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जल्द होगा SADA-GDA का मर्जर, जिला प्रशासन ने राज्य शासन को भेजा प्रस्ताव

विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण, यानि साडा के तहत चलने वाली योजनाएं जमीनी स्तर पर लागू नहीं हो पा रहीं थीं, लिहाजा प्रशासन ने ग्वालियर विकास प्राधिकरण और विशेष क्षेत्र प्राधिकरण के विलय का प्रस्ताव राज्य शासन को भेजा है.

gwalior development authority
ग्वालियर विकास प्राधिकरण
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Published : Jun 17, 2020, 5:19 PM IST

Updated : Jun 17, 2020, 5:26 PM IST

ग्वालियर। ग्वालियर विकास प्राधिकरण और विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण का जल्द ही विलय हो जाएगा. इसके लिए राज्य शासन को जिला प्रशासन ने प्रस्ताव बनाकर भेजा दिया है. जिसमें जीडीए के कर्मचारियों और संपत्तियों की स्थिति के बारे में जानकारी दी गई है. आने वाले दिनों में जीडीए और साडा (SADA) का नाम संयुक्त रूप से विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण हो जाएगा. साल 1979 में एक ट्रस्ट के जरिए जीडीए का गठन किया गया था. वहीं विकास प्राधिकरण की सीमाएं भी जिले से बढ़कर आस-पास के 40 किलोमीटर के क्षेत्र में तक विस्तृत हो जाएंगी.

SDA और GDA का मर्जर
जीडीए के ढाई सौ से ज्यादा कर्मचारियों के बारे में अभी शासन को अवगत कराया गया है. वर्तमान में विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण यानि साडा के तहत चलने वाली योजनाओं को अमली जामा नहीं पहनाया जा सका है. साडा क्षेत्र में विकास कार्यों को भी गति नहीं मिल सकी है. अब उम्मीद की जा सकती है कि, आने वाले दिनों में जीडीए और साडा के विलय से न सिर्फ जिले के बाहर विकास प्राधिकरण का क्षेत्र बढ़ेगा, बल्कि उसकी योजनाएं भी बहुआयामी और व्यापक हो सकेंगी.

गौरतलब है कि, ग्वालियर विकास प्राधिकरण की कुल 147 करोड़ रुपए की संपत्ति है. जिसमें उसकी करीब 45 करोड़ की देनदारी भी शामिल है. जबकि बैंक जमा 507 करोड़ रुपए हैं. वहीं जमीन 103 हेक्टेयर से ज्यादा है. इसी तरह साडा के पास बैंक जमा 407 करोड़ है, जबकि देनदारियां करीब 90 करोड़ के आस-पास हैं. अभी साडा का प्रभार टीएनसीपी के संयुक्त संचालक के पास है. जीडीए ने ट्रांसपोर्ट नगर, विनय नगर, आनंद नगर, अपना घर और महादजी नगर जैसे कई रिहायशी बस्तियां विकसित की हैं. जबकि कई प्रोजेक्ट पर उसका काम चालू है. जीडीए के साडा में मर्ज होने के बाद अब सभी कर्मचारी साडा के अधीन माने जाएंगे.

ग्वालियर। ग्वालियर विकास प्राधिकरण और विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण का जल्द ही विलय हो जाएगा. इसके लिए राज्य शासन को जिला प्रशासन ने प्रस्ताव बनाकर भेजा दिया है. जिसमें जीडीए के कर्मचारियों और संपत्तियों की स्थिति के बारे में जानकारी दी गई है. आने वाले दिनों में जीडीए और साडा (SADA) का नाम संयुक्त रूप से विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण हो जाएगा. साल 1979 में एक ट्रस्ट के जरिए जीडीए का गठन किया गया था. वहीं विकास प्राधिकरण की सीमाएं भी जिले से बढ़कर आस-पास के 40 किलोमीटर के क्षेत्र में तक विस्तृत हो जाएंगी.

SDA और GDA का मर्जर
जीडीए के ढाई सौ से ज्यादा कर्मचारियों के बारे में अभी शासन को अवगत कराया गया है. वर्तमान में विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण यानि साडा के तहत चलने वाली योजनाओं को अमली जामा नहीं पहनाया जा सका है. साडा क्षेत्र में विकास कार्यों को भी गति नहीं मिल सकी है. अब उम्मीद की जा सकती है कि, आने वाले दिनों में जीडीए और साडा के विलय से न सिर्फ जिले के बाहर विकास प्राधिकरण का क्षेत्र बढ़ेगा, बल्कि उसकी योजनाएं भी बहुआयामी और व्यापक हो सकेंगी.

गौरतलब है कि, ग्वालियर विकास प्राधिकरण की कुल 147 करोड़ रुपए की संपत्ति है. जिसमें उसकी करीब 45 करोड़ की देनदारी भी शामिल है. जबकि बैंक जमा 507 करोड़ रुपए हैं. वहीं जमीन 103 हेक्टेयर से ज्यादा है. इसी तरह साडा के पास बैंक जमा 407 करोड़ है, जबकि देनदारियां करीब 90 करोड़ के आस-पास हैं. अभी साडा का प्रभार टीएनसीपी के संयुक्त संचालक के पास है. जीडीए ने ट्रांसपोर्ट नगर, विनय नगर, आनंद नगर, अपना घर और महादजी नगर जैसे कई रिहायशी बस्तियां विकसित की हैं. जबकि कई प्रोजेक्ट पर उसका काम चालू है. जीडीए के साडा में मर्ज होने के बाद अब सभी कर्मचारी साडा के अधीन माने जाएंगे.

Last Updated : Jun 17, 2020, 5:26 PM IST
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