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लॉकडाउन के साइड इफेक्ट: खाने के लिए मजदूर को बेचना पड़ रहा घर का सामान

ग्वालियर में लॉकडाउन होने से गरीब मजदूरों को सबसे ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. एक मजदूर भूख से परेशान होकर अपने घर का सामान बेचने सड़क पर निकला. जिसे देखकर एसडीएम ने उसकी मदद की.

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Published : Apr 3, 2020, 10:23 AM IST

gwalior
मजदूर हो रहे परेशान

ग्वालियर। कोरोना वायरस को लेकर लगे लॉकडाउन से गरीबों को सबसे ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. ग्वालियर में एक मजदूर भूख से इतना परेशान हो गया कि उसने घर का टेलीविजन उठाकर सड़क पर बेचने निकल गया. जब उसे ग्वालियर एसडीएम ने देखा तो उसे घर पहुंचाकर उसके खाने का इंतजाम कराया. जबकि उसे बाहर ना निकलने की हिदायत दी है.

मजबूरी में मजदूर बेच रहा घर का सामान

ग्वालियर के मुरार क्षेत्र में रहने वाला बाल किशन रोज मजदूरी कर अपने परिवार का पेट पालता था. लेकिन जब से कोरोना वायरस की वजह से शहर में लॉकडाउन हुआ है तब से उसे मजदूरी नहीं मिल रही है. जिसके कारण उसके परिवार के ऊपर राशन को लेकर संकट गहराने लगा. ऐसे में नोबत यह आ गई कि उसे अपने घर का सामान तक बेचना पड़ रहा है.

हालांकि जब एसडीएम आरके पांडे की नजर मजदूर पर पड़ी तो उन्होंने मजदूर से पूछताछ की, जिसके बाद उसने अपनी कहानी सुनाई. एसडीएम ने तत्काल उसकी आर्थिक स्थिति को देखते हुए मजदूर को बैठाकर पहले भोजन खिलाया और उसे खर्चे के लिए कुछ पैसे भी दिए. जबकि उसके परिवार को रोज खाने की व्यवस्था भी कराई है.

ग्वालियर। कोरोना वायरस को लेकर लगे लॉकडाउन से गरीबों को सबसे ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. ग्वालियर में एक मजदूर भूख से इतना परेशान हो गया कि उसने घर का टेलीविजन उठाकर सड़क पर बेचने निकल गया. जब उसे ग्वालियर एसडीएम ने देखा तो उसे घर पहुंचाकर उसके खाने का इंतजाम कराया. जबकि उसे बाहर ना निकलने की हिदायत दी है.

मजबूरी में मजदूर बेच रहा घर का सामान

ग्वालियर के मुरार क्षेत्र में रहने वाला बाल किशन रोज मजदूरी कर अपने परिवार का पेट पालता था. लेकिन जब से कोरोना वायरस की वजह से शहर में लॉकडाउन हुआ है तब से उसे मजदूरी नहीं मिल रही है. जिसके कारण उसके परिवार के ऊपर राशन को लेकर संकट गहराने लगा. ऐसे में नोबत यह आ गई कि उसे अपने घर का सामान तक बेचना पड़ रहा है.

हालांकि जब एसडीएम आरके पांडे की नजर मजदूर पर पड़ी तो उन्होंने मजदूर से पूछताछ की, जिसके बाद उसने अपनी कहानी सुनाई. एसडीएम ने तत्काल उसकी आर्थिक स्थिति को देखते हुए मजदूर को बैठाकर पहले भोजन खिलाया और उसे खर्चे के लिए कुछ पैसे भी दिए. जबकि उसके परिवार को रोज खाने की व्यवस्था भी कराई है.

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