ग्वालियर। संगीत के मुरीदों के लिए आज का दिन अद्भुत रहा. मौसिकी के बादशाह तानसेन की याद में आयोजित सुरों के संगम के दूसरे दिन की संगीत सभा श्रोताओं को सुखद अहसासों से सराबोर कर गई. सभा में सुर साज के कई रंग देखने को मिले. सर्द और सबनमी सुबह में जब विभास और अहीर भैरव जैसे रागों के सुर गूंजे तो सर्दी का अहसास जाता रहा. सभा में विश्व संगीत की जानी मानी ग्रीस की युवा कलाकार सिस्टर्स लौकिया वालासी और स्टेला वालासी ने संतुरी पर ग्रीक गायन और वादन किया.
![Laquia and Stella Wallasey performed Greek music](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/5416933_walasi-2.png)
संतुरी एक वाद्य यंत्र संतूर का ही छोटा रूप है. ये पर्शिया से होता हुआ भारत, चीन, ग्रीस सहित तमाम मुल्कों में पहुंचा. कलाकार बहनों ने ग्रीक का बायजेन्टाइन संगीत पेश किया, जिसमें भारतीय संगीत के रागों की तरह ही अलग अलग स्वर रचनाएं होती हैं और जो ऋतुओं के हिसाब से गाया बजाया जाता है.
वालासी सिस्टर्स ने तानसेन समारोह में आमंत्रित किए जाने पर खुशी जताते हुए आयोजकों का धन्यवाद किया, साथ ही उन्होंने कहा कि वह बहुत खुश हैं कि वह महान संगीतकार तानसेन की कर्मभूमि पर अपनी कला का प्रदर्शन करने पहुंची हैं. आज जो प्रस्तुति दी है वह भारतीय संस्कृति से मिलता-जुलता ही संगीत है और भारतीय संगीत भी ग्रीक संगीत से काफी मिलता जुलता है.