ETV Bharat / state

ग्वालियर के हाथों से निकली ग्रीन फील्ड सिटी परियोजना, कांग्रेस का आरोप- बीजेपी की गुटबाजी का असर है

ग्वालियर देश का इकलौता शहर है जहां से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी टीम में दो-दो पॉवरफुल मंत्री हैं और प्रदेश की शिवराज सिंह सरकार में जिले से तीन मिनिस्टर यहां हमेशा सक्रिय रहते हैं, लेकिन इसके बावजूद शहर को मिलने वाले एक महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट ग्रीन फील्ड सिटी की दौड़ ग्वालियर को बाहर कर दिया. इस परियोजना को ग्वालियर के विकास में किस्मत खुलने वाला माना जाने वाला था. इसमें एक हजार करोड़ रुपये मिलने से बड़ा और आधुनिक शहर और व्यावसायिक एरिया विकसित होना था, एक्सपर्ट इसे राजनीतिक इच्छा शक्ति की कमी का परिणाम मानते हैं, वही कांग्रेस इसे बीजेपी की अंदरूनी गुटबाजी का कारण बता रही है.

Gwalior out of Green field city project
उर्जा मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर का बयान
author img

By

Published : Jan 21, 2023, 12:57 PM IST

उर्जा मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर का बयान

ग्वालियर। जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्मार्ट सिटी योजना लागू की थी उसकी अगली कड़ी में पीएम मोदी, ग्रीन फील्ड सिटी (Green field city Project) की एक और महत्वाकांक्षी योजना लांच कर रहे हैं, स्मार्ट सिटी में जहां शहरों का इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने का प्लान है, वहीं ग्रीन फील्ड सिटी में मॉडल के रूप में एक अत्याधुनिक सुविधाओं वाली पूरी टाउनशिप विकसित की जाएंगी. जिसमें रोजगारमूलक सेक्टर भी स्थापित होंगे. इस सिटी के लिए केंद्र सरकार एक हजार करोड़ रुपये की राशि प्रदान करेगी और जमीन राज्य सरकार को उपलब्ध कराना होगी. ग्रीन फील्ड सिटी के लिए देश के आठ राज्यों का चयन किया गया है, इनमे मध्यप्रदेश भी शामिल है. शहरी विकास मंत्रालय द्वारा आठ ग्रीन फील्ड सिटी तैयार करने के लिए हरेक के लिए एक-एक हजार करोड़ की राशि रखेगा. इस प्रोजेक्ट के लिए तीन शहरों ग्वालियर, इंदौर और जबलपुर ने प्रस्ताव तैयार करके भोपाल में प्रजेंटेशन दिया था, लेकिन ग्वालियर को बाहर कर पीथमपुर (इंदौर) और जबलपुर का प्रस्ताव ही भारत सरकार को भेजने का निर्णय लिया गया है.

मजबूत माना जा रहा था ग्वालियर का दावा: ग्वालियर में यह सिटी बसाने का काम साडा क्षेत्र में प्रस्तावित किया गया था. इसमें ग्वालियर का दावा अनेक कारणों से मजबूत माना जा रहा था. इसका प्रजेंटेशन देते समय साडा के चेयरमेन संभागीय आयुक्त दीपक सिंह का दावा था कि इसके लिए एकमुश्त 650 हैक्टेयर जमीन चाहिए जो बाकी दोनो शहरों के पास नहीं है. जबकि साडा में इसके लिए 650 एकड़ भूमि आरक्षित की है. एक और बड़ी वजह यह थी कि यह जगह बहुत उपयुक्त भी है, एक तो एनसीआर का हिस्सा है, दिल्ली से बहुत नजदीक है, आगरा -मुम्बई राष्ट्रीय राजमार्ग से एकदम सटी हुई है और इसके पास से ही वेस्टर्न बायपास गुजरने वाला है. इससे एकदम लगे एरिया में आईटीबीपी और एसएसबी जमीन ले चुका है. इसके अलावा प्रशासन ने एयरपोर्ट से साडा तक सीधे फोर लेन सड़क बनाने का प्रोजेक्ट भी आनन-फानन में तैयार किया था.

MP Bhind दोबारा शुरू होगी कनेरा उद्वहन सिंचाई परियोजना, 42 साल में 4 से 125 करोड़ हो गई लागत

इंदौर में बड़ी कंपनियां निवेश के लिए तैयार: ग्वालियर साडा की आर्थिक स्थिति पहले से खराब है, यहां ग्रीनफील्ड योजना में इलेक्ट्रानिक क्लस्टर के लिए शासन से 100 करोड़ रुपए मांगे जाने थे, जबकि पीथमपुर व जबलपुर में ऐसी स्थिति नहीं है. जी-20 और इंवेस्टर्स समिट का सफल आयोजन इंदौर में किया गया. ऐसे में इंदौर की दावेदारी ज्यादा मजबूत हुई है. वही ग्वालियर में इंवेस्टर्स लाने के लिए अलग से प्रयास करने होंगे, जबकि इंदौर में अब बड़ी कंपनियां निवेश के लिए तैयार हैं. ग्रीनफील्ड सिटी योजना में एक हजार करोड़ रुपये मिलने पर इंदौर को मुंबई और पुणे के समकक्ष पहुंचाने में ज्यादा आसानी होगी.

मंत्री ने किया बचाव, कांग्रेस ने साधा निशाना: इसको लेकर उर्जा मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर का कहना है कि ''केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और नरेंद्र सिंह तोमर ग्वालियर के विकास में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. अगर ग्रीन फील्ड सिटी का प्रोजेक्ट हमारे हाथों से निकल गया है तो उम्मीद है कि आगे कुछ इससे बेहतर ग्वालियर के लिए होगा, नए विकास लेकर आएंगे''. वहीं इसको लेकर कांग्रेस का आरोप है कि बीजेपी की गुटबाजी के चलते ग्वालियर को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है. इस समय ग्वालियर में सिंधिया गुट और शिवराज सरकार गुट अलग-अलग हैं, यही कारण है कि जो ग्वालियर के लिए बड़े-बड़े प्रोजेक्ट आ रहे हैं वह गुटबाजी की भेट चढ़ रहे हैं.

माधवराज सिंधिया मैग्नेट सिटी के लिए भूमि नोटिफाइड: बहरहाल इस योजना में ग्वालियर की माधवराज सिंधिया काउंटर मैग्नेट सिटी के लिए 8065 वर्ग किलोमीटर भूमि नोटिफाइड की जा चुकी थी. इसमें से 90 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में आधारभूत संरचनाएं हैं, इसमें सड़क, बिजली, पानी, सीवर लाइन के अलावा बड़े पार्क आदि शामिल भी थे. वहीं आवासीय क्षेत्र के साथ ही आइटी पार्क, लाजिस्टिक पार्क आदि भी हैं, इसलिए केंद्र सरकार की ग्रीन फील्ड योजना में शामिल करने के लिए यह काफी उपयुक्त थी. लेकिन साडा के नाम पर जो पूर्व में बंदरबांट इस लैंड पर हुआ है उसने इस प्रोजेक्ट पर पानी डाल दिया है.

उर्जा मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर का बयान

ग्वालियर। जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्मार्ट सिटी योजना लागू की थी उसकी अगली कड़ी में पीएम मोदी, ग्रीन फील्ड सिटी (Green field city Project) की एक और महत्वाकांक्षी योजना लांच कर रहे हैं, स्मार्ट सिटी में जहां शहरों का इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने का प्लान है, वहीं ग्रीन फील्ड सिटी में मॉडल के रूप में एक अत्याधुनिक सुविधाओं वाली पूरी टाउनशिप विकसित की जाएंगी. जिसमें रोजगारमूलक सेक्टर भी स्थापित होंगे. इस सिटी के लिए केंद्र सरकार एक हजार करोड़ रुपये की राशि प्रदान करेगी और जमीन राज्य सरकार को उपलब्ध कराना होगी. ग्रीन फील्ड सिटी के लिए देश के आठ राज्यों का चयन किया गया है, इनमे मध्यप्रदेश भी शामिल है. शहरी विकास मंत्रालय द्वारा आठ ग्रीन फील्ड सिटी तैयार करने के लिए हरेक के लिए एक-एक हजार करोड़ की राशि रखेगा. इस प्रोजेक्ट के लिए तीन शहरों ग्वालियर, इंदौर और जबलपुर ने प्रस्ताव तैयार करके भोपाल में प्रजेंटेशन दिया था, लेकिन ग्वालियर को बाहर कर पीथमपुर (इंदौर) और जबलपुर का प्रस्ताव ही भारत सरकार को भेजने का निर्णय लिया गया है.

मजबूत माना जा रहा था ग्वालियर का दावा: ग्वालियर में यह सिटी बसाने का काम साडा क्षेत्र में प्रस्तावित किया गया था. इसमें ग्वालियर का दावा अनेक कारणों से मजबूत माना जा रहा था. इसका प्रजेंटेशन देते समय साडा के चेयरमेन संभागीय आयुक्त दीपक सिंह का दावा था कि इसके लिए एकमुश्त 650 हैक्टेयर जमीन चाहिए जो बाकी दोनो शहरों के पास नहीं है. जबकि साडा में इसके लिए 650 एकड़ भूमि आरक्षित की है. एक और बड़ी वजह यह थी कि यह जगह बहुत उपयुक्त भी है, एक तो एनसीआर का हिस्सा है, दिल्ली से बहुत नजदीक है, आगरा -मुम्बई राष्ट्रीय राजमार्ग से एकदम सटी हुई है और इसके पास से ही वेस्टर्न बायपास गुजरने वाला है. इससे एकदम लगे एरिया में आईटीबीपी और एसएसबी जमीन ले चुका है. इसके अलावा प्रशासन ने एयरपोर्ट से साडा तक सीधे फोर लेन सड़क बनाने का प्रोजेक्ट भी आनन-फानन में तैयार किया था.

MP Bhind दोबारा शुरू होगी कनेरा उद्वहन सिंचाई परियोजना, 42 साल में 4 से 125 करोड़ हो गई लागत

इंदौर में बड़ी कंपनियां निवेश के लिए तैयार: ग्वालियर साडा की आर्थिक स्थिति पहले से खराब है, यहां ग्रीनफील्ड योजना में इलेक्ट्रानिक क्लस्टर के लिए शासन से 100 करोड़ रुपए मांगे जाने थे, जबकि पीथमपुर व जबलपुर में ऐसी स्थिति नहीं है. जी-20 और इंवेस्टर्स समिट का सफल आयोजन इंदौर में किया गया. ऐसे में इंदौर की दावेदारी ज्यादा मजबूत हुई है. वही ग्वालियर में इंवेस्टर्स लाने के लिए अलग से प्रयास करने होंगे, जबकि इंदौर में अब बड़ी कंपनियां निवेश के लिए तैयार हैं. ग्रीनफील्ड सिटी योजना में एक हजार करोड़ रुपये मिलने पर इंदौर को मुंबई और पुणे के समकक्ष पहुंचाने में ज्यादा आसानी होगी.

मंत्री ने किया बचाव, कांग्रेस ने साधा निशाना: इसको लेकर उर्जा मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर का कहना है कि ''केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और नरेंद्र सिंह तोमर ग्वालियर के विकास में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. अगर ग्रीन फील्ड सिटी का प्रोजेक्ट हमारे हाथों से निकल गया है तो उम्मीद है कि आगे कुछ इससे बेहतर ग्वालियर के लिए होगा, नए विकास लेकर आएंगे''. वहीं इसको लेकर कांग्रेस का आरोप है कि बीजेपी की गुटबाजी के चलते ग्वालियर को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है. इस समय ग्वालियर में सिंधिया गुट और शिवराज सरकार गुट अलग-अलग हैं, यही कारण है कि जो ग्वालियर के लिए बड़े-बड़े प्रोजेक्ट आ रहे हैं वह गुटबाजी की भेट चढ़ रहे हैं.

माधवराज सिंधिया मैग्नेट सिटी के लिए भूमि नोटिफाइड: बहरहाल इस योजना में ग्वालियर की माधवराज सिंधिया काउंटर मैग्नेट सिटी के लिए 8065 वर्ग किलोमीटर भूमि नोटिफाइड की जा चुकी थी. इसमें से 90 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में आधारभूत संरचनाएं हैं, इसमें सड़क, बिजली, पानी, सीवर लाइन के अलावा बड़े पार्क आदि शामिल भी थे. वहीं आवासीय क्षेत्र के साथ ही आइटी पार्क, लाजिस्टिक पार्क आदि भी हैं, इसलिए केंद्र सरकार की ग्रीन फील्ड योजना में शामिल करने के लिए यह काफी उपयुक्त थी. लेकिन साडा के नाम पर जो पूर्व में बंदरबांट इस लैंड पर हुआ है उसने इस प्रोजेक्ट पर पानी डाल दिया है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.