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Gwalior Trade Fair सियासत तेज, BJP में गुटबाजी के कारण नहीं गठित हो पा रहा संचालक मंडल - नहीं गठित हो पा रहा संचालक मंडल

देश का जाना माना और 100 साल पुराना ग्वालियर व्यापार मेला (Gwalior Trade Fair) 25 दिसंबर से लगना है. लेकिन यहां भाजपा नेताओं की आपसी गुटबाजी के कारण ग्वालियर व्यापार मेला प्राधिकरण में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और संचालक मंडल की नियुक्तियां नहीं (Politics intensifies factionalism BJP) हो पा रही हैं. इस कारण चार साल से मेले का आयोजन अफसरों के हाथों में है. ज्यादातर अफसरों के बाहरी होने के कारण मेले को उसका मूल स्वरूप नहीं मिल पा रहा है. मेला प्राधिकरण सहित ग्वालियर विशेष प्राधिकरण यानि साडा और ग्वालियर विकास प्राधिकरण के भी यही हाल हैं.

Gwalior Trade Fair
BJP में गुटबाजी के कारण नहीं गठित हो पा रहा संचालक मंडल
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Published : Nov 24, 2022, 6:52 PM IST

ग्वालियर। पिछले तीन सालों से ग्वालियर मेला प्राधिकरण में किसी न किसी बहाने से अध्यक्ष-उपाध्यक्ष से लेकर संचालक मंडल तक की नियुक्तियां टाली जा रही थीं. इस साल मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पास कोई बहाना नहीं है. व्यापारी चाहते हैं कि मेले का आयोजन धूमधाम से हो. इधर, ग्वालियर व्यापार मेला प्राधिकरण में चेयरमैन की कुर्सी पर सबकी नजर है. संचालक मंडल में कुछ सदस्य विवेक नारायण शेजवलकर और दूसरे प्रतिष्ठित भाजपा नेताओं के समर्थकों को मिल सकते हैं.

तीन गुटों में मुकाबला : मुख्य मुकाबला ज्योतिरादित्य सिंधिया और नरेंद्र सिंह तोमर के समर्थकों के बीच है. ज्योतिरादित्य सिंधिया, नरेंद्र सिंह तोमर और विवेक शेजवलकर के समर्थकों में ग्वालियर मेला प्राधिकरण के चेयरमैन की कुर्सी पर नजर है. फिलहाल तीनों गुटों की तरफ से दावेदारों के नाम सामने नहीं आए हैं. लेकिन कई नेताओं के मन में लड्डू फूट रहे हैं. दीपावली मिलन के साथ ही दौड़ शुरू हो गयी है. इस साल भी मेला आयोजन में एक महीना बचा है और पार्टी के स्थानीय वरिष्ठ नेता अध्यक्ष, उपाध्यक्ष की नियुक्ति पाने के लिए भोपाल ही नहीं, बल्कि दिल्ली नेतृत्व तक के पास दौड़ लगा रहे हैं. लेकिन भाजपा व प्रदेश सरकार प्राधिकरण में नियुक्तियों को लेकर कुछ भी तय नहीं कर सकी है.

Gwalior Trade Fair मेले में थूका तो वसूला जाएगा जुर्माना, नगर निगम की टीमें रहेंगी तैनात

ग्वालियर के तीन प्राधिकरण तीन साल से खाली : ग्वालियर व्यापार मेला प्राधिकरण, ग्वालियर विकास प्राधिकरण, ग्वालियर विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण (साडा) जैसे तीन प्राधिकरण ग्वालियर में हैं. यदि ऐसा ही रहा तो लगातार चौथे साल भी मेला अफसरों के मुताबिक ही आयोजित होगा. जिसमें कई सेक्टर व आकर्षण नदारद रह सकते हैं. क्योंकि, अध्यक्ष व अन्य पदाधिकारी सत्तारूढ़ पार्टी से होने के कारण मंत्री व अन्य स्तर पर मेले में टैक्स रियायत और दूसरी सुविधाओं पर चर्चा कर सुविधा दिलाने में सक्षम होते हैं, जबकि अफसरों के लिए ये काम आसान नहीं होता. कहा जा रहा है ग्वालियर मेला प्राधिकरण में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व संचालक मंडल की नियुक्तियों के लिए संगठन स्तर पर विचार चल रहा है और पूरी कोशिश की जा रही है कि इस बार मेला आयोजन से पहले ये नियुक्तियां हो जाएं.

ग्वालियर। पिछले तीन सालों से ग्वालियर मेला प्राधिकरण में किसी न किसी बहाने से अध्यक्ष-उपाध्यक्ष से लेकर संचालक मंडल तक की नियुक्तियां टाली जा रही थीं. इस साल मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पास कोई बहाना नहीं है. व्यापारी चाहते हैं कि मेले का आयोजन धूमधाम से हो. इधर, ग्वालियर व्यापार मेला प्राधिकरण में चेयरमैन की कुर्सी पर सबकी नजर है. संचालक मंडल में कुछ सदस्य विवेक नारायण शेजवलकर और दूसरे प्रतिष्ठित भाजपा नेताओं के समर्थकों को मिल सकते हैं.

तीन गुटों में मुकाबला : मुख्य मुकाबला ज्योतिरादित्य सिंधिया और नरेंद्र सिंह तोमर के समर्थकों के बीच है. ज्योतिरादित्य सिंधिया, नरेंद्र सिंह तोमर और विवेक शेजवलकर के समर्थकों में ग्वालियर मेला प्राधिकरण के चेयरमैन की कुर्सी पर नजर है. फिलहाल तीनों गुटों की तरफ से दावेदारों के नाम सामने नहीं आए हैं. लेकिन कई नेताओं के मन में लड्डू फूट रहे हैं. दीपावली मिलन के साथ ही दौड़ शुरू हो गयी है. इस साल भी मेला आयोजन में एक महीना बचा है और पार्टी के स्थानीय वरिष्ठ नेता अध्यक्ष, उपाध्यक्ष की नियुक्ति पाने के लिए भोपाल ही नहीं, बल्कि दिल्ली नेतृत्व तक के पास दौड़ लगा रहे हैं. लेकिन भाजपा व प्रदेश सरकार प्राधिकरण में नियुक्तियों को लेकर कुछ भी तय नहीं कर सकी है.

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ग्वालियर के तीन प्राधिकरण तीन साल से खाली : ग्वालियर व्यापार मेला प्राधिकरण, ग्वालियर विकास प्राधिकरण, ग्वालियर विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण (साडा) जैसे तीन प्राधिकरण ग्वालियर में हैं. यदि ऐसा ही रहा तो लगातार चौथे साल भी मेला अफसरों के मुताबिक ही आयोजित होगा. जिसमें कई सेक्टर व आकर्षण नदारद रह सकते हैं. क्योंकि, अध्यक्ष व अन्य पदाधिकारी सत्तारूढ़ पार्टी से होने के कारण मंत्री व अन्य स्तर पर मेले में टैक्स रियायत और दूसरी सुविधाओं पर चर्चा कर सुविधा दिलाने में सक्षम होते हैं, जबकि अफसरों के लिए ये काम आसान नहीं होता. कहा जा रहा है ग्वालियर मेला प्राधिकरण में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व संचालक मंडल की नियुक्तियों के लिए संगठन स्तर पर विचार चल रहा है और पूरी कोशिश की जा रही है कि इस बार मेला आयोजन से पहले ये नियुक्तियां हो जाएं.

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