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Gwalior Smart City Bicycle Project: पब्लिक बाइक शेयरिंग योजना हुई ठप, साइकिल ट्रैक जर्जर हालात में मिले

ग्वालियर में पब्लिक बाइक शेयरिंग योजना चलाई जा रही थी, जिसमें साइकिल उधार पर लेकर लोग फिट हो रहे थे. इस पर 5.50 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे. इसके लिए जो ट्रैक बनाए गए थे वो पूरी तरह से जर्जर हो गए हैं.

public bike sharing scheme in gwalior
ग्वालियर स्मार्ट सिटी साइकिल प्रोजेक्ट
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Published : Jan 23, 2023, 10:26 PM IST

ग्वालियर पब्लिक बाइक शेयरिंग प्रोजेक्ट

ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में पब्लिक बाइक शेयरिंग योजना चलाई गई. ये योजना लोगों को फिट रखने और प्रदूषण कम करने के उद्देश्य से स्मार्ट सिटी ने 5.50 करोड़ रुपए खर्च कर शुरू किया था, जो अब पूरी तरह से दम तोड़ चुकी है. अधिकारियों की अनदेखी के कारण साइकिलें जर्जर हो गई हैं, इससे लोगों की रुचि भी साइकिल चलाने में नहीं बची. इस वजह से साइकिलें स्टेशन पर कबाड़ हो रही हैं. साथ ही साइकिल चलाने के लिए नगर निगम द्वारा शहर में बनवाए गए साइकिल ट्रैक भी पूरी तरह बदहाल हैं.

साइकिल ट्रैक की हालत बेकार: 2012 में ग्वालियर नगर निगम द्वारा शहर में कुछ स्थानों पर साइकिल ट्रैक बनाया गया था. इसके बाद 2017 में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत साइकिल ट्रैक तैयार किए गए. करीब 6 साल पहले स्मार्ट सिटी और निगम ने मिलकर 10 किमी का साइकिल ट्रैक तैयार कराया गया और स्मार्ट सिटी के माध्यम से 500 साइकिल खरीदी गईं. इन पर करीब 5.50 करोड़ रुपए खर्च किए गए, लेकिन अब इन पर बिलकुल भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है.

ट्रैक पर अतिक्रमण: ग्वालियर शहर में स्मार्ट सिटी कॉर्पोरेशन द्वारा पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप पर कर्नाटक की स्मार्ट टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड को टेंडर दिया गया था. स्मार्ट सिटी ने कपंनी को साइकिल खरीदने के लिए 2 करोड़ 40 लाख रुपए का अनुदान और हर महीने मेंटेनेंस के लिए 12 लाख 90 हजार रुपए के साथ मुफ्त में जगह दी. अब हालत ये है कि ट्रैक पर गंदगी पसरी है. कई जगह ठेले वालों और फुटपाथ दुकानदारों ने ट्रैक पर अतिक्रमण कर लिया है. इस मामले को लेकर अब कांग्रेस कह रही है, स्मार्ट साइकिलों के नाम पर ये सबसे बड़ा घोटाला था और बंदरबांट कर इस योजना में अधिकारी करोड़ों रुपए खा गए. वहीं सांसद भी इस योजना पर सवाल उठा रहे हैं.

पब्लिक बाइक शेयरिंग साइकिल हो रहीं कबाड़, विभाग इस योजना की कर रहा है तैयार

क्यों सक्सेस नहीं हुई ये योजना:

  1. साइकिल ट्रैक पर करीब 50 ऐसे कट हैं जो साइलिंग पर ब्रेक लगाते हैं. ट्रैक से होकर कॉलोनियों से हाईवे को जोड़ने वाले रास्ते भी हैं, लेकिन इन रास्तों पर लोगों का आना-जाना बना रहता है. कोई भी बिना ब्रेक के साइलिंग नहीं कर सकता है, क्योंकि ट्रैक का रास्ता कई जगह आड़ा तिरछा है, तो कई जगह यह जर्जर और टूटे पड़े हैं.
  2. साइकिल के लिए शहर में बनाए गए 50 स्टैंड बदहाल पड़े हैं. जिम्मेदारों द्वारा ध्यान नहीं दिए जाने से साइकिल में जंग लगने के साथ उनकी सीट सहित अन्य सामान भी खराब हो चुके हैं.
  3. नगर निगम की ओर से करीब 5.5 करोड़ रुपए खर्च कर गांधी रोड, जीवाजी विश्वविद्यालय रोड, थाटीपुर रोड, फूलबाग, सेवानगर, हजीरा रोड, कांच मिल सहित कई जगह पर 10 किलोमीटर का साइकिल ट्रैक बनवाया गया था, लेकिन अनदेखी किए जाने के कारण ट्रैक पूरी तरह खराब हो गया.

पानी की तरह बह गई योजना: इस मामले को लेकर जब ईटीवी भारत ने फोन पर स्मार्ट सिटी सीईओ नीतू माथुर से बात करना चाहा, तो उन्होंने इस मामले को लेकर किनारा कर लिया. उन्होंने कहा इसको लेकर हम दो दिन बाद बातचीत करेंगे. मतलब कहा जा सकता है कि स्मार्ट सिटी की उदासीनता और बिना रखरखाव के कारण 5.50 करोड़ रुपए पानी की तरह बह गई. अब हालात यह है कि जो स्मार्ट साइकिल हर चौराहे पर रखी हुई है, वह पूरी तरह खबार हो चुकी है और अब चोर इन्हें कबाड़ के रूप में अपना निशाना बनाने की तैयारी में लगे हुए हैं.

ग्वालियर पब्लिक बाइक शेयरिंग प्रोजेक्ट

ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में पब्लिक बाइक शेयरिंग योजना चलाई गई. ये योजना लोगों को फिट रखने और प्रदूषण कम करने के उद्देश्य से स्मार्ट सिटी ने 5.50 करोड़ रुपए खर्च कर शुरू किया था, जो अब पूरी तरह से दम तोड़ चुकी है. अधिकारियों की अनदेखी के कारण साइकिलें जर्जर हो गई हैं, इससे लोगों की रुचि भी साइकिल चलाने में नहीं बची. इस वजह से साइकिलें स्टेशन पर कबाड़ हो रही हैं. साथ ही साइकिल चलाने के लिए नगर निगम द्वारा शहर में बनवाए गए साइकिल ट्रैक भी पूरी तरह बदहाल हैं.

साइकिल ट्रैक की हालत बेकार: 2012 में ग्वालियर नगर निगम द्वारा शहर में कुछ स्थानों पर साइकिल ट्रैक बनाया गया था. इसके बाद 2017 में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत साइकिल ट्रैक तैयार किए गए. करीब 6 साल पहले स्मार्ट सिटी और निगम ने मिलकर 10 किमी का साइकिल ट्रैक तैयार कराया गया और स्मार्ट सिटी के माध्यम से 500 साइकिल खरीदी गईं. इन पर करीब 5.50 करोड़ रुपए खर्च किए गए, लेकिन अब इन पर बिलकुल भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है.

ट्रैक पर अतिक्रमण: ग्वालियर शहर में स्मार्ट सिटी कॉर्पोरेशन द्वारा पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप पर कर्नाटक की स्मार्ट टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड को टेंडर दिया गया था. स्मार्ट सिटी ने कपंनी को साइकिल खरीदने के लिए 2 करोड़ 40 लाख रुपए का अनुदान और हर महीने मेंटेनेंस के लिए 12 लाख 90 हजार रुपए के साथ मुफ्त में जगह दी. अब हालत ये है कि ट्रैक पर गंदगी पसरी है. कई जगह ठेले वालों और फुटपाथ दुकानदारों ने ट्रैक पर अतिक्रमण कर लिया है. इस मामले को लेकर अब कांग्रेस कह रही है, स्मार्ट साइकिलों के नाम पर ये सबसे बड़ा घोटाला था और बंदरबांट कर इस योजना में अधिकारी करोड़ों रुपए खा गए. वहीं सांसद भी इस योजना पर सवाल उठा रहे हैं.

पब्लिक बाइक शेयरिंग साइकिल हो रहीं कबाड़, विभाग इस योजना की कर रहा है तैयार

क्यों सक्सेस नहीं हुई ये योजना:

  1. साइकिल ट्रैक पर करीब 50 ऐसे कट हैं जो साइलिंग पर ब्रेक लगाते हैं. ट्रैक से होकर कॉलोनियों से हाईवे को जोड़ने वाले रास्ते भी हैं, लेकिन इन रास्तों पर लोगों का आना-जाना बना रहता है. कोई भी बिना ब्रेक के साइलिंग नहीं कर सकता है, क्योंकि ट्रैक का रास्ता कई जगह आड़ा तिरछा है, तो कई जगह यह जर्जर और टूटे पड़े हैं.
  2. साइकिल के लिए शहर में बनाए गए 50 स्टैंड बदहाल पड़े हैं. जिम्मेदारों द्वारा ध्यान नहीं दिए जाने से साइकिल में जंग लगने के साथ उनकी सीट सहित अन्य सामान भी खराब हो चुके हैं.
  3. नगर निगम की ओर से करीब 5.5 करोड़ रुपए खर्च कर गांधी रोड, जीवाजी विश्वविद्यालय रोड, थाटीपुर रोड, फूलबाग, सेवानगर, हजीरा रोड, कांच मिल सहित कई जगह पर 10 किलोमीटर का साइकिल ट्रैक बनवाया गया था, लेकिन अनदेखी किए जाने के कारण ट्रैक पूरी तरह खराब हो गया.

पानी की तरह बह गई योजना: इस मामले को लेकर जब ईटीवी भारत ने फोन पर स्मार्ट सिटी सीईओ नीतू माथुर से बात करना चाहा, तो उन्होंने इस मामले को लेकर किनारा कर लिया. उन्होंने कहा इसको लेकर हम दो दिन बाद बातचीत करेंगे. मतलब कहा जा सकता है कि स्मार्ट सिटी की उदासीनता और बिना रखरखाव के कारण 5.50 करोड़ रुपए पानी की तरह बह गई. अब हालात यह है कि जो स्मार्ट साइकिल हर चौराहे पर रखी हुई है, वह पूरी तरह खबार हो चुकी है और अब चोर इन्हें कबाड़ के रूप में अपना निशाना बनाने की तैयारी में लगे हुए हैं.

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