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बीमार, बहुत बीमार हो चुका है ग्वालियर का जरायोग्य अस्पताल, जगह-जगह लिखे हैं चेतावनी संदेश - buiding

जयरोग्य अस्पताल के भवन जर्जर हालत में है. इसलिए कई जगह से पत्थर गिरने का डर बना रहता है या इलाज के लिए लोग सतर्कता बरतें. इसलिए जगह-जगह इस तरह की सूचनाएं लिखवाई गई है.

जयरोग्य अस्पताल
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Published : Mar 6, 2019, 3:43 PM IST

ग्वालियर। जयरोग्य अस्पताल की क्षमता लगभग 800 बेड की है, इसमें कैंसर से लेकर छोटी बड़ी बीमारियों का इलाज किए जाते हैं. इस अस्पताल में ना केवल ग्वालियर चंबल संभाग की मरीज आते हैं, बल्कि यूपी और राजस्थान की सीमा से सटे इलाकों से भी मरीज यहां इलाज के लिए आते हैं. लेकिन उन्हें यहां हमेशा इस बात का डर रहता है कि कहीं कोई दुर्घटना न हो जाए.

जयरोग्य अस्पताल


मरीजों को लेकर डरे हुए उनके परिजनों का कहना है, कि यह भवन जर्जर हालत में है. कभी भी धराशाई हो सकता है. यदि कभी कोई हादसा हो गया तो कौन जिम्मेदार होगा. साथ ही उनका कहना है कि नया अस्पताल बनना चाहिए ताकि मरीज और उनके परिजन निडर होकर अपना इलाज करा सकें. अस्पताल भवन की जर्जर होने की बात खुद जयरोग्य अधीक्षक स्वीकार करते हैं. उनका कहना है कि बिल्डिंग काफी पुरानी है इसलिए कई जगह से पत्थर गिरने का डर बना रहता है या इलाज के लिए लोग सतर्कता बरतें. इसलिए जगह-जगह इस तरह की सूचनाएं लिखवाई गई है.


जयरोग्य अधीक्षक का कहना है पीडब्ल्यूडी विभाग के अधीन यह भवन है उन्होंने ही जांच पड़ताल करके चेतावनी संदेश लिखवाया है . अभी हाल में ही एक अस्पताल बन रहा है, कुछ ही महीने बाद अस्पताल को नई भवन में शिफ्ट कर दिया जाएगा. अस्पताल के भवन की हालत देखते हुए तकरीबन 15 साल पहले ही एक नया 1,000 बिस्तर का अस्पताल बनाने की स्वीकृति मिल चुकी है. इस भवन के लिए तीन बार भूमि पूजन हो चुका है. जमीन आवंटन ना होने के चलते इस भवन के निर्माण का काम शुरू नहीं हो पाया था, अब जाकर जमीन का आवंटन किया गया है.

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ग्वालियर। जयरोग्य अस्पताल की क्षमता लगभग 800 बेड की है, इसमें कैंसर से लेकर छोटी बड़ी बीमारियों का इलाज किए जाते हैं. इस अस्पताल में ना केवल ग्वालियर चंबल संभाग की मरीज आते हैं, बल्कि यूपी और राजस्थान की सीमा से सटे इलाकों से भी मरीज यहां इलाज के लिए आते हैं. लेकिन उन्हें यहां हमेशा इस बात का डर रहता है कि कहीं कोई दुर्घटना न हो जाए.

जयरोग्य अस्पताल


मरीजों को लेकर डरे हुए उनके परिजनों का कहना है, कि यह भवन जर्जर हालत में है. कभी भी धराशाई हो सकता है. यदि कभी कोई हादसा हो गया तो कौन जिम्मेदार होगा. साथ ही उनका कहना है कि नया अस्पताल बनना चाहिए ताकि मरीज और उनके परिजन निडर होकर अपना इलाज करा सकें. अस्पताल भवन की जर्जर होने की बात खुद जयरोग्य अधीक्षक स्वीकार करते हैं. उनका कहना है कि बिल्डिंग काफी पुरानी है इसलिए कई जगह से पत्थर गिरने का डर बना रहता है या इलाज के लिए लोग सतर्कता बरतें. इसलिए जगह-जगह इस तरह की सूचनाएं लिखवाई गई है.


जयरोग्य अधीक्षक का कहना है पीडब्ल्यूडी विभाग के अधीन यह भवन है उन्होंने ही जांच पड़ताल करके चेतावनी संदेश लिखवाया है . अभी हाल में ही एक अस्पताल बन रहा है, कुछ ही महीने बाद अस्पताल को नई भवन में शिफ्ट कर दिया जाएगा. अस्पताल के भवन की हालत देखते हुए तकरीबन 15 साल पहले ही एक नया 1,000 बिस्तर का अस्पताल बनाने की स्वीकृति मिल चुकी है. इस भवन के लिए तीन बार भूमि पूजन हो चुका है. जमीन आवंटन ना होने के चलते इस भवन के निर्माण का काम शुरू नहीं हो पाया था, अब जाकर जमीन का आवंटन किया गया है.

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Intro:ग्वालियर- तस्वीर में जो आपको महलनुमा भवन दिख रहा है इसका निर्माण 1889 में सिंधिया राजवंश ने कराया था। एक समय था जब इसमें रियासत से जुड़ी कुछ काम हुआ करते थे लेकिन भारत के आजाद होने से पहले ही इस इमारत को अंचल का सबसे बड़ा अस्पताल बनाने के लिए दिया गया था। तब से इस भवन में न केवल ग्वालियर का बल्कि मध्य भारत का सबसे बड़ा अस्पताल समूह संचालित हो रहा है। लेकिन अब यह अस्पताल भी हालत जर्जर है । यही कारण है कि जया रोग प्रबंधन ने कई जगह इस तरह की सूचनाएं लिखवाई है कि किनारों पर ना जाएं और छज्जों की नीचे ना बैठे ।




Body:जयरोग्य अस्पताल की क्षमता लगभग 800 बेड की है इसमें कैंसर से लेकर छोटी बड़ी बीमारियों का इलाज होता है इस अस्पताल में ना केवल वाली चंबल संभाग की मरीज बल्कि एमपी की सीमा से सटे यूपी और राजस्थान की मरीज भी अपना इलाज कराने आते है जितनी यहां मरीज भर्ती रहते हैं उससे अधिक उनके परिजन देखने के लिए यहां मौजूद रहते हैं। यहां अपने मरीजों को लेकर डरे हुए रहते हैं उनका कहना है कि यह भवन जर्जर हालत में है । कभी भी धराशाई हो सकता है। यदि कभी कोई हादसा हो गया तो कौन जिम्मेदार होगा । साथ ही उनका कहना है कि नया अस्पताल बनना चाहिए ताकि मरीज और उनके परिजन निडर होक इलाज करा सके ।
अस्पताल भवन की जर्जर होने की बात खुद जयरोग्य अधीक्षक स्वीकार करते हैं करती हैं उनका कहना है कि बिल्डिंग काफी पुरानी है इसलिए कई जगह से पत्थर गिरने का डर बना रहता है या इलाज के लिए लोग सतर्कता बरतें ।इसलिए जगह-जगह इस तरह की सूचनाएं लिखवाई गई है। साथ ही उनका कहना है पीडब्ल्यूडी विभाग के अधीन यह भवन है उन्होंने ही जांच पड़ताल करके लिखवाया है । अभी हाल में ही एक अस्पताल बन रहा है कुछ ही महीने बाद अस्पताल को नई भवन में शिफ्ट कर दिया जाएगा।

बाईट- अशोक मिश्रा , जयरोग्य अस्पताल अधीक्षक

बाईट- राकेश और सुरेश - मरीजो के परिजन




Conclusion:अस्पताल के भवन की हालत देखते हुए तकरीबन 15 साल पहले ही एक नया 1,000 बिस्तर का अस्पताल बनाने की स्वीकृति मिल चुकी है इस भवन के लिए तीन बार भूमि पूजन हो चुका है जमीन आवंटन ना होने के चलते इस भवन के निर्माण का काम शुरू नहीं हो पाया था अब जाकर जमीन पर हुई है तब जाकर उसमें भवन निर्माण का काम शुरू हुआ है अब देखना होगा कि कब तक नया भवन तैयार हो पाता है ताकि मरीज उनके परिजन अपना इलाज करा सके
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