंदोलन में देश के अन्य राज्यों से भी किसान पहुंच रहे हैं. आंदोलन में शामिल होने ग्वालियर, भिंड और मुरैना से किसान दिल्ली के लिए 25 नवंबर रात 2 बजे रवाना हुए थे. 26 नवंबर की सुबह 8 बजे धौलपुर के बाद नेशनल हाइवे -3 पर सैंया टोल के पास यूपी पुलिस ने किसानों के दल को रोक लिया. उन्हें आगे जाने ही नहीं दिया गया. जिस पर किसानों ने वहीं प्रदर्शन शुरू कर दिया. शुक्रवार सुबह किसानों ने फिर निकलने का प्रयास किया. जब नहीं निकलने दिया गया तो किसानों ने हाइवे ही घेर लिया, जिससे कुछ ही समय में हाइवे पर धौलपुर से ग्वालियर तक जाम लग गया.
नए कृषि कानूनों का भारी विरोध
नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर जारी किसानों का आंदोलन शनिवार को और उग्र हो गया था. दिल्ली-हरियाणा सीमा पर हजारों प्रदर्शनकारी जमा हुए थे. पुलिस ने आगे बढ़ने नहीं दिया. नहीं मानें तो आंसू गैस के गोले दागे गए. आंदोलनकारी किसानों को तितर-बितर करने के लिए पानी की बौछारें भी की गई. किसानों ने भी अपने रास्ते की अड़चन को दूर करने में अपनी ओर से कोई कसर नहीं छोड़ी. उन्होंने नाकाबंदी को हटाने के लिए एक ट्रक का इस्तेमाल कर एक पुलिस वाहन को टक्कर मार दी. दिल्ली पुलिस ने तब हल्के लाठीचार्ज का सहारा लिया. पहले दिल्ली पुलिस किसानों को स्टेडियमों में अस्थायी जेल बनाकर रखना चाहती थी, लेकिन दिल्ली सरकार के मंजूरी न देने पर उन्हें बुराड़ी मैदान में धरने की इजाजत दे दी गई. लेकिन किसानों ने बुराड़ी जाने से इनकार कर दिया, जिसके चलते सिंधु सीमा पर हिंसक झड़प हो गई.