ग्वालियर। हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने अशोकनगर एसपी पंकज कुमावत को पेश होने के निर्देश दिए हैं, दरअसल एसपी कुमावत ने जिला न्यायाधीश को पत्र लिखकर उनसे आग्रह किया था कि वे अधीनस्थ न्यायाधीशों को खात्मा रिपोर्ट स्वीकार करने के निर्देश दें. लेकिन एसपी पत्र लिखने के पीछे ऐसा कोई उदाहरण पेश नहीं किए जिससे यह लगता हो कि कोर्ट ने किसी मामले में खात्मा रिपोर्ट स्वीकार नहीं की है.
दरअसल वीरेंद्र सिंह के खिलाफ एक मामला हत्या की कोशिश का दर्ज है. ये मामला न्यायालय में लंबित है. वीरेंद्र सिंह ने हाई कोर्ट में जमानत याचिका लगाई है. उनके वकील ने कोर्ट को बताया था कि पुलिस खात्मा रिपोर्ट पेश करने में देरी कर रही है, जिससे मामले का ट्रायल प्रभावित हो रहा है.
मामले की गंभीरता को देखते हुए हाईकोर्ट ने इस मामले में डीजीपी से स्पष्टीकरण मांगा था, उन्होंने जवाब पेश करते हुए बताया कि खात्मा रिपोर्ट देरी से पेश करने के मामले में जिम्मेदार पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है. उन्होंने ये भी बताया कि 4 अक्टूबर को एसपी अशोकनगर पंकज कुमावत ने जिला न्यायाधीश अशोकनगर को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने कहा है कि अधीनस्थ न्यायाधीशों को खात्मा रिपोर्ट स्वीकार करने के निर्देश दिए है. इस पर हाईकोर्ट ने आपत्ति जताते हुए पूछा है कि उनके पास इस तरह का कोई प्रमाण है जिसमें यह स्पष्ट होता हो कि न्यायालय ने खात्मा रिपोर्ट स्वीकार नहीं की है.
वहीं हाईकोर्ट ने एसपी से पूछा है कि उन्होंने डीजीपी को अंधेरे में क्यों रखा है. ऐसा कोई भी मामला न्यायालय में नहीं आया जिसमें पुलिस ने खात्मा रिपोर्ट पेश की हो और उसे अदालत ने स्वीकार नहीं किया हो. अब इस मामले की सुनवाई 18 नवंबर को होगी इसके अलावा एसपी को रिपोर्ट पेश करने में देरी के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ क्या विभागीय कार्रवाई हुई इसके बारे में भी रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा गया है.