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चंबल के मन में गन ! राशन की तरह बंट रहे बंदूकों के लाइसेंस, वोट बैंक के लिए माननीय कर रहे सिफारिश, जोरों पर हथियार पॉलिटिक्स

अंचल में हथियार पॉलिटिक्स जोरों पर है. खुद माननीय ही अपने समर्थकों प्रियजनों और कार्यकर्ताओं के लिए हथियारों की अनुशंसा बांट रहे हैं. प्रदेश में सबसे ज्यादा लाइसेंस अब ग्वालियर में है. इसकी संख्या 34000 तक पहुंच गई है, जिस पर अब राजनीति हो रही है. (politics on gun license in gwalior)

mp gun politics
एमपी गन पॉलिटिक्स
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Published : Apr 12, 2022, 10:17 PM IST

ग्वालियर। डकैतों की बंदूक के लिए कुख्यात रहे ग्वालियर चंबल अंचल में अब डकैतों की बंदूक तो नहीं रही, लेकिन नेताओं के लिए अब यह बड़ी अहम है. अंचल में हथियार पॉलिटिक्स जोरों पर है. खुद माननीय ही अपने समर्थकों प्रियजनों और कार्यकर्ताओं के लिए हथियारों की अनुशंसा बांट रहे हैं. लेटर हेड पर एक दो अनुशंसा की बात नहीं हो रही. यहां तो माननीय 50 से 100 तक की बाकयदा सूची बनवाकर कलेक्टर के दफ्तर पहुंचा रहे हैं. ऐसे में माननीय की सिफारिश आम आदमी पर भारी भी पड़ रही है. (gun license in gwalior)

एमपी में हथियार पॉलिटिक्स

ग्वालियर में 34000 लाइसेंसः अंचल में हथियार रखने के शौकीनों की चाह लगातार बढ़ रही है. इसके लिए रसूखदार लोग क्षेत्रीय विधायकों की सिफारिश लगवा रहे हैं. विधायक भी समर्थकों के लिए लगातार अनुशंसा कर रहे हैं. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जिले में हथियारों की कमी नहीं है. यही कारण है कि प्रदेश में सबसे ज्यादा लाइसेंस अब ग्वालियर में है. इसकी संख्या 34000 तक पहुंच गई है, जिस पर अब राजनीति हो रही है. (politics on gun license in gwalior)

weapon politics in mp
नंबर वन हैं ये राजनेता

वोटों के लिए बंट रहे लासेंसः केंद्रीय मंत्री, स्थानीय विधायक, राज्य मंत्री दर्जा प्राप्त माननीयों की मोटी तगड़ी सूची के कारण जरूरतमंदों को परेशानी झेलनी पड़ती है. वैसे माननीयों को मतलब नहीं कि किसको सुरक्षा की जरूरत है या नहीं. वोटों के नंबर बढ़ाने के लिए हथियार रखने की संस्कृति को बढ़ावा दे रहे हैं. अंचल में आए दिन हत्यारों से होने वाला खूनी संघर्ष या रसूल को दिखाकर डराने की घटना यहां सब आम हो गया है.

mp gun politics
ग्वालियर में लाइसेंस

IG का उज्जैन दौरा: टीआई से तीन बार प्रयास में चली टियर गन, आईजी का सूझाव- परिवार के साथ सेहत का रखें ध्यान

वहीं इस मामले को लेकर अपर कलेक्टर गढ़पाले का कहना है कि शस्त्र लाइसेंस के लिए हम पूरी प्रक्रिया का पालन करते हैं. अनुशंसा पत्र भी आते हैं. लाइसेंस की आवश्यकता का परीक्षण भी कराया जाता है. आवेदनों को भी जांच के बाद ही लिया जाता है. हाल में ही 600 आवेदन निरस्त किए गए हैं, जिनके पास कोई ठोस कारण नहीं था. बहरहाल ग्वालियर चंबल अंचल में तेजी से बढ़ता बंदूक स्टेट्स आम लोगों की परेशानी का सबब तो है. साथ ही लोग इसे अपने स्टेट्स के दौरान शादी समारोह में हर्ष फायरिंग में इस्तेमाल कर रहे हैं, जो लोगों की जान पर भारी पड़ रहा है.

ग्वालियर। डकैतों की बंदूक के लिए कुख्यात रहे ग्वालियर चंबल अंचल में अब डकैतों की बंदूक तो नहीं रही, लेकिन नेताओं के लिए अब यह बड़ी अहम है. अंचल में हथियार पॉलिटिक्स जोरों पर है. खुद माननीय ही अपने समर्थकों प्रियजनों और कार्यकर्ताओं के लिए हथियारों की अनुशंसा बांट रहे हैं. लेटर हेड पर एक दो अनुशंसा की बात नहीं हो रही. यहां तो माननीय 50 से 100 तक की बाकयदा सूची बनवाकर कलेक्टर के दफ्तर पहुंचा रहे हैं. ऐसे में माननीय की सिफारिश आम आदमी पर भारी भी पड़ रही है. (gun license in gwalior)

एमपी में हथियार पॉलिटिक्स

ग्वालियर में 34000 लाइसेंसः अंचल में हथियार रखने के शौकीनों की चाह लगातार बढ़ रही है. इसके लिए रसूखदार लोग क्षेत्रीय विधायकों की सिफारिश लगवा रहे हैं. विधायक भी समर्थकों के लिए लगातार अनुशंसा कर रहे हैं. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जिले में हथियारों की कमी नहीं है. यही कारण है कि प्रदेश में सबसे ज्यादा लाइसेंस अब ग्वालियर में है. इसकी संख्या 34000 तक पहुंच गई है, जिस पर अब राजनीति हो रही है. (politics on gun license in gwalior)

weapon politics in mp
नंबर वन हैं ये राजनेता

वोटों के लिए बंट रहे लासेंसः केंद्रीय मंत्री, स्थानीय विधायक, राज्य मंत्री दर्जा प्राप्त माननीयों की मोटी तगड़ी सूची के कारण जरूरतमंदों को परेशानी झेलनी पड़ती है. वैसे माननीयों को मतलब नहीं कि किसको सुरक्षा की जरूरत है या नहीं. वोटों के नंबर बढ़ाने के लिए हथियार रखने की संस्कृति को बढ़ावा दे रहे हैं. अंचल में आए दिन हत्यारों से होने वाला खूनी संघर्ष या रसूल को दिखाकर डराने की घटना यहां सब आम हो गया है.

mp gun politics
ग्वालियर में लाइसेंस

IG का उज्जैन दौरा: टीआई से तीन बार प्रयास में चली टियर गन, आईजी का सूझाव- परिवार के साथ सेहत का रखें ध्यान

वहीं इस मामले को लेकर अपर कलेक्टर गढ़पाले का कहना है कि शस्त्र लाइसेंस के लिए हम पूरी प्रक्रिया का पालन करते हैं. अनुशंसा पत्र भी आते हैं. लाइसेंस की आवश्यकता का परीक्षण भी कराया जाता है. आवेदनों को भी जांच के बाद ही लिया जाता है. हाल में ही 600 आवेदन निरस्त किए गए हैं, जिनके पास कोई ठोस कारण नहीं था. बहरहाल ग्वालियर चंबल अंचल में तेजी से बढ़ता बंदूक स्टेट्स आम लोगों की परेशानी का सबब तो है. साथ ही लोग इसे अपने स्टेट्स के दौरान शादी समारोह में हर्ष फायरिंग में इस्तेमाल कर रहे हैं, जो लोगों की जान पर भारी पड़ रहा है.

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