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हाईकोर्ट ने पुलिस मुठभेड़ को माना झूठा, कारोबारी के अपहरणकर्ताओं को किया दोषमुक्त - ग्वालियर न्यूज

मुरैना के बीज कारोबारी अपहरण कांड के आरोपियों को हाईकोर्ट ने बरी कर दिया है. कोर्ट ने पुलिस की मुठभेड़ की कहानी को झूठा पाया है. आरोपियों को सेशन कोर्ट ने दोषी करार दिया था.

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कारोबारी के अपहरणकर्ता हुए दोष मुक्त
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Published : May 14, 2020, 2:49 PM IST

ग्वालियर। हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने करीब 11 साल पहले हुए एक कारोबारी के अपहरण के मामले में पीड़ित को मुक्त कराने की पुलिस की कहानी झूठी करार दिया है. कोर्ट ने इस मामले में जेल में बंद आरोपियों को हत्या की कोशिश बलवा और अवैध हथियारों के आरोपों से बरी कर दिया है. साथ ही शासन को इनके पुनर्वास की व्यवस्था का आदेश दिया है.

कारोबारी के अपहरणकर्ता हुए दोष मुक्त

ये था मामला

मुरैना के बीज कारोबारी सुशील राठी को 11 फरवरी 2009 अगवा कर लिया गया था. इस मामले में राठी के यहां काम करने वाले युवक बंटी पर कुख्यात डकैत राजेंद्र गुर्जर से मिलकर इस वारदात को अंजाम देने के आरोप लगा था. इसमें उसके कुछ साथियों के नाम भी सामने आए थे. जिसमें रामदीन, रामसेवक और जितेंद्र शामिल थे. पुलिस ने 15 फरवरी 2009 को मुखबिर की सूचना पर सराय छोला थाना क्षेत्र के नदुआपुरा में एक मुठभेड़ में सुशील राठी को अपहरणकर्ताओं के चंगुल से मुक्त करवाने की बात कोर्ट को बताई थी.

पीड़ित ने आरोपियों को पहचनाने से किया इनकार

मामले में करीब 12 आरोपियों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए थे, लेकिन अगवा कारोबारी सुशील राठी ने बंटी के अलावा बाकी आरोपियों को पहचानने से इनकार कर दिया था. मुठभेड़ में पुलिस ने बदमाशों से हथियार बरामद होने की बात भी बताई और कई राउंड फायर किए जाने का दावा किया था.

हथियारों की नहीं हुई फॉरेंसिक जांच

हैरानी की बात है ये है कि, बदमाशों से बरामद हथियारों को जांच के लिए नहीं भेजा गया. मुरैना सेशन कोर्ट ने तीन साल पहले आरोपियों को अपहरण और हत्या की कोशिश में 7 साल की सजा सुनाई गई थी. इससे पहले भी आरोपी लंबा वक्त जेल में काट चुके हैं और इस समय जेल में ही बंद हैं.

मुठभेड़ में कोई नहीं हुआ घायल

आरोपियों की तरफ से अधिवक्ता अशोक जैन ने पैरवी की और उन्होंने पुलिस की मुठभेड़ की कहानी को झूठा बताते हुए कार्रवाई की बात कही. कोर्ट ने भी माना कि, कई राउंड फायरिंग के बावजूद ना तो बदमाशों को गोली लगी और ना ही पुलिसकर्मी इस मुठभेड़ में घायल हुए. बदमाशों के हथियारों को फॉरेंसिक जांच के लिए नहीं भेजा गया. वहीं कारोबारी ने बंटी के अलावा रामसेवक, जितेंद्र और रामदीन को पहचानने से ही इनकार कर दिया. ऐसे में पुलिस का दावा झूठा साबित हुआ.

ग्वालियर। हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने करीब 11 साल पहले हुए एक कारोबारी के अपहरण के मामले में पीड़ित को मुक्त कराने की पुलिस की कहानी झूठी करार दिया है. कोर्ट ने इस मामले में जेल में बंद आरोपियों को हत्या की कोशिश बलवा और अवैध हथियारों के आरोपों से बरी कर दिया है. साथ ही शासन को इनके पुनर्वास की व्यवस्था का आदेश दिया है.

कारोबारी के अपहरणकर्ता हुए दोष मुक्त

ये था मामला

मुरैना के बीज कारोबारी सुशील राठी को 11 फरवरी 2009 अगवा कर लिया गया था. इस मामले में राठी के यहां काम करने वाले युवक बंटी पर कुख्यात डकैत राजेंद्र गुर्जर से मिलकर इस वारदात को अंजाम देने के आरोप लगा था. इसमें उसके कुछ साथियों के नाम भी सामने आए थे. जिसमें रामदीन, रामसेवक और जितेंद्र शामिल थे. पुलिस ने 15 फरवरी 2009 को मुखबिर की सूचना पर सराय छोला थाना क्षेत्र के नदुआपुरा में एक मुठभेड़ में सुशील राठी को अपहरणकर्ताओं के चंगुल से मुक्त करवाने की बात कोर्ट को बताई थी.

पीड़ित ने आरोपियों को पहचनाने से किया इनकार

मामले में करीब 12 आरोपियों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए थे, लेकिन अगवा कारोबारी सुशील राठी ने बंटी के अलावा बाकी आरोपियों को पहचानने से इनकार कर दिया था. मुठभेड़ में पुलिस ने बदमाशों से हथियार बरामद होने की बात भी बताई और कई राउंड फायर किए जाने का दावा किया था.

हथियारों की नहीं हुई फॉरेंसिक जांच

हैरानी की बात है ये है कि, बदमाशों से बरामद हथियारों को जांच के लिए नहीं भेजा गया. मुरैना सेशन कोर्ट ने तीन साल पहले आरोपियों को अपहरण और हत्या की कोशिश में 7 साल की सजा सुनाई गई थी. इससे पहले भी आरोपी लंबा वक्त जेल में काट चुके हैं और इस समय जेल में ही बंद हैं.

मुठभेड़ में कोई नहीं हुआ घायल

आरोपियों की तरफ से अधिवक्ता अशोक जैन ने पैरवी की और उन्होंने पुलिस की मुठभेड़ की कहानी को झूठा बताते हुए कार्रवाई की बात कही. कोर्ट ने भी माना कि, कई राउंड फायरिंग के बावजूद ना तो बदमाशों को गोली लगी और ना ही पुलिसकर्मी इस मुठभेड़ में घायल हुए. बदमाशों के हथियारों को फॉरेंसिक जांच के लिए नहीं भेजा गया. वहीं कारोबारी ने बंटी के अलावा रामसेवक, जितेंद्र और रामदीन को पहचानने से ही इनकार कर दिया. ऐसे में पुलिस का दावा झूठा साबित हुआ.

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