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ग्वालियर में शराब ठेकेदारों ने लाइसेंस किए सरेंडर, अब आबकारी विभाग के कर्मचारी चलाएंगे ठेका - Gwalior News

ग्वालियर चंबल संभाग के ठेकेदारों ने अपने शराब लाइसेंस सरेंडर कर दिए हैं. अब शराब दुकानों को या तो दोबारा नीलाम किया जाएगा या आबकारी विभाग फिलहाल कुछ दिनों तक इन दुकानों को अपने कर्मचारियों की मदद से चलाएगा.

Liquor Contractors in Gwalior
ग्वालियर में शराब ठेकेदार
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Published : Jun 6, 2020, 7:34 PM IST

ग्वालियर। जिले की अंग्रेजी और देसी शराब की दुकानों को चालू वित्तीय वर्ष में चलाने से दुकानदारों ने हाथ खड़े कर दिए हैं. करीब 400 करोड़ में ग्वालियर जिले के शराब ठेकों को दो ग्रुप ने लिया था, उन्होंने पांच परसेंट की अर्नेस्ट मनी भी आबकारी विभाग में जमा कराई थी. लेकिन कोरोना वायरस के कारण लगे लॉकडाउन में यह दुकानें विधिवत रूप से संचालित नहीं हो सकी.

इस बीच लॉकडाउन के चलते सभी शादी समारोह और होटलों पर भी ताला बंदी का असर देखा गया. जिसके कारण शराब की खपत जीरो हो गई. हालांकि पिछले महीने 6 मई से सरकार ने ग्रीन जोन में दुकानें संचालित करने के लिए ठेकेदारों को अनुमति दी थी, लेकिन ठेकेदारों ने 2 महीने की लाइसेंस फीस और बैंक गारंटी जमा करने से हाथ खड़े कर दिए.

उनका कहना था कि दुकानें बंद होने से उन्हें बड़ा घाटा हुआ है. इसलिए वे 2 महीने की लाइसेंस फीस नहीं चुका सकते. शासन स्तर पर बात नहीं बनने के बाद ठेकेदारों ने हाईकोर्ट की मुख्य पीठ जबलपुर में याचिका दायर की. लेकिन हाईकोर्ट ने भी ठेकेदारों को राहत नहीं दी, तब ग्वालियर चंबल संभाग के ठेकेदारों ने अपने शराब लाइसेंस सरेंडर कर दिए.

आबकारी विभाग को अपने डिपार्टमेंट के नए आदेश का इंतजार है. उसके मुताबिक शराब दुकानों को या तो दोबारा नीलाम किया जाएगा या विभाग फिलहाल कुछ दिनों तक इन दुकानों को अपने कर्मचारियों की मदद से चलाएंगे. लेकिन इस दौरान विभाग को करीब सत्तर करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान हो चुका है.

ग्वालियर। जिले की अंग्रेजी और देसी शराब की दुकानों को चालू वित्तीय वर्ष में चलाने से दुकानदारों ने हाथ खड़े कर दिए हैं. करीब 400 करोड़ में ग्वालियर जिले के शराब ठेकों को दो ग्रुप ने लिया था, उन्होंने पांच परसेंट की अर्नेस्ट मनी भी आबकारी विभाग में जमा कराई थी. लेकिन कोरोना वायरस के कारण लगे लॉकडाउन में यह दुकानें विधिवत रूप से संचालित नहीं हो सकी.

इस बीच लॉकडाउन के चलते सभी शादी समारोह और होटलों पर भी ताला बंदी का असर देखा गया. जिसके कारण शराब की खपत जीरो हो गई. हालांकि पिछले महीने 6 मई से सरकार ने ग्रीन जोन में दुकानें संचालित करने के लिए ठेकेदारों को अनुमति दी थी, लेकिन ठेकेदारों ने 2 महीने की लाइसेंस फीस और बैंक गारंटी जमा करने से हाथ खड़े कर दिए.

उनका कहना था कि दुकानें बंद होने से उन्हें बड़ा घाटा हुआ है. इसलिए वे 2 महीने की लाइसेंस फीस नहीं चुका सकते. शासन स्तर पर बात नहीं बनने के बाद ठेकेदारों ने हाईकोर्ट की मुख्य पीठ जबलपुर में याचिका दायर की. लेकिन हाईकोर्ट ने भी ठेकेदारों को राहत नहीं दी, तब ग्वालियर चंबल संभाग के ठेकेदारों ने अपने शराब लाइसेंस सरेंडर कर दिए.

आबकारी विभाग को अपने डिपार्टमेंट के नए आदेश का इंतजार है. उसके मुताबिक शराब दुकानों को या तो दोबारा नीलाम किया जाएगा या विभाग फिलहाल कुछ दिनों तक इन दुकानों को अपने कर्मचारियों की मदद से चलाएंगे. लेकिन इस दौरान विभाग को करीब सत्तर करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान हो चुका है.

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