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MP 68th Foundation Day: गांधी की हत्या से जुड़ा था ग्वालियर का कनेक्शन! क्या इस वजह से नहीं बनाया गया एमपी की राजधानी?

आज मध्यप्रदेश अपना 68वां स्थापना दिवस मना रहा है. साल 1956 में देश के दिल इस प्रदेश का गठन किया गया था. लेकिन राजधानी को लेकर विवाद बना ही रहा. पहले प्रदेश की राजधानी ग्वालियर को बनाना था, लेकिन अब उसके बाद भोपाल के नाम पर बतौर राजधानी मुहर लगी. पढ़ें, मध्यप्रदेश के स्थापना दिवस पर ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट...

MP Election 2023
ग्वालियर का इतिहास
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Nov 1, 2023, 6:03 AM IST

ग्वालियर के वरिष्ठ पत्रकार देव श्रीमाली

ग्वालियर। हिंदुस्तान का दिल कहा जाने वाला मध्य प्रदेश कल अपना 1 नवंबर को जन्मदिन मनाएगा. इसी दिन मध्य प्रदेश का गठन हुआ था और साल 1956 में भोपाल को मध्य प्रदेश की राजधानी घोषित कर दिया गया था. लेकिन शायद काम ही लोगों को पता होगा कि भोपाल को राजधानी बनाने से पहले ग्वालियर को राजधानी बनाया जा रहा था. इसके पीछे का कारण यह था कि ग्वालियर देश की सबसे बड़ी रियासत में शामिल था.

ग्वालियर का वैभवशाली इतिहास होने के कारण मध्य प्रदेश की राजधानी बनाने के लिए नाम किया गया. जैसे ही ग्वालियर का नाम सामने आया तो इसका विरोध शुरू हो गया. इस विरोध की पीछे की कहानी क्या है और क्यों ग्वालियर को राजधानी नहीं बनाया गया। पढ़िए विस्तृत रिपोर्ट...

आज ही के दिन हुआ था एमपी गठन: बता दें, 1 नवंबर 1996 को जब मध्य प्रदेश का गठन हुआ. उसके बाद ग्वालियर चंबल के तमाम बड़े नेताओं ने देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से ग्वालियर को मध्य प्रदेश की राजधानी बनाने की मांग रखी. इसका सबसे बड़ा कारण यह था कि मध्य भारत की राजधानी ग्वालियर थी. यहां पर मध्य प्रदेश के सभी विभागों की प्रमुख दफ्तर हुआ करते थे. इसके साथ ही ग्वालियर का वैभवशाली इतिहास और देश की सबसे बड़ी सिंधिया रियासत भी यही से थी.

बताया जाता है कि जब मध्य प्रदेश की राजधानी बनाने के लिए ग्वालियर का नाम सामने आया तो उसका विरोध शुरू होने लगा. पहले इसका सबसे बड़ा कारण यह बताया जाता है कि इंदौर रियासत होल्कर चाहता था कि इंदौर मध्य प्रदेश की राजधानी बने और सिंधिया राज घराना चाहता था कि ग्वालियर को राजधानी बनाया जाए. इन दोनों के बीच आपस में विवाद होने लगा. वही दूसरा कारण यह भी था कि ग्वालियर का नाम बापू महात्मा गांधी की हत्या से जुड़ा था, क्योंकि इस दौरान नाथूराम गोडसे ने बापू महात्मा गांधी की जिस बंदूक से हत्या की थी, वह बंदूक ग्वालियर से खरीदी गई. इसके अलावा राष्ट्र विरोधी गतिविधियां भी बढ़ गई.

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ग्वालियर हिंदू महासभा का गढ़ रहा था: मध्य प्रदेश की राजधानी ग्वालियर न बनने का सबसे बड़ा कारण यह था कि ग्वालियर हिंदू महासभा का शुरू से गढ़ रहा है. यही कारण है कि बापू का हत्यारा नाथूराम गोडसे की शरण स्थली रही है. नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या की साजिश इसी ग्वालियर में रची थी और उसके बाद उन्होंने यही बंदूक चलाने की प्रैक्टिस भी इसी ग्वालियर में की थी.

उसके बाद जिस पिस्तौल से बापू महात्मा गांधी की हत्या की थी. वह पिस्टल भी इसी ग्वालियर से खरीदी थी. यह दोनों कारण होने के कारण ग्वालियर को मध्य प्रदेश की राजधानी बनाने के लिए विवाद होता रहा और उसके बाद अंत में फैसला लिया गया कि भोपाल को मध्य प्रदेश की राजधानी बनाया जाए.

वरिष्ठ पत्रकार देव श्रीमाली कहते हैं, 'मध्य प्रदेश की राजधानी आज भले ही भोला है, लेकिन ग्वालियर किसी राजधानी से काम नहीं है. आज भी मध्य प्रदेश के एक दर्जन से अधिक प्रमुख कार्यालय इसी ग्वालियर में स्थापित है. इसमें राजस्व विभाग, भू अभिलेख विभाग, परिवहन विभाग के अलावा तमाम दर्जनभर ऐसे विभाग हैं, जो ग्वालियर से संचालित हो रहे हैं. इसके अलावा ग्वालियर पूरी मध्य प्रदेश की राजनीति का गढ़ कहा जाता है. यही कारण है कि इस ग्वालियर में बीजेपी और कांग्रेस पार्टी के कद्दावर नेता है, जो मध्य प्रदेश के अलावा देश की राजनीति में प्रतिनिधित्व करते हैं.

ग्वालियर के वरिष्ठ पत्रकार देव श्रीमाली

ग्वालियर। हिंदुस्तान का दिल कहा जाने वाला मध्य प्रदेश कल अपना 1 नवंबर को जन्मदिन मनाएगा. इसी दिन मध्य प्रदेश का गठन हुआ था और साल 1956 में भोपाल को मध्य प्रदेश की राजधानी घोषित कर दिया गया था. लेकिन शायद काम ही लोगों को पता होगा कि भोपाल को राजधानी बनाने से पहले ग्वालियर को राजधानी बनाया जा रहा था. इसके पीछे का कारण यह था कि ग्वालियर देश की सबसे बड़ी रियासत में शामिल था.

ग्वालियर का वैभवशाली इतिहास होने के कारण मध्य प्रदेश की राजधानी बनाने के लिए नाम किया गया. जैसे ही ग्वालियर का नाम सामने आया तो इसका विरोध शुरू हो गया. इस विरोध की पीछे की कहानी क्या है और क्यों ग्वालियर को राजधानी नहीं बनाया गया। पढ़िए विस्तृत रिपोर्ट...

आज ही के दिन हुआ था एमपी गठन: बता दें, 1 नवंबर 1996 को जब मध्य प्रदेश का गठन हुआ. उसके बाद ग्वालियर चंबल के तमाम बड़े नेताओं ने देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से ग्वालियर को मध्य प्रदेश की राजधानी बनाने की मांग रखी. इसका सबसे बड़ा कारण यह था कि मध्य भारत की राजधानी ग्वालियर थी. यहां पर मध्य प्रदेश के सभी विभागों की प्रमुख दफ्तर हुआ करते थे. इसके साथ ही ग्वालियर का वैभवशाली इतिहास और देश की सबसे बड़ी सिंधिया रियासत भी यही से थी.

बताया जाता है कि जब मध्य प्रदेश की राजधानी बनाने के लिए ग्वालियर का नाम सामने आया तो उसका विरोध शुरू होने लगा. पहले इसका सबसे बड़ा कारण यह बताया जाता है कि इंदौर रियासत होल्कर चाहता था कि इंदौर मध्य प्रदेश की राजधानी बने और सिंधिया राज घराना चाहता था कि ग्वालियर को राजधानी बनाया जाए. इन दोनों के बीच आपस में विवाद होने लगा. वही दूसरा कारण यह भी था कि ग्वालियर का नाम बापू महात्मा गांधी की हत्या से जुड़ा था, क्योंकि इस दौरान नाथूराम गोडसे ने बापू महात्मा गांधी की जिस बंदूक से हत्या की थी, वह बंदूक ग्वालियर से खरीदी गई. इसके अलावा राष्ट्र विरोधी गतिविधियां भी बढ़ गई.

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उसके बाद जिस पिस्तौल से बापू महात्मा गांधी की हत्या की थी. वह पिस्टल भी इसी ग्वालियर से खरीदी थी. यह दोनों कारण होने के कारण ग्वालियर को मध्य प्रदेश की राजधानी बनाने के लिए विवाद होता रहा और उसके बाद अंत में फैसला लिया गया कि भोपाल को मध्य प्रदेश की राजधानी बनाया जाए.

वरिष्ठ पत्रकार देव श्रीमाली कहते हैं, 'मध्य प्रदेश की राजधानी आज भले ही भोला है, लेकिन ग्वालियर किसी राजधानी से काम नहीं है. आज भी मध्य प्रदेश के एक दर्जन से अधिक प्रमुख कार्यालय इसी ग्वालियर में स्थापित है. इसमें राजस्व विभाग, भू अभिलेख विभाग, परिवहन विभाग के अलावा तमाम दर्जनभर ऐसे विभाग हैं, जो ग्वालियर से संचालित हो रहे हैं. इसके अलावा ग्वालियर पूरी मध्य प्रदेश की राजनीति का गढ़ कहा जाता है. यही कारण है कि इस ग्वालियर में बीजेपी और कांग्रेस पार्टी के कद्दावर नेता है, जो मध्य प्रदेश के अलावा देश की राजनीति में प्रतिनिधित्व करते हैं.

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