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नाभि नहीं रावण की नाक पर होता है वार, चिकलाना में 6 महीने पहले करते हैं रावण वध

मध्यप्रदेश के रतलाम में शारदीय नवरात्रि नहीं चैत्र नवरात्रि में किया जाता है रावण का वध, ग्रामीणों ने बताई पूरी कहानी.

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 2 hours ago

Updated : 3 minutes ago

RATLAM RAVAN DAHAN 2024
रतलाम में चैत्र नवरात्रि में किया जाता है रावण का वध (ETV Bharat)

रतलाम: दशहरे पर रावण दहन कर विजयदशमी का त्यौहार मनाया जाता है, लेकिन मध्य प्रदेश के रतलाम में एक गांव ऐसा है, जहां रावण का वध 6 महीने पहले ही हो जाता है. वह भी नाभि में तीर मारकर नहीं बल्कि उसकी नाक पर भाले से वार कर. जी हां, ये सब रतलाम के चिकलाना और कालूखेड़ा में होता है. कुछ ऐसा ही मंदसौर जिले के गांवों में भी होता है, जहां दशहरा चैत्र नवरात्रि के बाद ही मना लिया जाता है. यहां की परंपरा है कि मिट्टी से बनाए जाने वाले रावण का वध गांव के सबसे वरिष्ठ व्यक्ति करते हैं. चैत्र नवरात्रि में रामनवमी के ठीक अगले दिन यह अनोखा आयोजन होता है, जिसे देखने आसपास के गांव सहित दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं.

चैत्र नवरात्रि के बाद यहां होता है दशहरा

दरअसल, रतलाम के चिकलाना और कालूखेड़ा में यह अनोखी परंपरा करीब 400 सालों से जारी है. गांव के नरेंद्र सिंह चंद्रावत बताते है कि इन गांवों की स्थापना के साथ ही यह परंपरा लगातार जारी है. इसके पीछे का कारण पूछे जाने पर नरेंद्र सिंह बताते हैं, '' रावण द्वारा किया गया कृत्य क्षमा के योग्य नहीं था. रावण का दहन कर देना उसके पापों की पर्याप्त सजा नहीं है. बल्कि नाक काटकर उसे अपमानित करना और उसके घमंड को चूर करना इस परंपरा का लक्ष्य है, जिसके चलते हर वर्ष चैत्र नवरात्रि की रामनवमी के अगले दिन दशहरा मनाया जाता है.''

शारदीय नवरात्रि के दशहरे पर नहीं होता रावण दहन

जहां देश भर में शारदीय नवरात्रि के बाद विजयदशमी का त्यौहार मनाया जाता है और रावण का दहन किया जाता है. इसके विपरीत रतलाम और मंदसौर के इन गांवों में चैत्र नवरात्रि की रामनवमी के अगले दिन दशहरा मनाया जाता है, जिसमें रावण के प्रतिमा की नाक भाले से काटकर त्योहार मनाया जाता है. इस दौरान इन गांव में मेले का आयोजन भी किया जाता है. स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार विजयदशमी यानी इस शारदीय नवरात्रि के दशहरे पर गांव में किसी तरह का आयोजन नहीं किया जाता है. ना ही कोई रावण दहन होता है.

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यहां के लोगों के दिल में आज भी जिंदा है रावण, जानिये नवरात्रि के 9 दिन क्या करते हैं

रावण और भगवान राम की सेना के बीच होता है युद्ध

चैत्र नवरात्रि के बाद यहां रामलीला का मंचन होता है, बाकायदा रावण और भगवान राम की सेना होती है, जिनके बीच युद्ध भी होता है. इसके बाद गांव के प्रतिष्ठित व्यक्ति द्वारा हाथ में भाला लेकर रावण की नाक पर वार किया जाता है. रावण की नाक से खून की धारा बहने लगती है और रावण वध कार्यक्रम समाप्त हो जाता है. दरअसल, रावण के मुंह के अंदर मिट्टी का मटका रखा होता है, जिसमें लाल रंग का पानी भरा जाता है. बहरहाल, इस विशेष आयोजन को आप देखना चाहते हैं तो आपको 6 महीने और चैत्र नवरात्र का इंतजार करना होगा.

रतलाम: दशहरे पर रावण दहन कर विजयदशमी का त्यौहार मनाया जाता है, लेकिन मध्य प्रदेश के रतलाम में एक गांव ऐसा है, जहां रावण का वध 6 महीने पहले ही हो जाता है. वह भी नाभि में तीर मारकर नहीं बल्कि उसकी नाक पर भाले से वार कर. जी हां, ये सब रतलाम के चिकलाना और कालूखेड़ा में होता है. कुछ ऐसा ही मंदसौर जिले के गांवों में भी होता है, जहां दशहरा चैत्र नवरात्रि के बाद ही मना लिया जाता है. यहां की परंपरा है कि मिट्टी से बनाए जाने वाले रावण का वध गांव के सबसे वरिष्ठ व्यक्ति करते हैं. चैत्र नवरात्रि में रामनवमी के ठीक अगले दिन यह अनोखा आयोजन होता है, जिसे देखने आसपास के गांव सहित दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं.

चैत्र नवरात्रि के बाद यहां होता है दशहरा

दरअसल, रतलाम के चिकलाना और कालूखेड़ा में यह अनोखी परंपरा करीब 400 सालों से जारी है. गांव के नरेंद्र सिंह चंद्रावत बताते है कि इन गांवों की स्थापना के साथ ही यह परंपरा लगातार जारी है. इसके पीछे का कारण पूछे जाने पर नरेंद्र सिंह बताते हैं, '' रावण द्वारा किया गया कृत्य क्षमा के योग्य नहीं था. रावण का दहन कर देना उसके पापों की पर्याप्त सजा नहीं है. बल्कि नाक काटकर उसे अपमानित करना और उसके घमंड को चूर करना इस परंपरा का लक्ष्य है, जिसके चलते हर वर्ष चैत्र नवरात्रि की रामनवमी के अगले दिन दशहरा मनाया जाता है.''

शारदीय नवरात्रि के दशहरे पर नहीं होता रावण दहन

जहां देश भर में शारदीय नवरात्रि के बाद विजयदशमी का त्यौहार मनाया जाता है और रावण का दहन किया जाता है. इसके विपरीत रतलाम और मंदसौर के इन गांवों में चैत्र नवरात्रि की रामनवमी के अगले दिन दशहरा मनाया जाता है, जिसमें रावण के प्रतिमा की नाक भाले से काटकर त्योहार मनाया जाता है. इस दौरान इन गांव में मेले का आयोजन भी किया जाता है. स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार विजयदशमी यानी इस शारदीय नवरात्रि के दशहरे पर गांव में किसी तरह का आयोजन नहीं किया जाता है. ना ही कोई रावण दहन होता है.

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रावण और भगवान राम की सेना के बीच होता है युद्ध

चैत्र नवरात्रि के बाद यहां रामलीला का मंचन होता है, बाकायदा रावण और भगवान राम की सेना होती है, जिनके बीच युद्ध भी होता है. इसके बाद गांव के प्रतिष्ठित व्यक्ति द्वारा हाथ में भाला लेकर रावण की नाक पर वार किया जाता है. रावण की नाक से खून की धारा बहने लगती है और रावण वध कार्यक्रम समाप्त हो जाता है. दरअसल, रावण के मुंह के अंदर मिट्टी का मटका रखा होता है, जिसमें लाल रंग का पानी भरा जाता है. बहरहाल, इस विशेष आयोजन को आप देखना चाहते हैं तो आपको 6 महीने और चैत्र नवरात्र का इंतजार करना होगा.

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