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MP BSC Nursing Case: हाई कोर्ट में पेश हुए विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक, शासन के जवाब पर HC ने जताई नाराजगी - उच्च न्यायालय समाचार हिंदी

मध्य प्रदेश में BSC नर्सिंग सेकंड ईयर परीक्षा पर रोक लगाने के मामले में हाईकोर्ट (Gwalior High Court) में विवि के परीक्षा नियंत्रक पेश हुए. इस दौरान शासन के जवाब पर हाई कोर्ट ने नाराजगी जताई है.

mp bsc nursing Case mp high court
एमपी बीएससी नर्सिंग मामला हाई कोर्ट
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Published : Jan 27, 2023, 10:14 PM IST

शासन के जवाब पर HC ने जताई नाराजगी

ग्वालियर। प्रदेश में BSC नर्सिंग सेकंड ईयर परीक्षा पर रोक मामले पर आज हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच में सुनवाई हुई है. इस दौरान जबलपुर आयुर्विज्ञान विश्वविधालय के परीक्षा नियंत्रक पेश हुए. शासन के जबाब पर हाई कोर्ट ने नाराजगी जताई है. हाई कोर्ट ने शासन से छात्रों की संख्या के साथ कॉलेजवार जानकारी मांगी है. साथ ही निर्देश दिए है कि, शासन को एफिडेविट के साथ अगली सुनवाई में जबाब प्रस्तुत करना होगा. अब इस मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी.
परीक्षा नियंत्रक को जारी हुआ था नोटिस: गौर करने वाली बात यह भी है कि, बीती सुनावई के दौरान अधिसूचना पत्र के संबंध में परीक्षा नियंत्रक को नोटिस जारी हुआ था. इसमें शासन को बिना नामांकन, बिना संबद्धता वाले नर्सिंग कॉलेजों से जुड़े छात्रों की जानकारी शासन को पेश करनी थी, लेकिन शासन ने पेश किए जबाब में सिर्फ 8661 छात्रों की संख्या बताई. बाकी अन्य जानकारी पेश नहीं कि, जिस पर हाई कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए अगली सुनवाई में पूरी जानकरी एफिडेविट के साथ मांगी है.

रसूखदार लोगो से जुड़े नर्सिंग कॉलेज: हाई कोर्ट में याचिकाकर्ता ने सुनवाई के दौरान यह मामला भी उठाया है कि, रसूखदार लोगो से जुड़े नर्सिंग कॉलेजों को विश्वविधालय द्वारा सपोर्ट किया जा रहा है, जो सीधे तौर पर छात्रों के भविष्य से खिलबाड़ को दर्शाता है. आपको बता दें कि 19 सितंबर को जबलपुर आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय की तरफ से एक अधिसूचना जारी की गई थी. जिसमें कहा गया था कि, बीएससी नर्सिंग सेकंड इयर की परीक्षा 2022 आयोजित की जा रही है.

MP में BSC नर्सिंग सेकंड ईयर परीक्षा पर रोक का मामला, HC ने आयुर्विज्ञान विवि के कुलसचिव से मांगा शपथ पत्र

हाई कोर्ट ने माना था गंभीर लापरवाही: इस परीक्षा में कुछ नर्सिंग विश्वविद्यालय के विद्यार्थी संबद्धता एवं नामांकन के अभाव में परीक्षा में सम्मिलित हो रहे थे, ऐसे विश्वविद्यालय और उनके विद्यार्थियों के लिए विश्वविद्यालय परीक्षा आयोजित करा रहा था, जिसको लेकर हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच में एक जनहित याचिका दायर की गयी थी, हाई कोर्ट ने इसको गंभीर लापरवाही माना था. साथ ही परीक्षा पर रोक लगा दी थी.

शासन के जवाब पर HC ने जताई नाराजगी

ग्वालियर। प्रदेश में BSC नर्सिंग सेकंड ईयर परीक्षा पर रोक मामले पर आज हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच में सुनवाई हुई है. इस दौरान जबलपुर आयुर्विज्ञान विश्वविधालय के परीक्षा नियंत्रक पेश हुए. शासन के जबाब पर हाई कोर्ट ने नाराजगी जताई है. हाई कोर्ट ने शासन से छात्रों की संख्या के साथ कॉलेजवार जानकारी मांगी है. साथ ही निर्देश दिए है कि, शासन को एफिडेविट के साथ अगली सुनवाई में जबाब प्रस्तुत करना होगा. अब इस मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी.
परीक्षा नियंत्रक को जारी हुआ था नोटिस: गौर करने वाली बात यह भी है कि, बीती सुनावई के दौरान अधिसूचना पत्र के संबंध में परीक्षा नियंत्रक को नोटिस जारी हुआ था. इसमें शासन को बिना नामांकन, बिना संबद्धता वाले नर्सिंग कॉलेजों से जुड़े छात्रों की जानकारी शासन को पेश करनी थी, लेकिन शासन ने पेश किए जबाब में सिर्फ 8661 छात्रों की संख्या बताई. बाकी अन्य जानकारी पेश नहीं कि, जिस पर हाई कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए अगली सुनवाई में पूरी जानकरी एफिडेविट के साथ मांगी है.

रसूखदार लोगो से जुड़े नर्सिंग कॉलेज: हाई कोर्ट में याचिकाकर्ता ने सुनवाई के दौरान यह मामला भी उठाया है कि, रसूखदार लोगो से जुड़े नर्सिंग कॉलेजों को विश्वविधालय द्वारा सपोर्ट किया जा रहा है, जो सीधे तौर पर छात्रों के भविष्य से खिलबाड़ को दर्शाता है. आपको बता दें कि 19 सितंबर को जबलपुर आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय की तरफ से एक अधिसूचना जारी की गई थी. जिसमें कहा गया था कि, बीएससी नर्सिंग सेकंड इयर की परीक्षा 2022 आयोजित की जा रही है.

MP में BSC नर्सिंग सेकंड ईयर परीक्षा पर रोक का मामला, HC ने आयुर्विज्ञान विवि के कुलसचिव से मांगा शपथ पत्र

हाई कोर्ट ने माना था गंभीर लापरवाही: इस परीक्षा में कुछ नर्सिंग विश्वविद्यालय के विद्यार्थी संबद्धता एवं नामांकन के अभाव में परीक्षा में सम्मिलित हो रहे थे, ऐसे विश्वविद्यालय और उनके विद्यार्थियों के लिए विश्वविद्यालय परीक्षा आयोजित करा रहा था, जिसको लेकर हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच में एक जनहित याचिका दायर की गयी थी, हाई कोर्ट ने इसको गंभीर लापरवाही माना था. साथ ही परीक्षा पर रोक लगा दी थी.

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