ग्वालियर। दिन-रात लोगों के शोरगुल और ट्रेन की आवाज से गूंजने वाला रेलवे स्टेशन इन दिनों महज चंद लोगों की आवाज से गूंज रहा है. यहां अगर सबसे ज्यादा आर्थिक रूप से कोई परेशान है तो वो हैं यहां के कुली. ग्वालियर रेलवे स्टेशन पर करीब सवा सौ कुली दिन-रात तैनात रहते हैं, लेकिन पिछले ढाई महीने से लगे लॉकडाउन और ट्रेनों के संचालन पर पाबंदी ने उन्हें पूरी तरह से तोड़ दिया है. कई कुली तो कर्जा लेकर अपने घर-गृहस्थी का खर्चा उठा रहे हैं.
ग्वालियर रेलवे स्टेशन पर तैनात कुली इन दिनों आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं. कोरोना महामारी के कारण बीते दो महीने से ट्रेनों का संचालन पूरी तरह से बंद रहा है. हाल ही में जो कुछ रेलगाड़ियां संचालित हुई हैं, उनमें यात्रियों की तादाद बेहद कम है. यात्री भी भारी भरकम लगेज लेकर इन दिनों ट्रेनों में नहीं चल रहे हैं, जिस कारण कुलियों की मजदूरी का मुख्य स्रोत भी अपने गिने-चुने रेल यात्री के रूप में ग्राहकों पर निर्भर रह गया है. अप ट्रैक पर सिर्फ चार ट्रेनें संचालित हो रही हैं जबकि डाउन ट्रैक पर 9 ट्रेनों का आगमन एक दिन में होता है. रेलवे के अधिकारियों ने कुलियों को एक बार में 10 से ज्यादा की संख्या में आने की मनाही की है इसलिए कुली बारी-बारी से अपनी बारी आने का इंतजार करते हैं. सामान्य दिनों में रेलवे के यह कुली करीब ढाई सौ से लेकर 300 रुपए तक कमा लेते थे, जो अब घटकर 50 से 60 रुपए रह गए हैं.
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रेलवे के अधिकारियों ने कुलियों को एक अतिरिक्त खर्चे से भी नवाज दिया है. वह स्टेशन पर ग्लब्स, सैनिटाइजर, मास्क आदि होने की स्थिति में ही प्रवेश कर सकते हैं. जिसका खर्चा उन्हें खुद ही उठाना पड़ेगा. ऐसे में कुलियों की मांग है कि उन्हें रेलवे आर्थिक रूप से कोई मदद करे, ताकि वे भी अपने घर-गृहस्थी के खर्च चला सकें. पिछले दो-ढाई महीने से हर कुली हजारों रुपए का कर्जदार बन चुका है लेकिन उन्हें उम्मीद है कि जब ट्रेनें सामान्य रूप से संचालित होगीं तो उनकी स्थिति भी सुधरेगी.