ग्वालियर। नए साल की शुरुआत से पहले ही लगातार बढ़ती सर्दी के कारण अब हार्ट अटैक और ब्रेन हेमरेज के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. ग्वालियर चंबल अंचल के सबसे बड़े जयारोग्य अस्पताल के कार्डियोलॉजी विभाग में हार्ट अटैक के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. हालात यह हो चुकी है कि ओपीडी के साथ-साथ भर्ती मरीजों की संख्या 4 गुनी हो चुकी है. सबसे बड़ी अब चिंता की बात यह है कि कोरोना ने भी दस्तक दे दी है. ऐसे में यह हृदयाघात काफी खतरनाक होता जा रहा है. इसको लेकर कार्डियोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष और जाने माने डॉक्टर पुनीत रस्तोगी ने ईटीवी भारत से बातचीत की. जहां उन्होंने बताया कि हार्टअटैक के बढ़ते मामलों के कारण क्या हैं. साथ ही उन्होंने बताया कि आपकी एक लापरवाही इस मामले में जानलेवा हो सकती है.
जरा सी चूक पड़ सकती है भारी: बता दे इस समय ग्वालियर चंबल अंचल में सुबह शाम तापमान में काफी गिरावट देखने को मिल रही है. यही कारण है कि अब हार्टअटैक के मरीजों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है. हालात यह हैं कि ऐसे चौंकाने वाले मामले सामने आ रहे हैं, जो हैरान करने वाले हैं. ईटीवी भारत से बातचीत में जानी-मानी डॉ पुनीत रस्तोगी ने कहा है कि सर्दियों के समय लोगों को अपने हृदय की सुरक्षा करना बेहद जरूरी है, अगर व्यक्ति इसमें थोड़ी सी चूक और लापरवाही या नजरअंदाज करता है तो कभी भी कुछ घट सकता है. इसलिए जरूरी है कि इस सर्दी के मौसम में लोगों को अपनी लाइफ स्टाइल और सतर्क रहना बहुत जरूरी है.
सर्दियों में रखें खास ख्याल: डॉ पुनीत रस्तोगी ने कहा है कि शुरुआती सर्दी हार्ट अटैक के लिए बेहद खतरनाक मानी जाती है. यही कारण है सुबह-शाम जब तापमान में गिरावट होती है तो हार्टअटैक के चांस सबसे अधिक रहते हैं. ऐसे में वह व्यक्ति जिन्हें हार्टअटैक, ब्लड प्रेशर, शुगर की शिकायत है, उन्हें बेहद सावधानी बरतनी चाहिए. जब पूरी तरीके से सर्दी पड़ती है तो लोग भी सावधानी बरतनी लगते हैं. लिहाजा हार्टअटैक के मरीजों की संख्या भी कम होने लगती है, लेकिन जब सर्दी की शुरुआत होती है तब 4 से 5 गुनी संख्या में हार्ट अटैक के मरीज निकल कर सामने आते हैं. यही हालात अब बन रहे हैं.
इसके साथ ही जब उनसे पूछा गया कि कोविड बाद हार्ट अटैक के मरीजों की संख्या में लगातार तेजी आ रही है तो उनका कहना है कि यह बात सही है कि जिनको कोराना हुआ है उसमें अधिकतर हार्ट अटैक के मरीज सामने आ रहे हैं, लेकिन इसमें कोई पुख्ता सबूत नहीं मिला है, लेकिन ऐसे हालात तब बनते हैं जब किसी व्यक्ति में 20 से 25% ब्लॉकेज होते हैं और जब डिप्रेशन में या किसी बाहरी कार्य को करता है.