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दो साल से पेंडिंग मामलों पर HC सख्त, पुलिस अधीक्षक पर लगाया 10 हजार का जुर्माना

हाईकोर्ट ने दो साल से लंबित मामलों को लेकर पुलिस अधीक्षक ने 10 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है.

gwalior high court imposes 10 thousand cost
दो साल लंबित मामले में पुलिस 10 हजार की कोस्ट अधीक्षक पर
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Published : Apr 12, 2021, 2:23 PM IST

ग्वालियर। हाईकोर्ट ने पुलिस अधीक्षक पर 10,000 रुपए की कॉस्ट लगाते हुए पुलिस को संबंधित के मामले में तुरंत प्राथमिकी दर्ज करने का कहा है. कोर्ट ने प्रसिद्ध कानून विशेषज्ञों की 5 किताबें विधिक सहायता में जमा कराने के भी निर्देश एसपी को दिए हैं.

हाईकोर्ट मामला दर्ज करने को कहा

एसपी को10,000 रुपए की कॉस्ट डिजिटली फरियादी के अकाउंट में 3 दिन के अंदर डालने के आदेश हाईकोर्ट ने दिए हैं. मामला ग्वालियर जिले की डबरा तहसील के पिछोर इलाके का है. ओमप्रकाश नाम के किसान की अपनी जमीन है उसने कई बार अपने खेतों में खड़ी फसल को अन्य व्यक्तियों द्वारा काट लिए जाने की शिकायत स्थानीय थाने से लेकर पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों से की थी.

स्टेटस रिपोर्ट पेश करने के निर्देश

हाई कोर्ट ने इस मामले में पुलिस अधीक्षक को तत्काल स्टेटस रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए. पुलिस की ओर से हमेशा न्यायालय से समय लिया जाता रहा. अगर कोई आवेदन 156 (3) के तहत न्यायालय में आता है, तो अधीनस्थ न्यायालय तुरंत इन मामलों में एफआईआर दर्ज करने के निर्देश जारी कर सकते हैं. इस मामले में ओमप्रकाश की फरियाद पर पुलिस अधीक्षक पर 10,000 रुपए की कॉस्ट लगाई गई है.

ग्वालियर। हाईकोर्ट ने पुलिस अधीक्षक पर 10,000 रुपए की कॉस्ट लगाते हुए पुलिस को संबंधित के मामले में तुरंत प्राथमिकी दर्ज करने का कहा है. कोर्ट ने प्रसिद्ध कानून विशेषज्ञों की 5 किताबें विधिक सहायता में जमा कराने के भी निर्देश एसपी को दिए हैं.

हाईकोर्ट मामला दर्ज करने को कहा

एसपी को10,000 रुपए की कॉस्ट डिजिटली फरियादी के अकाउंट में 3 दिन के अंदर डालने के आदेश हाईकोर्ट ने दिए हैं. मामला ग्वालियर जिले की डबरा तहसील के पिछोर इलाके का है. ओमप्रकाश नाम के किसान की अपनी जमीन है उसने कई बार अपने खेतों में खड़ी फसल को अन्य व्यक्तियों द्वारा काट लिए जाने की शिकायत स्थानीय थाने से लेकर पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों से की थी.

स्टेटस रिपोर्ट पेश करने के निर्देश

हाई कोर्ट ने इस मामले में पुलिस अधीक्षक को तत्काल स्टेटस रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए. पुलिस की ओर से हमेशा न्यायालय से समय लिया जाता रहा. अगर कोई आवेदन 156 (3) के तहत न्यायालय में आता है, तो अधीनस्थ न्यायालय तुरंत इन मामलों में एफआईआर दर्ज करने के निर्देश जारी कर सकते हैं. इस मामले में ओमप्रकाश की फरियाद पर पुलिस अधीक्षक पर 10,000 रुपए की कॉस्ट लगाई गई है.

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