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बांग्लादेश ने तीस्ता प्रोजेक्ट में चीन को किया शामिल, भारत की बढ़ेंगी मुश्किलें - TEESTA RIVER

तीस्ता नदी प्रोजेक्ट को लेकर बांग्लादेश ने लिया बड़ा फैसला. भारत को दरकिनार कर चीन को सौंपा प्रोजेक्ट. पढ़ें पूरी खबर.

Teesta
सिक्किम से गुजरती तिस्ता नदी. (PTI)
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By Aroonim Bhuyan

Published : Feb 21, 2025, 4:30 PM IST

नई दिल्ली: बांग्लादेश एक बार फिर तीस्ता नदी प्रबंधन परियोजना में मदद के लिए चीन की ओर रुख कर रहा है. इसके बाद भारत की मुश्किल बढ़ सकती है. यह बात तब सामने आई है जब भारत और बांग्लादेश के बीच तीस्ता जल बंटवारे के मुद्दे पर अभी तक समझौता नहीं हुआ है. अब जब बीजिंग को सक्रिय रूप से भागीदार के रूप में माना जा रहा है, तो भारत को बांग्लादेश के साथ अपने राजनयिक संबंधों को संतुलित करने और क्षेत्र में चीन की बढ़ती उपस्थिति का मुकाबला करने की चुनौती का सामना करना पड़ सकता है.

बांग्लादेशी मीडिया में क्या है खबरेंः 29 जनवरी को बांग्लादेश जल विकास बोर्ड (बीडब्ल्यूडीबी) और चीन की सरकारी स्वामित्व वाली पावरचाइना ने तीस्ता नदी व्यापक प्रबंधन एवं पुनरुद्धार परियोजना (टीआरसीएमआरपी) को आगे बढ़ाने के लिए एक समझौता पर हस्ताक्षर किए हैं. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस सौदे के तहत पावर चाइना दिसंबर तक एक रिपोर्ट तैयार करेगी. 2026 में इसका अध्ययन करेगी. इसके बाद तीस्ता परियोजना को अंतिम रूप दिया जाएगा. डेली स्टार ने पर्यावरण सलाहकार सईदा रिजवाना हसन के हवाले से कहा, "हमने परियोजना के तहत दो कार्यों को पूरा करने के लिए चीन को दो साल का समय देने पर सहमति जताई है."

PM modi meeting
22 जून, 2024 को नई दिल्ली में द्विपक्षीय चर्चा के दौरान दोनों देशों के मंत्रियों और अधिकारियों के बीच प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी बांग्लादेश समकक्ष शेख हसीना. (X@MEAIndia)

चीन से संपर्क के बाद अब क्या होगाः ढाका स्थित नागरिक समाज संगठन रिवराइन पीपल के महासचिव शेख रोकोन ने ईटीवी भारत को फोन पर बताया, "पावर चाइना ने जो मास्टर प्लान बनाया था, उसकी समय सीमा दिसंबर 2024 में समाप्त हो गई है." अंतरिम सरकार ने एमओयू के विस्तार के लिए चीन के सामने दो शर्तें रखी हैं. पहली यह कि मास्टर प्लान दिसंबर 2026 तक अंतिम रूप दे दिया जाना चाहिए. दूसरी यह कि जन सुनवाई की जानी चाहिए ताकि नदी के किनारे रहने वाले लोग अपनी चिंताओं और अपेक्षाओं को व्यक्त कर सकें.

बहुपक्षीय होना चाहिए मास्टरप्लानः रोकोन का मानना ​​है कि टीआरसीएमआरपी के कार्यान्वयन से पहले यह महत्वपूर्ण है कि नई दिल्ली और ढाका लंबे समय से लंबित द्विपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर करें, क्योंकि भारत ऊपरी तटवर्ती देश है. उन्होंने बताया, "भारत और बांग्लादेश में तीस्ता नदी पर 70 किलोमीटर के दायरे में दो बैराज हैं. भारत (पश्चिम बंगाल) में गजोल्डोबा बैराज है जो देश के अलग-अलग इलाकों में जाने वाली नहरों में पानी को मोड़ता है. बांग्लादेश में दुअनी बैराज पानी की कमी के कारण लगभग काम नहीं कर रहा है. हालांकि बांग्लादेश ने टीआरसीएमआरपी के कार्यान्वयन के लिए चीन से पुनः संपर्क किया है, तथापि रोकोन का मानना ​​है कि मास्टरप्लान अंततः बहुपक्षीय होना चाहिए.

Teesta River
सिक्किम में तीस्ता नदी में आयी बाढ़. (फाइल फोटो) (ANI)

नई दिल्ली के लिए चिंता का विषयः बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था और राजनीति के एक भारतीय विशेषज्ञ के अनुसार, परियोजना के लिए ढाका द्वारा दोबारा बीजिंग से संपर्क करना नई दिल्ली के लिए चिंता का विषय होगा. नाम न बताने की शर्त पर विशेषज्ञ ने ईटीवी भारत को बताया, "तीस्ता नदी बेसिन 'चिकन नेक' के बहुत करीब है, जो पूर्वोत्तर भारत को देश के बाकी हिस्सों और भूटान के डोकलाम क्षेत्र से जोड़ता है. हम बांग्लादेश से कह रहे हैं कि वह इस परियोजना को लागू करने के लिए चीन के साथ आगे न बढ़े." मीडिया रिपोर्टों से पता चलता है कि ढाका और बीजिंग के बीच नवीनतम समझौते पर हस्ताक्षर होने के बाद चीनी अधिकारी पहले से ही परियोजना स्थल पर मौजूद हैं.

Mamta banerjee.
ममता बनर्जी. (फाइल फोटो) (ANI)

तीस्ता जल बंटवारे का विवाद क्या हैः हिमालय से निकलने वाली और सिक्किम तथा पश्चिम बंगाल से होकर असम में ब्रह्मपुत्र नदी (बांग्लादेश में जमुना नदी) में विलय होने वाली तीस्ता नदी के जल का बंटवारा भारत और बांग्लादेश के बीच लंबे समय से चला आ रहा विवाद है. तीस्ता नदी सिक्किम के लगभग पूरे मैदानी इलाके को कवर करने के साथ-साथ बांग्लादेश के लगभग 2,800 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को भी कवर करती है. पश्चिम बंगाल के लिये भी तीस्ता नदी उतनी ही महत्वपूर्ण है, जितनी सिक्किम और बांग्लादेश के लिये. पश्चिम बंगाल के आधा दर्जन ज़िलों की जीवन रेखा मानी जाती है.

भारत के किन-किन राज्यों से बहती हैः भारत और बांग्लादेश के बीच विवाद का मुख्य मुद्दा तीस्ता नदी का बांग्लादेश में कम वर्षा वाले मौसम में प्रवाह है. बांग्लादेश के 2,800 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र से होकर सिक्किम के मैदानों से होकर बहती है. अपनी कुल 414 किलोमीटर की लंबाई में से तीस्ता नदी लगभग 151 किलोमीटर सिक्किम से, लगभग 142 किलोमीटर पश्चिम बंगाल से और अंतिम 121 किलोमीटर बांग्लादेश से होकर बहती है. बांग्लादेश में तीस्ता बैराज के ऊपर, दलिया में नदी का औसत ऐतिहासिक प्रवाह 7932.01 क्यूबिक मीटर प्रति सेकंड (क्यूमेक) अधिकतम और 283.28 क्यूमेक न्यूनतम था.

sheikh haseena.
शेख हसीना. (ANI)

नहीं हो सका समझौताः 2011 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की ढाका यात्रा के दौरान भारत और बांग्लादेश तीस्ता जल मुद्दे पर एक समझौते पर पहुंचने के करीब था. लेकिन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, मनमोहन सिंह के साथ नहीं थीं. अंतिम समय में समझौते पर हस्ताक्षर नहीं हो सका. बनर्जी इस समझौते के खिलाफ हैं, क्योंकि उनका मानना ​​है कि तीस्ता नदी का पानी तेजी से घट रहा है. यह नदी उत्तरी पश्चिम बंगाल में 1.20 लाख हेक्टेयर अत्यधिक कृषि योग्य भूमि की सिंचाई की सुविधा प्रदान करती है.

Bridge over the Teesta River in Sikkim.
सिक्किम में तीस्ता नदी के ऊपर बना पुल. (ETV Bharat)

हसीना की जून 2024 की यात्रा के बाद, दोनों पक्षों द्वारा जारी एक संयुक्त दस्तावेज़ में कहा गया कि "हमारे द्विपक्षीय संबंधों में जल संसाधन प्रबंधन के महत्व को पहचानते हुए, हम संयुक्त नदी आयोग की सिफारिशों के आधार पर डेटा के आदान-प्रदान को प्राथमिकता देने और अंतरिम जल बंटवारे के लिए रूपरेखा तैयार करने में लगे रहेंगे. हम 1996 की गंगा जल बंटवारा संधि के नवीनीकरण के लिए चर्चा शुरू करने के लिए एक संयुक्त तकनीकी समिति के गठन का स्वागत करते हैं. हमारे विकास सहयोग के हिस्से के रूप में, हम आपसी सहमति से तय समय सीमा के भीतर भारतीय सहायता से बांग्लादेश के अंदर तीस्ता नदी के संरक्षण और प्रबंधन का भी काम करेंगे."

TRCMRP क्या हैः तीस्ता नदी अपने क्षेत्रों में सिंचाई, पीने के पानी और जैव विविधता के पोषण के लिए महत्वपूर्ण है. हालांकि, नदी को मौसमी जल की कमी, अवसादन और प्रदूषण जैसी महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. जिससे इसका संरक्षण और प्रबंधन बांग्लादेशी सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन जाता है. बांग्लादेश सरकार द्वारा जल संसाधन प्रबंधन, बाढ़ नियंत्रण और प्रबंधन, पारिस्थितिकी तंत्र बहाली, प्रदूषण नियंत्रण और सामुदायिक सहभागिता के लिए TRCMRP की शुरुआत की गई थी. इसके उद्देश्यों में कृषि, औद्योगिक और घरेलू उपयोग के लिए पानी का एक स्थायी और न्यायसंगत वितरण सुनिश्चित करना है.

Teesta River
सिक्किम में तीस्ता नदी में आयी बाढ़. (फाइल फोटो) (ANI)

चीन के साथ एमओयू में क्या हैः बांग्लादेश सरकार ने चीन के साथ मिलकर तीस्ता नदी के लगातार जल संकट को दूर करने के लिए TRCMRP की शुरुआत की. 2016 में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की बांग्लादेश यात्रा के दौरान, बीजिंग ने 24 बिलियन डॉलर मूल्य के समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर प्रतिबद्धता जताई. जिसमें नदी प्रबंधन पर केंद्रित एक समझौता ज्ञापन के साथ-साथ आपसी लाभ और समानता पर आधारित कई अन्य समझौते भी शामिल थे. चीन ने समुद्र और नदी दोनों मोर्चों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के जवाब में भूमि सुधार प्रयासों के लिए तकनीकी सहायता का वादा किया.

भारत ने बांग्लादेश को मात दीः इन समझौतों के अनुरूप, बांग्लादेश जल विकास बोर्ड और पावरचाइना ने बांग्लादेश में जल क्षेत्र की परियोजनाओं पर सहयोग करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए. तीस्ता नदी पर व्यवहार्यता अध्ययन किया गया, जिसके बाद पावर चाइना ने TRCMRP रिपोर्ट प्रस्तुत की. इस रिपोर्ट को बाद में 30 मई, 2019 को मंजूरी दी गई. हालांकि, नई दिल्ली के लिए यह चिंता का विषय था क्योंकि इसे चीन द्वारा भारत के नजदीकी पड़ोस में अपना प्रभाव बढ़ाने के रूप में देखा गया. हसीना की यात्रा के बाद, पर्यवेक्षकों का मानना ​​था कि TRCMRP का अध्ययन करने के लिए एक तकनीकी टीम भेजने का निर्णय लेकर भारत ने बांग्लादेश को मात दे दी है.

बांग्लादेश-चीन-पाकिस्तान की जुगलबंदीः विशेषज्ञ ने कहा, "हम जानते हैं कि जब चीनी आएंगे, तो वे जासूसी गतिविधियों में शामिल होंगे." "पश्चिम बंगाल, बिहार, पूर्वोत्तर भारत के साथ-साथ भूटान और नेपाल के अंतरराष्ट्रीय सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा खतरे होंगे. ढाका में अंतरिम सरकार (अगस्त 2024 में) के सत्ता में आने के बाद पाकिस्तान, बांग्लादेशी सुरक्षा बलों को प्रशिक्षण दे रहा है. अब, एक नया बांग्लादेश-चीन-पाकिस्तान अक्ष बन रहा है.

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बांग्लादेशी मीडिया में क्या है खबरेंः 29 जनवरी को बांग्लादेश जल विकास बोर्ड (बीडब्ल्यूडीबी) और चीन की सरकारी स्वामित्व वाली पावरचाइना ने तीस्ता नदी व्यापक प्रबंधन एवं पुनरुद्धार परियोजना (टीआरसीएमआरपी) को आगे बढ़ाने के लिए एक समझौता पर हस्ताक्षर किए हैं. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस सौदे के तहत पावर चाइना दिसंबर तक एक रिपोर्ट तैयार करेगी. 2026 में इसका अध्ययन करेगी. इसके बाद तीस्ता परियोजना को अंतिम रूप दिया जाएगा. डेली स्टार ने पर्यावरण सलाहकार सईदा रिजवाना हसन के हवाले से कहा, "हमने परियोजना के तहत दो कार्यों को पूरा करने के लिए चीन को दो साल का समय देने पर सहमति जताई है."

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22 जून, 2024 को नई दिल्ली में द्विपक्षीय चर्चा के दौरान दोनों देशों के मंत्रियों और अधिकारियों के बीच प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी बांग्लादेश समकक्ष शेख हसीना. (X@MEAIndia)

चीन से संपर्क के बाद अब क्या होगाः ढाका स्थित नागरिक समाज संगठन रिवराइन पीपल के महासचिव शेख रोकोन ने ईटीवी भारत को फोन पर बताया, "पावर चाइना ने जो मास्टर प्लान बनाया था, उसकी समय सीमा दिसंबर 2024 में समाप्त हो गई है." अंतरिम सरकार ने एमओयू के विस्तार के लिए चीन के सामने दो शर्तें रखी हैं. पहली यह कि मास्टर प्लान दिसंबर 2026 तक अंतिम रूप दे दिया जाना चाहिए. दूसरी यह कि जन सुनवाई की जानी चाहिए ताकि नदी के किनारे रहने वाले लोग अपनी चिंताओं और अपेक्षाओं को व्यक्त कर सकें.

बहुपक्षीय होना चाहिए मास्टरप्लानः रोकोन का मानना ​​है कि टीआरसीएमआरपी के कार्यान्वयन से पहले यह महत्वपूर्ण है कि नई दिल्ली और ढाका लंबे समय से लंबित द्विपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर करें, क्योंकि भारत ऊपरी तटवर्ती देश है. उन्होंने बताया, "भारत और बांग्लादेश में तीस्ता नदी पर 70 किलोमीटर के दायरे में दो बैराज हैं. भारत (पश्चिम बंगाल) में गजोल्डोबा बैराज है जो देश के अलग-अलग इलाकों में जाने वाली नहरों में पानी को मोड़ता है. बांग्लादेश में दुअनी बैराज पानी की कमी के कारण लगभग काम नहीं कर रहा है. हालांकि बांग्लादेश ने टीआरसीएमआरपी के कार्यान्वयन के लिए चीन से पुनः संपर्क किया है, तथापि रोकोन का मानना ​​है कि मास्टरप्लान अंततः बहुपक्षीय होना चाहिए.

Teesta River
सिक्किम में तीस्ता नदी में आयी बाढ़. (फाइल फोटो) (ANI)

नई दिल्ली के लिए चिंता का विषयः बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था और राजनीति के एक भारतीय विशेषज्ञ के अनुसार, परियोजना के लिए ढाका द्वारा दोबारा बीजिंग से संपर्क करना नई दिल्ली के लिए चिंता का विषय होगा. नाम न बताने की शर्त पर विशेषज्ञ ने ईटीवी भारत को बताया, "तीस्ता नदी बेसिन 'चिकन नेक' के बहुत करीब है, जो पूर्वोत्तर भारत को देश के बाकी हिस्सों और भूटान के डोकलाम क्षेत्र से जोड़ता है. हम बांग्लादेश से कह रहे हैं कि वह इस परियोजना को लागू करने के लिए चीन के साथ आगे न बढ़े." मीडिया रिपोर्टों से पता चलता है कि ढाका और बीजिंग के बीच नवीनतम समझौते पर हस्ताक्षर होने के बाद चीनी अधिकारी पहले से ही परियोजना स्थल पर मौजूद हैं.

Mamta banerjee.
ममता बनर्जी. (फाइल फोटो) (ANI)

तीस्ता जल बंटवारे का विवाद क्या हैः हिमालय से निकलने वाली और सिक्किम तथा पश्चिम बंगाल से होकर असम में ब्रह्मपुत्र नदी (बांग्लादेश में जमुना नदी) में विलय होने वाली तीस्ता नदी के जल का बंटवारा भारत और बांग्लादेश के बीच लंबे समय से चला आ रहा विवाद है. तीस्ता नदी सिक्किम के लगभग पूरे मैदानी इलाके को कवर करने के साथ-साथ बांग्लादेश के लगभग 2,800 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को भी कवर करती है. पश्चिम बंगाल के लिये भी तीस्ता नदी उतनी ही महत्वपूर्ण है, जितनी सिक्किम और बांग्लादेश के लिये. पश्चिम बंगाल के आधा दर्जन ज़िलों की जीवन रेखा मानी जाती है.

भारत के किन-किन राज्यों से बहती हैः भारत और बांग्लादेश के बीच विवाद का मुख्य मुद्दा तीस्ता नदी का बांग्लादेश में कम वर्षा वाले मौसम में प्रवाह है. बांग्लादेश के 2,800 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र से होकर सिक्किम के मैदानों से होकर बहती है. अपनी कुल 414 किलोमीटर की लंबाई में से तीस्ता नदी लगभग 151 किलोमीटर सिक्किम से, लगभग 142 किलोमीटर पश्चिम बंगाल से और अंतिम 121 किलोमीटर बांग्लादेश से होकर बहती है. बांग्लादेश में तीस्ता बैराज के ऊपर, दलिया में नदी का औसत ऐतिहासिक प्रवाह 7932.01 क्यूबिक मीटर प्रति सेकंड (क्यूमेक) अधिकतम और 283.28 क्यूमेक न्यूनतम था.

sheikh haseena.
शेख हसीना. (ANI)

नहीं हो सका समझौताः 2011 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की ढाका यात्रा के दौरान भारत और बांग्लादेश तीस्ता जल मुद्दे पर एक समझौते पर पहुंचने के करीब था. लेकिन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, मनमोहन सिंह के साथ नहीं थीं. अंतिम समय में समझौते पर हस्ताक्षर नहीं हो सका. बनर्जी इस समझौते के खिलाफ हैं, क्योंकि उनका मानना ​​है कि तीस्ता नदी का पानी तेजी से घट रहा है. यह नदी उत्तरी पश्चिम बंगाल में 1.20 लाख हेक्टेयर अत्यधिक कृषि योग्य भूमि की सिंचाई की सुविधा प्रदान करती है.

Bridge over the Teesta River in Sikkim.
सिक्किम में तीस्ता नदी के ऊपर बना पुल. (ETV Bharat)

हसीना की जून 2024 की यात्रा के बाद, दोनों पक्षों द्वारा जारी एक संयुक्त दस्तावेज़ में कहा गया कि "हमारे द्विपक्षीय संबंधों में जल संसाधन प्रबंधन के महत्व को पहचानते हुए, हम संयुक्त नदी आयोग की सिफारिशों के आधार पर डेटा के आदान-प्रदान को प्राथमिकता देने और अंतरिम जल बंटवारे के लिए रूपरेखा तैयार करने में लगे रहेंगे. हम 1996 की गंगा जल बंटवारा संधि के नवीनीकरण के लिए चर्चा शुरू करने के लिए एक संयुक्त तकनीकी समिति के गठन का स्वागत करते हैं. हमारे विकास सहयोग के हिस्से के रूप में, हम आपसी सहमति से तय समय सीमा के भीतर भारतीय सहायता से बांग्लादेश के अंदर तीस्ता नदी के संरक्षण और प्रबंधन का भी काम करेंगे."

TRCMRP क्या हैः तीस्ता नदी अपने क्षेत्रों में सिंचाई, पीने के पानी और जैव विविधता के पोषण के लिए महत्वपूर्ण है. हालांकि, नदी को मौसमी जल की कमी, अवसादन और प्रदूषण जैसी महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. जिससे इसका संरक्षण और प्रबंधन बांग्लादेशी सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन जाता है. बांग्लादेश सरकार द्वारा जल संसाधन प्रबंधन, बाढ़ नियंत्रण और प्रबंधन, पारिस्थितिकी तंत्र बहाली, प्रदूषण नियंत्रण और सामुदायिक सहभागिता के लिए TRCMRP की शुरुआत की गई थी. इसके उद्देश्यों में कृषि, औद्योगिक और घरेलू उपयोग के लिए पानी का एक स्थायी और न्यायसंगत वितरण सुनिश्चित करना है.

Teesta River
सिक्किम में तीस्ता नदी में आयी बाढ़. (फाइल फोटो) (ANI)

चीन के साथ एमओयू में क्या हैः बांग्लादेश सरकार ने चीन के साथ मिलकर तीस्ता नदी के लगातार जल संकट को दूर करने के लिए TRCMRP की शुरुआत की. 2016 में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की बांग्लादेश यात्रा के दौरान, बीजिंग ने 24 बिलियन डॉलर मूल्य के समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर प्रतिबद्धता जताई. जिसमें नदी प्रबंधन पर केंद्रित एक समझौता ज्ञापन के साथ-साथ आपसी लाभ और समानता पर आधारित कई अन्य समझौते भी शामिल थे. चीन ने समुद्र और नदी दोनों मोर्चों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के जवाब में भूमि सुधार प्रयासों के लिए तकनीकी सहायता का वादा किया.

भारत ने बांग्लादेश को मात दीः इन समझौतों के अनुरूप, बांग्लादेश जल विकास बोर्ड और पावरचाइना ने बांग्लादेश में जल क्षेत्र की परियोजनाओं पर सहयोग करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए. तीस्ता नदी पर व्यवहार्यता अध्ययन किया गया, जिसके बाद पावर चाइना ने TRCMRP रिपोर्ट प्रस्तुत की. इस रिपोर्ट को बाद में 30 मई, 2019 को मंजूरी दी गई. हालांकि, नई दिल्ली के लिए यह चिंता का विषय था क्योंकि इसे चीन द्वारा भारत के नजदीकी पड़ोस में अपना प्रभाव बढ़ाने के रूप में देखा गया. हसीना की यात्रा के बाद, पर्यवेक्षकों का मानना ​​था कि TRCMRP का अध्ययन करने के लिए एक तकनीकी टीम भेजने का निर्णय लेकर भारत ने बांग्लादेश को मात दे दी है.

बांग्लादेश-चीन-पाकिस्तान की जुगलबंदीः विशेषज्ञ ने कहा, "हम जानते हैं कि जब चीनी आएंगे, तो वे जासूसी गतिविधियों में शामिल होंगे." "पश्चिम बंगाल, बिहार, पूर्वोत्तर भारत के साथ-साथ भूटान और नेपाल के अंतरराष्ट्रीय सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा खतरे होंगे. ढाका में अंतरिम सरकार (अगस्त 2024 में) के सत्ता में आने के बाद पाकिस्तान, बांग्लादेशी सुरक्षा बलों को प्रशिक्षण दे रहा है. अब, एक नया बांग्लादेश-चीन-पाकिस्तान अक्ष बन रहा है.

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