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फिट लोगों को बनाया जा रहा दिव्यांग! ग्वालियर पुलिस ने फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट बनाने वाले रैकेट का किया पर्दाफाश - फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट

ग्वालियर पुलिस ने फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट (fake Divyang certificate racket) बनाने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है. पुलिस ने इस रैकेट के सरगना को गिरफ्तार किया है.

Gwalior Police disclosed fake Divyang certificate racket
ग्वालियर पुलिस ने फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट बनाने वाले रैकेट का किया पर्दाफाश
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Published : Jan 14, 2022, 6:38 PM IST

ग्वालियर। स्वस्थ लोगों का फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट (fake Divyang certificate racket) बनाने वाले रैकेट का पर्दाफाश हुआ है. रैकेट का सरगना सिविल सर्जन ऑफिस में पदस्थ ऑपरेटर बताया जा रहा है. जो शरीरिक तौर से फिट व्यक्ति को गूंगा, बहरा और अंधा बना कर सर्टिफिकेट जारी करता था. इसके बाद इन फर्जी दिव्यांगों की सूची वेबसाइट पर अपडेट करता था. लोग फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट के जरिए सरकारी योजनाओं में मिली वाली सुविधाओं का उपयोग करते थे. पुलिस ने रैकेट के सरगना को गिरफ्तार कर लिया है.

जबलपुर में बांद्रा स्पेशल ट्रेन के दो डिब्बे डिरेल, आवागमन बाधित

ऐसे हुआ मामले का खुलासा
ग्वालियर में क्राइम ब्रांच को शिकायत मिली थी कि जिले में फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट बनाए जा रहे हैं, साथ ही सामाजिक न्याय निःशक्तजन कल्याण विभाग के कर्मचारी ने शिकायत की थी कि बसंत मुरैना जिले की बसंत गौर के नाम के व्यक्ति ने एक फर्जी सर्टिफिकेट बनवाया है, जबकि वो शरीर से पूरी तरह ठीक है. शिकायत पर पुलिस ने जब इसकी पड़ताल की और बसंत गौर की दोबारा से जांच कराई तो वह पूरी तरह फिट पाया गया. इसके बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी. जांच में पता चला कि मुरैना के बसंत गौर के अलावा राम नरेश त्यागी और कपिल धाकड़ ने भी फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट बनवाए हैं.
सीएमएचओ ऑफिस का ऑपरेटर निकला सरगना
जब पुलिस ने मुख्य एवं जिला चिकित्सा अधिकारी से पूछताछ की तो पता चला कि पूरे खेल के पीछे सीएमएचओ ऑफिस में पदस्थ ऑपरेटर का हाथ है. और इस ऑपरेटर का नाम गुरु बताया जा रहा है. गुरु तीन से पांच हजार रुपए लेकर फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट तैयार करता था. इस आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. पुलिस ने जब इससे पूछताछ की तो पता चला कि वह 3 महीने से सिविल सर्जन ऑफिस में आउटसोर्स कर्मचारी के तौर पर काम कर रहा हैं और इस दौरान इसने कई दिव्यांग सर्टिफिकेट बनाये.
जांच के बाद हो सकते हैं बड़े खुलासे
इस पूरे मामले में पुलिस अभी जांच में जुटी हुई है कि इस ऑपरेटर ने किन-किन को फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट बांटे हैं. पूछताछ में आरोपी ऑपरेटर ने बताया है कि वह दर्जनों भर लोगों को फर्जी सर्टिफिकेट बांट चुका है. इस पूरे मामले में क्राइम ब्रांच के एसपी राजेश दंडोतिया का कहना है कि इस रैकेट में कई और लोग जुड़े हो सकते हैं, इस पर आरोपी ऑपरेटर से अभी पूछताछ की जा रही है.

ग्वालियर। स्वस्थ लोगों का फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट (fake Divyang certificate racket) बनाने वाले रैकेट का पर्दाफाश हुआ है. रैकेट का सरगना सिविल सर्जन ऑफिस में पदस्थ ऑपरेटर बताया जा रहा है. जो शरीरिक तौर से फिट व्यक्ति को गूंगा, बहरा और अंधा बना कर सर्टिफिकेट जारी करता था. इसके बाद इन फर्जी दिव्यांगों की सूची वेबसाइट पर अपडेट करता था. लोग फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट के जरिए सरकारी योजनाओं में मिली वाली सुविधाओं का उपयोग करते थे. पुलिस ने रैकेट के सरगना को गिरफ्तार कर लिया है.

जबलपुर में बांद्रा स्पेशल ट्रेन के दो डिब्बे डिरेल, आवागमन बाधित

ऐसे हुआ मामले का खुलासा
ग्वालियर में क्राइम ब्रांच को शिकायत मिली थी कि जिले में फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट बनाए जा रहे हैं, साथ ही सामाजिक न्याय निःशक्तजन कल्याण विभाग के कर्मचारी ने शिकायत की थी कि बसंत मुरैना जिले की बसंत गौर के नाम के व्यक्ति ने एक फर्जी सर्टिफिकेट बनवाया है, जबकि वो शरीर से पूरी तरह ठीक है. शिकायत पर पुलिस ने जब इसकी पड़ताल की और बसंत गौर की दोबारा से जांच कराई तो वह पूरी तरह फिट पाया गया. इसके बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी. जांच में पता चला कि मुरैना के बसंत गौर के अलावा राम नरेश त्यागी और कपिल धाकड़ ने भी फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट बनवाए हैं.
सीएमएचओ ऑफिस का ऑपरेटर निकला सरगना
जब पुलिस ने मुख्य एवं जिला चिकित्सा अधिकारी से पूछताछ की तो पता चला कि पूरे खेल के पीछे सीएमएचओ ऑफिस में पदस्थ ऑपरेटर का हाथ है. और इस ऑपरेटर का नाम गुरु बताया जा रहा है. गुरु तीन से पांच हजार रुपए लेकर फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट तैयार करता था. इस आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. पुलिस ने जब इससे पूछताछ की तो पता चला कि वह 3 महीने से सिविल सर्जन ऑफिस में आउटसोर्स कर्मचारी के तौर पर काम कर रहा हैं और इस दौरान इसने कई दिव्यांग सर्टिफिकेट बनाये.
जांच के बाद हो सकते हैं बड़े खुलासे
इस पूरे मामले में पुलिस अभी जांच में जुटी हुई है कि इस ऑपरेटर ने किन-किन को फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट बांटे हैं. पूछताछ में आरोपी ऑपरेटर ने बताया है कि वह दर्जनों भर लोगों को फर्जी सर्टिफिकेट बांट चुका है. इस पूरे मामले में क्राइम ब्रांच के एसपी राजेश दंडोतिया का कहना है कि इस रैकेट में कई और लोग जुड़े हो सकते हैं, इस पर आरोपी ऑपरेटर से अभी पूछताछ की जा रही है.

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